ऑनलाइन गेमिंग वाले सावधान..करोड़ों गंवाओगे..जान भी जाएगी!

TOP स्टोरी Trending

Online Gaming: देश भर के कई युवा ऑनलाइन गेमिंग की ओर आकर्षित हो रहे हैं और दावा किया जा रहा है कि यह लत अब एक महामारी की तरह फैल रही है। आइए आपको ऐसे लोगों की स्टोरी बताते है।

ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करने के लिए tau.id/2iy6f लिंक पर क्लिक करें
ये भी पढ़ेः डूबने की कगार पर BYJU’s!..बर्बादी की वजह भी जान लीजिए

Pic Social Media

एक दिन मेरे मोबाइल पर मैसेज आया। उसमें गेमिंग एप्लिकेशन (Gaming Application) का लिंक था। मैंने सोचा खेलकर देखता हूं। गेम का नाम रमी लोटस था। शुरुआत में मैं जीतने लगा। 5 सौ रुपए लगाए, तो 7 सौ रुपए मिले। एक हजार लगाए तो 15 सौ मिल गए। ये लगभग 7 से 8 दिन तक चला। फिर मैं हारने लगा। धीरे-धीरे ढाई लाख रुपए हार गया। हारा पैसा वापस पाने के लिए और रुपए लगाता गया, वो भी हार गया।

ये कहानी यूपी के सत्यम (Satyam) की है। सत्यम इलाहाबाद में एक कंपनी में नौकरी करते है। ऑनलाइन गेमिंग ऐप के चक्कर में उन्होंने पूरी सेविंग गंवा दी। ऐप से पैसे कमाने के लालच में बर्बाद होने वाले सत्यम अकेले नहीं है। बस यह लोग सामने नहीं आते, इसलिए पता नहीं चल पाता। बदनामी के डर से चुप रहते है। अपने साथ हुई ठगी के बारे में घर वालों को नहीं बताते और कहीं शिकायत भी नहीं करते।

जानिए क्या थी सत्यम की कहानी?

6 महीने पहले ही मेरी शादी हुई है। वाइफ आईटी कंपनी में जॉब करती है। उसकी नाइट शिफ्ट होती है। वाइफ दिन में घर पर रहती है और रात में मैं। ऑनलाइन गेम (Online Games) में पैसे लगाने की शुरुआत एक मैसेज से हुई। उसमें गेम का लिंक था। वो स्लाइडिंग वाला गेम था। एक जैसी स्लाइड आती थी, तो कुछ रिवॉर्ड मिलता था, जैसे आपने 10 रुपए लगाए तो 100 रुपए मिल जाएंगे। शुरुआत में मैंने भी कुछ पैसे जीते।

अकाउंट में पैसे दिखने लगे तो मेरा लालच बढ़ गया। मैंने ज्यादा पैसे लगाने शुरू किए। इसमें भी मैं विन-विन सिचुएशन में रहा। न हार, न जीत। लगभग 12 से 15 दिन तक ऐसा चला। एप्लिकेशन पर यकीन हो गया, तो मैं बड़ा अमाउंट लगाने लगा। अचानक मैं हारने लगा। ढाई लाख रुपए हार गया। ये मेरी 3 से 4 साल की सेविंग थी।

सत्यम बताते है कि मैंने कुछ पैसा क्रेडिट कार्ड (Credit Card) से लिया, कुछ शेयर मार्केट से निकाला। पैसा डूबा, तो मैं परेशान हो गया। मैं जिस यूपीआई के जरिए पैसा ट्रांसफर करता था, उससे मुझे ऐप कंपनी के कुछ लोगों के नाम मिले। ये लोग बेंगलुरु, इंदौर और मुंबई के थे। मैंने उन्हें मेल किया कि आपने ऐसा गेम सेट किया कि मेरे सारे रुपए डूब गए।

उनकी तरफ से रिप्लाई आया कि आपने जितना पैसा जीता था, उसे वापस ट्रांसफर कर दीजिए। फिर आपका इनवेस्ट किया अमाउंट वापस कर देंगे। मैं समझ गया कि ये मुझे फिर से फंसाने की साजिश है। मैंने कह दिया कि मैं अब कोई अमाउंट ट्रांसफर नहीं कर पाऊंगा।

मैं पुलिस के पास गया, लेकिन उन्होंने मेरी शिकायत नहीं ली। कहा कि आप जिस ऐप पर पैसे हारे हैं, वो तो वैलिड एप्लिकेशन है। आप ऑनलाइन शिकायत (Online Complaint) कर दीजिए। तभी कुछ हो पाएगा। मैंने ऑनलाइन शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। 3 महीने तो बहुत परेशान रहा। फिर दोबारा नौकरी पर फोकस किया। अब भी कंपनी वालों के मेरे पास कॉल आते हैं कि आप गेम खेल लीजिए, आपको अच्छा रिटर्न मिलेगा। ये बात मैंने किसी को नहीं बताई।

Pic Social Media

दूसरी कहानी 32 साल के प्रिंस की

करीब ढाई करोड़ रुपए हारे, 15 महीने से रिहैब सेंटर में चल रहा ट्रीटमेंट प्रिंस (Prince) की कहानी सत्यम से भी ज्यादा डरावनी है। दिल्ली के रहने वाले प्रिंस ने बीटेक किया है। पिता गोल्ड का बिजनेस करते थे। उनकी डेथ के बाद प्रिंस काम संभालने लगे।

प्रिंस बताते है कि पापा के न रहने पर मैंने ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स पर सट्टा लगाना शुरू किया। लगभग 12 लाख रुपए हार गया। उसकी भरपाई के लिए और पैसे लगाए। दिल्ली में हमारी एक प्रॉपर्टी 2 करोड़ 27 लाख रुपए में बिकी थी। मैंने पूरा पैसा ऑनलाइन गेमिंग में लगा दिया और सब हार गया।

प्रिंस की बहन सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Software Engineer) हैं। पति की डेथ के बाद वे बेटी के पास यूके चली गई थी। वहां से लौटीं, तब प्रिंस के बारे में पता चला। उन्होंने प्रिंस को रिहैब सेंटर में एडमिट करवाया। 15 महीने से उनका ट्रीटमेंट चल रहा है। अब प्रिंस रिहैब सेंटर से बाहर आ चुके हैं और हालात पहले से बेहतर हैं।

सरकार ने 120 गैम्बलिंग ऐप बैन किए लेकिन सैकड़ों अब भी चल रहे

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऐप के काम करने का तरीका पता करने के बाद हमें अलग-अलग राज्यों में चल रही वेबसाइट्स (Websites) के बारे में मालूम करना था। छत्तीसगढ़ में महादेव बेटिंग ऐप का मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने करीब 120 गैम्बलिंग ऐप बैन कर दिए थे। पड़ताल में पता चला कि ऐसे सैकड़ों ऐप अब भी चल रहे हैं।

इनका काम करने का तरीका क्या है?

पहले लोगों को ज्यादा पैसा कमाने का लालच दिया जाता है। इसके लिए इंस्टाग्राम, टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म यूज करते है। सेलेब्स के जरिए प्रमोशन करवाया जाता है।

यूजर सिर्फ वॉट्सऐप नंबर (Whatsapp Number) पर ही कॉन्टैक्ट कर सकता है। कॉन्टैक्ट करने पर उसे 2 नंबर दिए जाते हैं।

एक नंबर पैसा डिपॉजिट करने के लिए होता है। दूसरा नंबर यूजर आईडी के लिए होता है, जिसके जरिए बेटिंग की जाती है।

पेमेंट यूपीआई के जरिए प्रॉक्सी बैंक अकाउंट्स में पेमेंट लेते हैं।

प्रॉक्सी अकाउंट्स में आने वाला अमाउंट हवाला, क्रिप्टो और दूसरे गैर-कानूनी रूट्स के जरिए इधर से उधर किया जाता है।

इंडियन बैंक अकाउंट से जुड़ी पेमेंट प्रॉक्सी को बदल देते हैं, मतलब जिस रूट से ट्रांजैक्शन हो रहा है, वो पता नहीं चलता। रूट कुछ ओर दिखता है, पेमेंट कहीं ओर जाता है।

इस तरह की ज्यादातर वेबसाइट्स साइप्रस, माल्टा, कुराकाओ, मॉरीशस और केमैन आइलैंड (Island) जैसे देशों में रजिस्टर्ड हैं। यहां सट्टेबाजी कानूनी है।

भारत में सट्टा बैन, फिर ये सब कैसे चल रहा है?

यूएस में रजिस्ट्रेशन, कुराकाओ का लाइसेंस

गैंबलिंग करवाने वाली वेबसाइट्स के डोमेन फॉरेन कंट्रीज (Domain Foreign Countries) में बुक होते हैं। इनके सर्वर भी वहीं होते हैं। इन देशों में गैम्बलिंग लीगल और टैक्स कम है। वहीं से बैठकर भारत में सट्टा खिलाया जाता है।

पड़ताल में सामने आया कि गेमिंग के नाम पर सट्टा खिलाने वाले ज्यादातर मोबाइल ऐप्स महादेव बेटिंग, महादेव बुक या रेड्‌डी अन्ना बुक के नाम पर रजिस्टर्ड हैं। इस पूरे नेक्सस के पीछे सबसे बड़ा प्लेयर महादेव है। इस ग्रुप की अलग-अलग नाम से 5 हजार से भी ज्यादा वेबसाइट्स हैं।

खेल शॉप रेड्‌डी अन्ना यूएस के एरिजोना में रजिस्टर्ड हैं। एरिजोना का कानून गैंबलिंग को सपोर्ट करता है। वहां टैक्स भी कम लगता है। पड़ताल में पता चला कि महादेव बुक के लाइसेंस पर ही ज्यादातर वेबसाइट्स चल रही हैं। महादेव ने कुराकाओ से लाइसेंस लिया है। इसी लाइसेंस से ज्यादातर कंपनियों ने एरिजोना में रजिस्ट्रेशन करवाया है।

Pic Social Media

कितना बड़ा है गेमिंग ऐप का बाजार?

गेमिंग ऐप का ऐडवर्टाइजिंग शेयर 3 से 18 प्रतिशत पर पहुंचा

बीते कुछ साल में भारत में फैंटेसी ऐप्स (Fantasy Apps) की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ी है। ड्रीम 11, माय सर्कल 11, एमपीएल, मोलटानी, जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लाखों यूजर्स पहुंच रहे हैं। फैंटेसी गेमिंग ऐप्स इंडियन प्रीमियर लीग, यानी आईपीएल के 16 वें सीजन में टॉप ऐडवर्टाइजर्स थे। मीडिया रिसर्च की ऐडवर्टाइजिंग रिपोर्ट के मुताबिक इनका शेयर पिछले आईपीएल से 15 प्रतिशत बढ़कर 18 प्रतिशत हो गया।

सौरव गांगुली, विराट कोहली, शुभमन गिल, हार्दिक पंडया के साथ ही आमिर खान, आर माधवन, शरमन जोशी इन्हें इंडोर्स करते हैं। कंसल्टेंसी रेडसीर की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 के मुकाबले 2023 में फैंटेसी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स की इनकम (Income) 24 प्रतिशत बढ़ी है। ये अब 341 मिलियन डॉलर या 2800 करोड़ हो गई है। इस दौरान 6 करोड़ यूजर्स ने फैंटेसी गेमिंग एक्टिविटी में हिस्सा लिया। इनमें से लगभग 65 प्रतिशत छोटे शहरों से आते हैं।

यह गेमिंग ऐप यूजर से एंट्री फीस लेते हैं। उनकी टीम के अंडर परफॉर्म रहने पर पैसा डूबने का डर होता है। ड्रीम-11 भारत का सबसे बड़ा फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म है। इसके 20 करोड़ रजिस्टर्ड यूजर हैं। एमपीएल-9 करोड़ और माय सर्कल-114 करोड़ यूजर्स होने का दावा करते हैं।

गेमिंग ऐप के जरिए गैंबलिंग को रोका क्यों नहीं जा सकता?

भारत में फैंटेसी गेमिंग ऐप्स (Fantasy Gaming Apps) को कंट्रोल करने के लिए पब्लिक गैंबलिंग एक्ट (Public Gambling Act) 1867 का इस्तेमाल होता है। यह एक्ट देश में सभी तरह की गैंबलिंग रोकता है। लेकिन यह ऐसे गेम्स को नहीं रोक पाता, जिनमें स्किल इन्वॉल्व होती है। इनके विज्ञापन मिसलीडिंग होते हैं, जिसमें काफी पैसा जीतते हुए दिखाया जाता है। असलियत में ज्यादातर प्लेयर बहुत छोटा अमाउंट जीतते हैं।

Pic Social Media

महादेव ऐप बैन, लेकिन उसके जैसे ऐप अब भी सट्टा खिला रहे

वहीं राजधानी छत्तीसगढ़ में महादेव बेटिंग ऐप (Mahadev Betting App) का मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने 120 गैर-कानूनी बेटिंग ऐप्स को बैन किया है। महादेव ऐप पर अलग-अलग तरह के गेम्स खिलाए जाते थे। इनमें कार्ड गेम्स, चांस गेम्स, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल शामिल थे। इनके जरिए यूजर आईडी क्रिएट कर सट्टा खिलाया जा रहा था। मनी लॉन्ड्रिंग हो रही थी और पैसा बेनामी अकाउंट में जा रहा था।

भारत में किसी भी तरह की बेटिंग है अपराध

आपको बता दें कि भारत में किसी भी तरह की बेटिंग (Betting) अपराध है। गेम ऑफ स्किल अलग है, लेकिन अगर कोई ऑनलाइन बेटिंग करवाता है तो जानकारी मिलने पर पुलिस एक्शन लेती है। कई बार ऑनलाइन बेटिंग करवा रही वेबसाइट्स के सर्वर देश से बाहर होते हैं। बहुत सी इन्फॉर्मेशन मिल नहीं पाती। कोऑर्डिनेशन का भी इश्यू होता है।