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Heart Syndrome: भारत के 70 लाख लोगों के लिए बड़ा खतरा!

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Heart Syndrome: भारत में 70 लाख लोग HCM से प्रभावित, जानिए इसका कारण और इलाज

Heart Syndrome: भारत में लगभग 70 लाख लोग थिक हार्ट सिंड्रोम (HCM) के खतरे से जूझ रहे हैं, जो एक गंभीर जेनेटिक कंडीशन (Genetic Condition) है। यदि आपके परिवार में दिल की बीमारी की हिस्ट्री रही है, तो आपको इस बीमारी के लिए रेगुलर चेकअप (Regular Checkup) करवाने की सलाह दी जा रही है। थिक हार्ट सिंड्रोम (Thick Heart Syndrome) दिल की नसों के अत्यधिक मोटे होने के कारण होता है, जिससे दिल (Heart) सही तरीके से रक्त पंप नहीं कर पाता, और इससे अचानक दिल का दौरा या मृत्यु का जोखिम बढ़ सकता है। पढ़िए पूरी खबर…
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थिक हार्ट सिंड्रोम (HCM) क्या है?

थिक हार्ट सिंड्रोम, जिसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HCM) भी कहा जाता है, एक जेनेटिक रोग है जो दिल की मांसपेशियों के विकास को प्रभावित करता है। यह बीमारी खासतौर पर जीन म्यूटेशन (Gene Mutations) के कारण होती है। एक अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में हर 200 में से 1 व्यक्ति को यह सिंड्रोम होता है। भारत में लगभग 2.86 से 7.2 मिलियन लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं।

थिक हार्ट सिंड्रोम (HCM) के लक्षण

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षित नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. ऋचा पांडे (Dr. Richa Pandey) के मुताबिक, HCM के बहुत से मरीजों में कोई लक्षण नहीं होते, जिससे यह बीमारी एक साइलेंट किलर बन जाती है। लेकिन, कुछ मरीजों को श्वास की तकलीफ, सीने में दर्द, चक्कर, बेहोशी या दिल की तेज धड़कन जैसी समस्याएं हो सकती हैं, विशेष रूप से शारीरिक मेहनत करते समय। इसलिए, इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

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थिक हार्ट सिंड्रोम का निदान

थिक हार्ट सिंड्रोम (Thick Heart Syndrome) का निदान आमतौर पर कुछ आसान परीक्षणों जैसे इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) और इकोकार्डियोग्राम (Heart Ultrasound) के माध्यम से किया जाता है। इन टेस्टों से दिल की मांसपेशियों की मोटाई का पता चलता है। कभी-कभी, MRI की आवश्यकता भी हो सकती है। जेनेटिक टेस्टिंग के द्वारा भी इस सिंड्रोम का निदान किया जा सकता है।

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थिक हार्ट सिंड्रोम का इलाज

थिक हार्ट सिंड्रोम (Thick Heart Syndrome) का इलाज स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। हल्के मामलों में दवाएं जैसे बीटा-ब्लॉकर्स और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स दिल को आराम देने और रक्त प्रवाह को सुधारने में मदद करती हैं। गंभीर मामलों में, दिल की मांसपेशियों की मोटाई को कम करने के लिए सर्जरी या इम्प्लांटेबल डिफिब्रिलेटर (ICD) की आवश्यकता हो सकती है।