अलग विदर्भ राज्य की मांग ने फिर जोर पकड़ा

महाराष्ट्र

विदर्भ राज्य की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ा है। अलग विदर्भ राज्य के लिए दिल्ली के जंतर- मंतर पर हजारों कार्यकर्ताओं के साथ विदर्भ राज्य आंदोलन समिति ने एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद की है।

खबरों के मुताबिक बीजेपी ने 2014 के चुनाव के समय जनता को वादा किया था कि केंद्र में सरकार आने के 100 दिनों के अंदर अलग विदर्भ राज्य का निर्माण किया जाएगा। अब तक केंद्र में बीजेपी की सरकार ने दो कार्यकाल में करीब 8 साल पूरे कर लिए हैं। लेकिन विदर्भ का मसला जहां था वहीं है। केंद्र की इसी वादाखिलाफी के विरोध 7 अप्रैल 2022 को दिल्ली के जंतर-मंतर विदर्भ राज्य आंदोलन समिति(VRAS) ने अपनी आवाज एक बार फिर बुलंद की।

जंतर मंतर धरना आंदोलन के समय अविनाश काकडे, महिला फ्रंट अध्यक्षा रंजना मामर्डे, जेष्ठ पत्रकार एवं कोर कमेटी सदस्य प्रभाकर कोंडबत्तुनवार, पूर्व विदर्भ अध्यक्ष अरुण केदार, युवा अध्यक्ष मुकेश मासुरकर, नागपुर जिला संपर्क प्रमुख सुनील वडस्कर, बुलढाणा जिला अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश वानखेडे, अमरावती जिला अध्यक्ष राजेंद्र आगरकर, भंडारा जिला कार्याध्यक्ष विनोद भाबरे, गडचिरोली जिला समन्वयक  अरुण मुनघाटे, यवतमाल जिला अध्यक्ष प्राध्यापक पुरुषोत्तम पाटील, अकोला जिला अध्यक्ष सुरेश जोगले, वाशिम जिला अध्यक्ष विठ्ठल घाटगे, राष्ट्रीय जनसुराज्य पार्टी अध्यक्ष राजेश काकडे, पश्चिमांचल निर्माण के अध्यक्ष अजय कुमार, नितिन रोंघे,  प्राउटिस्ट ब्लॉक ऑफ इंडिया के आचार्य संतोषानंद, कपिल इद्दे, सुनील चोखरे आदि नेताओं के भाषण हुए।

आंदोलन में नरेश निमजे, अशोक पोरेड्डीवार, सुनीता येरणे, रेखा निमजे, वृषभ वानखेड़े, सुदाम राठोड़, राजेंद्र सिंह ठाकुर, नसीर शेख, सतीश प्रेमलवार, तात्यासाहेब मत्ते, विष्णु आष्टिकर, गुलाबराव धांडे, अशोक पाटील, गजानन अमदाबादकर, सतीश दाणी, हरिदास मेश्राम, अशोक पटले, समेत विदर्भ के 11 जिलों में से हजारों विदर्भवासी उपस्थित थे।

 दरअसर 1953 में विदर्भ को महाराष्ट्र में किए गए नागपुर करार के वजह से धकेला गया था लेकिन नागपुर करार का पालन नहीं किया गया। आंकड़ों की मानें तो पिछले 30 सालों में 47000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।

बेरोजगारी और उच्च शिक्षा की कमी की वजह से बड़े पैमाने पर युवाओं ने पलायन किया। 2009 की जनगणना अनुसार विदर्भ की जनसंख्या दिनों दिन कम होती जा रही है। विदर्भ में 23 प्रकार के खनिज पदार्थ होने के बावजूद विदर्भ की जनता को बेरोजगारी, कुपोषण एवं नक्सलवाद का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में विदर्भ की जनता ने केंद्र की मोदी सरकार से विदर्भ को अलग राज्य का दर्जा देने की अपील की है।

READ: Protest for separate Vidarbha, VRAS, khabrimedia, latest hindi news, latest breaking news

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *