Acharya Prashant: हाल ही में वेदांत मर्मज्ञ और लेखक आचार्य प्रशांत के नाम से एक झूठा पोस्टर वायरल कर दिया गया, जिसमें उन्होंने कुंभ मेले को अंधविश्वास करार दिया। यह पोस्टर एक उकसावे का कारण बना। कुछ ही पलों में, 8-10 व्यक्तियों का एक समूह इकट्ठा हुआ, जिन्होंने नारेबाजी की और लोगों को हिंसक प्रतिक्रिया देने के लिए उकसाया।
ये भी पढ़ेः HCL-TCS के बाद विप्रो ने शेयर होल्डर्स को बड़ी खुशखबरी दे दी
इसके बाद जो हुआ, वह एक शर्मनाक हिंसक कृत्य था जिसने कुंभ की भावना और हिंदू शास्त्रों की शिक्षाओं का अपमान किया – भगवद गीता, उपनिषद, महाभारत, दुर्गा सप्तशती, शिव सूत्र और रामायण जैसी धरोहर ग्रंथों को उन लोगों द्वारा जलाकर राख कर दिया गया। 500 से अधिक पुस्तकें नष्ट कर दी गईं, और निर्दोष स्वयंसेवकों पर, जो केवल पुस्तकों का वितरण कर रहे थे, हमला किया गया।
कुंभ में मौजूद पूर्व सैनिक मोहन सिंह के अनुसार, यह एक सुनियोजित साजिश थी। पहले कुंभ में फैक पोस्टर फैलाया गया और फिर कुछ लोगों ने भगवद गीता, उपनिषद, महाभारत जैसी सैकड़ों धार्मिक पुस्तकों को जला दिया। इस पूरी घटना में सोशल मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। झूठी खबर तेजी से फैलाई गई और लोगों को उकसाया गया।
ये भी पढ़ेः Cyber Crime: महिला डॉक्टर बन मरीज़ से लाखों की ठगी
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में झूठी ख़बर फैलाने में कुछ डिजिटल मीडिया संस्थान शामिल रहे। अब सवाल यह उठता है – क्या सोशल मीडिया की अनियंत्रित ताकत समाज के लिए खतरा बन रही है? हमें इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।