Noida-ग्रेटर नोएडा के फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री का रास्ता खुला

गाज़ियाबाद ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा

अब आपके फ्लैट की रजिस्ट्री भी होगी..पजेशन भी मिलेगा.. बड़ी और अच्छी ख़बर उन फ्लैट ख़रीदारों के लिए जिन्होंने नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अपने सपनों का आशियाना ख़रीदा है लेकिन किसी वजह से ना तो उन्हें पजेशन मिल रहा है और ना ही उनकी रजिस्ट्री शुरू हो रही है। नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने एक जानकारी साझा की है जिसके मुताबिक यूपी की योगी सरकार ने घर खरीदारों के हक के लिए बनी अमिताभकांत कमेटी की सिफ़ारिश मान ली है। इसका मतलब ये हुआ कि जल्द ही यूपी सरकार की तरफ से रजिस्ट्री को लेकर नया आदेश पारित किया जाएगा।

आपको बता दें ..फ्लैट ख़रीदारों के हक़ के लिए नेफोवा सालों से लड़ाई लड़ रहा है। नेफो अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने उन तमाम फ्लैट खरीदारों का धन्यवाद अदा किया है जिन्होंने हक की लड़ाई में नेफोवा का साथ दिया है।

कैबिनेट की लगेगी मुहर

आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी चाहिए। यदि इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगी तो 54,603 खरीदारों को फ्लैटों पर कब्जा मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। इससे उन फ्लैटधारकों की रजिस्ट्री भी हो जाएगी, जो बरसों से इसकी बाट जोह रहे हैं। इससे सिर्फ नोएडा के फ्लैट खरीदारों को ही लाभ नहीं होगा बल्कि ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के बिल्डरों को भी राहत मिलेगी। जाहिर है कि इससे फ्लैट खरीदारों को लाभ मिलेगा।

कौन से फ्लैट फंसे हैं

नोएडा में 31 बिल्डर परियोजनाएं , जिनमें फ्लैटों का निर्माण तो हो गया है, लेकिन, बकाया भुगतान न करने की वजह से प्राधिकरण ने कंप्लीशन रोक दिया है। इनमें 29,603 फ्लैट हैं। इनमें से सात हजार फ्लैटों पर कब्जा नहीं दिया गया है। बाकी पर कब्जा तो दे दिया गया है, लेकिन उनकी रजिस्ट्री न होने से खरीदारों को मालिकाना हक नहीं मिल सका है। प्राधिकरण का इन बिल्डरों पर 1,400 करोड़ रुपये पर बकाया है। बताया जाता है कि दो वर्ष की अवधि का ब्याज करीब 700 करोड़ रुपये होता है, जो प्राधिकरण माफ कर सकता है। वहीं 26 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनमें निर्माण अधूरा है। इनमें 25 हजार खरीदारों ने फ्लैटों की बुकिंग करा रखी है। किसी भी खरीदार को अभी ‘तक कब्जा नहीं मिला है, जबकि प्राधिकरण का बिल्डरों पर 6,000 करोड़ रुपये बकाया है। इनका भी करीब 2,300 करोड़ रुपये का ब्याज माफ किए जाने पर मंथन चल रहा है।

अमिताभ कांत कमेटी की है रिपोर्ट

केंद्र सरकार ने बिल्डर और खरीदारों की समस्याओं के समाधान के लिए कुछ समय पहले अमिताभ कांत की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। कमेटी ने स्थायी और अविलंब समाधान की सिफारिश करते हुए बिल्डरों को ब्याज में छूट देने के लिए शून्य अवधि करने, निर्माण के लिए तीन वर्ष की समयावृद्धि और करने एवं कुल बकाया राशि का 25 प्रतिशत जमा कराकर शेष राशि अगले तीन में जमा करने के लिए और समय देने की बात कही थी। जो बिल्डर निर्माण पूरा करने की स्थिति में नहीं है, उनके लिए को-डेवलपर लाने के लिए एक पॉलिसी बनाने की भी सिफारिश अमिताभ कांत कमेटी ने की है। प्रदेश सरकारों को इसे लागू करना है। उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में इसका मूल्यांकन करा रही है। मूल्यांकन में देखा जाएगा कि बिल्डरों को वित्तीय छूट देने से प्राधिकरणों पर कितना भार पड़ेगा।

जिले के 1.62 लाख बायर्स पर पड़ेगा असर
सरकार बिल्डर-बायर मुद्दे पर जो भी फैसला करेगी उसका असर नोएडा-ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी एरिया के करीब 1 लाख 62 हजार फ्लैट बायर्स पर पड़ना तय है। इनमें आम्रपाली व एनसीएलटी में गए दूसरे प्रॉजेक्ट हैं जिनमें कोर्ट से आईआरपी नियुक्त हो चुके हैं। इनकी रजिस्ट्री अलग से हो रही है। बाकी प्रॉजेक्ट में बिल्डर व अथॉरिटी के बीच में यह फ्लैट बायर्स फंसे हुए हैं। बिल्डर बकाया जमा नहीं कर रहे हैं। अथॉरिटी बगैर बकाये के लिए रजिस्ट्री को तैयार नहीं हो रही हैं। दूसरी ओर बिल्डर अधिकतर फ्लैट बेच चुके हैं। बहुत से बायर्स रजिस्ट्री तो बहुत से अपना आशियाना पाने के इंतजार में हैं।

बकाये पर ब्याजदर का यह विवाद पहले कोर्ट में था, 7 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अथॉरिटी के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था। इसके बाद भी बिल्डर रकम जमा करने को आगे नहीं आए। इस बीच दोनों अथॉरिटी व शासन स्तर पर कई बैठकें हुई। केंद्र से बनाई गई अमिताभकांत कमेटी ने भी अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपी हैं। निर्णय बड़ा लिया जाना है जो सरकार स्तर पर ही मुमकिन है। सरकार स्तर पर भी कवायद शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि सरकार इस मुद्दे पर प्रस्ताव कैबिनेट में ले जाएगी। उसके पहले वित्त विभाग से आकलन भी करवाया जाएगा।
शिकायतों का हो तेजी से समाधान-नंदी
यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कहा कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा यमुना या कोई भी औद्योगिक विकास विभाग से जुड़ा दफ्तर हो इनमें आम जनता का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होगा। जो भी शिकायतें आ रही हैं उनका निस्तारण कर कार्रवाई की जा रही है। अभी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में एक आम आवंटी का नक्शा पास न करके उत्पीड़न किया जा रहा था। दूसरे आवंटी का नक्शा उन्हीं मानकों पर पास कर दिया गया। इस पर कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं।
प्रॉजेक्ट व फ्लैट बायर्स के आंकड़े
नोएडा में टोटल ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट -116
स्वीकृत फ्लैट की संख्या -1 लाख 66 हजार 878
कंम्प्लीशन सर्टिफिकेट वाले फ्लैट्स की संख्या- 98 हजार 833
कुल हुई रजिस्ट्री- 60 हजार 675
पूर्ण प्रोजेक्ट का विवरण
पूरे हो चुके प्रॉजेक्ट- 47
स्वीकृत फ्लैट की संख्या- 40 हजार 807
सीसी वाले फ्लैट्स की संख्या- 41 हजार 204
फ्लैट जिनकी रजिस्ट्री हुई- 29701
अधूरे प्रोजेक्ट का विवरण
आंशिक रूप से तैयार प्रॉजेक्ट- 54
स्वीकृत फ्लैट की संख्या- 1 लाख 13 हजार 224
सीसी वाले फ्लैट्स की संख्या- 57 हजार 629
फ्लैट जिनकी रजिस्ट्री हुई- 30 हजार 974
ग्रेटर नोएडा के प्रोजेक्ट्स
ग्रेटर नोएडा के ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट- 197
स्वीकृत फ्लैट की संख्या- 2 लाख से 74 हजार 25
सीसी वाले फ्लैट्स की संख्या- 1 लाख 15 हजार 14
कुल हुई रजिस्ट्री- 93 हजार 860

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