Maharashtra के धुले में बनेगा रिकॉर्ड? देखिए आजतक का हेलिकॉप्टर शॉट

चुनाव 2024 महाराष्ट्र राजनीति

AajTak Dhule News: धुले (Dhule) महाराष्ट्र का एक जिला और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। धुले (Dhule) शहर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। धुले उत्तरी महाराष्ट्र (Maharashtra) का हिस्सा है। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha elections 2024) के पहले चरण का मतदान हो गया है। अब दूसरे चरण की तैयारियां जोर शोर से चल रही है।

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महाराष्ट्र की धुले लोकसभा (Lok Sabha) सीट पर चौथे चरण के दौरान 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इस सीट काफी समय तक कांग्रेस (Congress) का दबदबा रहा है। लेकिन, 1996 के बाद से यहां कभी कांग्रेस जीती है तो यह सीट बीजेपी के खाते में आई। फिलहाल पिछले तीन बार यानी 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी जीत दर्ज कर रही है। इस बार धुले की जनता किसे जीत दिलाकर संसद भेजेगी और किसी इस बार बाहर का रास्ता दिखाएगी इसको जानने के लिए आजतक की टीम सीनियर एंकर अंजना ओम कश्यप के साथ आजतक की टीम स्पेशल पहुंच गई धुले।

धुले का सियासी पारी चरम पर है। इस बार यहां बीजेपी (BJP) ने डॉ सुभाष रामराव भामरे (Dr. Subhash Ramrao Bhamre) को टिकट दी है तो वहीं कांग्रेस ने डॉ शोभा दिनेश बछाव पर भरोसा दिखाया है।
आपको बता दें कि बीजेपी के डॉ सुभाष रामराव भामरे (Dr. Subhash Ramrao Bhamre) 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुके हैं। इस बार बीजेपी यहां जीत की हैट्रिक लगाने का दावा कर रही है।
इस सीट पर 46% मराठा वोटर हार और जीत तय करते हैं। इस बार क्रांग्रेस धुले में बीजेपी का रथ रोकने का दावा कर रही है तो वहीं बीजेपी लगातार तीसरी बार जीतने की बात कर रही है।

सीनियर एंकर अंजना ओम कश्यप (Anjana Om Kashyap) जब जनता से इन्हीं दावों का पड़ताल करने पहुंची तो चीजें काफी हद कर साफ हो गयी। इस कार्यक्रम में शिवसेना उद्धव गुट, कांग्रेस, शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट, बीजेपी के लोग और कई पार्टी के नेता यहां मौजूद थे। सवालों का सिलसिला शुरू हुआ इस कार्यक्रम में आए वोटरों के साथ तो जवाब आया कि चुनाव तो बहुत बार हुआ लेकिन विकास धुले में आजतक नहीं हुआ। बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकार रह चुकी है लेकिन धुले की जनता आज भी पाने की पानी के लिए परेशान है। रास्ते बेहाल हैं। बेरोजगारी चरम पर है।

तो वहीं किसी ने कहा कि नेताओं का काम रोजगार लाना, सड़क बनाना है लेकिन सांसद और विधायक ने काम किया नहीं है। लोगों की नाराजगी है लेकिन मोदी को देखकर उनको वोट करने को मजबूर हैं। क्योंकि मोदी का आना बहुत जरूरी है, लोगों को उम्मीदवार नहीं मोदी को देखना है।

मौजूद जनता का कहना था कि हम मोदी को वोट करेंगे, चाहे पेट्रोल 400 पार जाए या 500 पार । मोदी के लिए कोई शब्द नहीं है जो राम को लाएं हैं हम उनको लाएंगे।
यहां बीजेपी को सपोर्ट कर रहीं एक महिला ने कहा कि मौजूदा सांसद ने यहां जमकर विकास किया है और उसी का नतीजा है कि पार्टी ने उनपर तीसरी बार भरोसा जताया है।

एकनाथ शिंदे गुट को सपोर्ट कर रहे नेता ने उद्धव ठाकरे पर हमला बोलते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे कांग्रेस का साथ पकड़ कर बाला साहब ठाकरे की विचारधारा को गिरवी रख दिया है। उन्होंने भगवा झंडा छोड़कर हरा झंड़ा हाथ में ले लिया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश की अखंडता, एकता और विश्वास कांग्रेस का एकमात्र एजेंडा है। मोदी ने सबलोगों को गुमराह करके देश की टुकड़े करने का सोच रहे हैं अगली बार बीजेपी की सरकार बनती है तो देश का संविधान खतरे में हो जाएगा।

धुले का राजनीतिक सफरनामा

धुले लोकभा सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा। लेकिन 1996 के बाद से यहां कभी कांग्रेस जीती है तो कभी बीजेपी। फिलहाल 2009 से यहां बीजेपी जीत दर्ज कर रही है। धुले लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1957 में यहां सबसे पहला चुनाव हुआ था। यहां भारतीय जनसंघ के उत्तमराव लक्षण पाटिल जीतकर आए थे। लेकिन 1962 के चुनाव में यहां कांग्रेस ने ऐसी बाजी पलटी कि कोई दूसरा दल 35 साल तक सत्ता हासिल नहीं कर पाया।

यहां चुडामन आनंदा पाटिल 1962 से 1971 तक लगातार तीन बार चुनाव जीते। इसके बाद 1977 में विजय नवल यहां जीत हासिल की। उनके बाद 1980 में रेशमा मोतीराम भोये यहां से पहली बार कांग्रेस की टिकट पर जीतकर आई। उन्होंने 1984 और 1989 में दो चुनाव लगातार जीतकर हैट्रिक बनाई। उनके बाद 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां बापू हरी चौरे जीते।

2019 का जनादेश

2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के डॉ. सुभाष रामराव भामरे ने जीत दर्ज की। उन्हें 6,13,533 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के कुणाल रोहिदास पाटिल 3,84,290 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में धुले सीट से भाजपा के डॉ. सुभाष रामराव भामरे ने अपनी जीत कायम रखी, उन्हें 5,29,450 वोट मिले। तो वहीं कांग्रेस के अमरीशभाई रसिकलाल पटेल 3,98,727 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे और बसपा के योगेश यसवंत इशी 9,897 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।

जानिए धुले को

धुले क्षेत्र कृषिप्रधान है। हालांकि यहां के ज्यादातर हिस्सों में सिंचाई का बुनियादी ढांचा नहीं है, इसलिए खेती काफी हद तक नियमित मानसून और बारिश के पानी पर निर्भर करती है। गेहूं, बाजरा, ज्वार, ज्वार, या प्याज के अलावा, कपास सबसे पसंदीदा व्यावसायिक फसल है। अधिकांश ग्रामीण आबादी अहिरानी भाषा (मराठी की एक बोली) बोलती है, और मराठी शहरी क्षेत्रों में अधिक बोली जाती है। यह क्षेत्र शुद्ध दूध उत्पादन के लिए जाना जाता है।