Haryana: CM नायब सैनी ने पूर्व CM खट्टर का फैसला पलटा, पढ़िए क्या है बड़ी ख़बर

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Haryana News: हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के एक बड़े फैसले को पलट दिया है। आपको बता दें कि अब हरियाणा में काम कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) सीधे लोकायुक्त को जांच रिपोर्ट नहीं सौंपेगी। सीएम नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini ) ब्यूरो की पावर कम करते हुए मुख्य सचिव को सीधे रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं। सीएम नायब सैनी (CM Nayab Singh Saini) ने एंटी करप्शन ब्यूरो को झटका देते हुए यह निर्देश जारी किए हैं कि ब्यूरो को मुख्य सचिव कार्यालय के विजिलेंस विभाग को अब सीधी जानकारी देनी होगी।

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आपको बता दें कि एसीबी के सीधी लोकायुक्त को जांच रिपोर्ट भेजने से सरकार को लंबित और जांच प्रक्रिया के मामलों की सटीक जानकारी नहीं हो पा रही थी। इसको देखते हुए सरकार ने फैसला लिया कि एसीबी सीधी लोकायुक्त को रिपोर्ट नहीं भेजेगा। सरकार के नए आदेश से अब मुख्य सचिव कार्यालय पावरफुल हो गया है। अब सीधे मुख्य सचिव कार्यालय के विजिलेंस विभाग के पास एसीबी के मामलों की रिपोर्ट पहुंचेगी।

जानिए क्या कहा गया है आदेश में

राज्य सरकार ने मामले पर पुनर्विचार करते हुए यह फैसला लिया गया है कि भविष्य में जिन मामलों में जांच, जांच के आदेश लोकायुक्त की ओर से एसीबी (ACB) को दिए जा रहे हैं, उन मामलों की जांच रिपोर्ट सतर्कता विभाग के जरिए लोकायुक्त को भेजी जाएगी। मुख्य सचिव कार्यालय से जारी आदेश में यह भी स्पष्ट कहा गया है। लिहाजा मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से निर्देश जारी किए जाएंगे, जिससे उन अफसरों की परेशानी बढऩा तय माना जा रहा है, जिनके खिलाफ एसीबी जांच कर रहा है या फिर जांच पूरी कर चुका है।

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नए आदेश से बदल गया नियम

नए आदेशों के अनुसार अब मुख्य सचिव कार्यालय के सतर्कता विभाग के जरिए लोकायुक्त के पास भ्रष्टाचार की जांच से जुड़े मामले भेजे जाएंगे। बहरहाल, 27 फरवरी 2018 को जारी किए आदेशों को रद्द करते हुए नए आदेशों की पालना करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आपको बता दें कि तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने एसीबी को पावरफुल बनाते हुए आदेश जारी किए थे कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सीधी लोकायुक्त के जरिये जांच होगी। लेकिन, प्रदेशभर के अफसरों के खिलाफ चल रही जांच की मुख्य सचिव कार्यालय तक सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही थी और न ही उन मामलों की जानकारी और रिपोर्ट सरकार को मिल रही थी, जिसके बाद सरकार ने यह संज्ञान लिया।