Exit Poll क्या है? कहानी एग्जिट पोल की

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Exit Poll 2023: देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) का अंतिम चरण आज है। जैसे-जैसे आज 30 नवंबर का दिन बीतेगा और शाम करीब आती जाएगी। आम जनता के साथ नेताओं के मन में भी काफी उथल-पुथल मच जाएगी। वहीं पांच राज्यों के चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आएंगे लेकिन उससे पहले आज एग्जिट पोल (Exit Poll) में तस्वीर साफ हो जाएगी।

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एमपी (MP) में क्या बीजेपी वापसी कर रही है। राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस सत्ता बचा पाएगी। ऐसे न जाने कितने सवाल सियासी फिजा में तैरने लगेंगे। ऐसे में कहा जा सकता है कि एग्जिट पोल जनता का मूड बताते हैं। वोटिंग पैटर्न दिखाते हैं और नेताओं की धड़कनें भी बढ़ती हैं। जब तक अंतिम परिणाम नहीं आ जाते, एग्जिट पोल की ही चर्चा होती रहती है।

एग्जिट पोल क्या हैं? | Exit Polls Kya Hai

एग्जिट पोल करने वालों की एक टीम होती है, जो मतदाता (Voter) से सवाल करती है। जब वे मतदान केंद्र से बाहर निकल रहे होते हैं। वहीं मतदान के दिन एकत्र की गई जानकारी के आधार चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी की जाती है। भारत में कई संगठन एग्जिट पोल करते हैं।

एग्जिट पोल के बारे में रोचक जानकारी

एग्जिट पोल को सबसे पहले नीदरलैंड के पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम (Marcel Von Damm) ने की थी।

वॉन डैम ने पहली बार 15 फरवरी 1967 को इसका इस्तेमाल किया था। उस समय नीदरलैंड में हुए चुनाव में उनका आकलन बिल्कुल सटीक रहा था।

भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (IIPU) के प्रमुख एरिक डी कोस्टा ने की थी।
1996 में एग्जिट पोल सबसे अधिक चर्चा आए। उस समय दूरदर्शन ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (CSDS) को देशभर में एग्जिट पोल कराने के लिए अनुमति दी थी। 1998 में पहली बार टीवी पर एग्जिट पोल का प्रसारण किया गया।

जानिए ओपिनियन पोल से कितना अलग?

एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल (Exit Poll And Opinion Poll) में भ्रमित मत होइएगा। ओपिनियन पोल चुनाव से पहले और एग्जिट पोल मतदान पूरा होने के बाद सामने आते हैं। ओपिनियन पोल में वोटर अपनी राय देते हैं उसी आधार पर सर्वे सामने आता है। विडंबना यह है कि इसमें वे लोग भी अपनी राय दे सकते हैं जो वोटिंग करें ही न।

जबकि एग्जिट पोल अपेक्षाकृत सटीक कहा जा सकता है क्योंकि इसमें वे लोग शामिल होते हैं जो चुनाव वाले दिन वोट डालकर निकले होते हैं। नियम यह कहता है कि आखिरी चरण का मतदान खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं। आज शाम यह समय सीमा साढ़े छह बजे की है।

वैसे तो एग्जिट पोल 1980 के दशक में शुरू हो गए थे। सीएसडीएस ने देशव्यापी सर्वे (Nationwide Survey) किया और जब दूरदर्शन पर 1996 में यह प्रसारित हुआ तब लोकप्रियता बढ़ गई। एग्जिट पोल में जिसके खिलाफ रुझान आते हैं वे नेता या पार्टियां आरोप लगाते हैं कि एजेंसियों का तरीका, सवाल, प्रश्न का समय, पद्धति पक्षपाती थी।

आरोप यह भी लगते हैं कि एग्जिट पोल पारदर्शिता और जवाबदेही से परे होते हैं। वैसे, इस तरह के सर्वे को कई फैक्टर प्रभावित करते हैं इसलिए इसे 100 प्रतिशत सही नहीं माना जा सकता है। 1998 से प्राइवेट न्यूज चैनलों पर एग्जिट पोल का प्रसारण होता आ रहा है। दुनिया की बात करें तो सबसे पहले ऐसा सर्वे अमेरिका में हुआ था।

Exit Polls का कितना सही होता है ये अनुमान?

2004 का लोकसभा चुनाव हो या 2009 का आम चुनाव इसमें लगभग सभी एजेंसियों (Agencies) के दावे फेल हो गए थे। 2004 में दावा किया गया था कि एनडीए की वापसी हो रही है लेकिन कांग्रेस सत्ता में आई। 2009 में भी ऐसा ही हुआ। लेकिन 2014 में मोदी लहर में एग्जिट पोल काफी हद तक सटीक अनुमान लगा पाए

एग्जिट पोल आज शाम से प्रसारित होगें

मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनावों के लिए एग्जिट पोल आज शाम 6 बजे प्रसारित किए जाएंगे।

बंगाल चुनाव में फ्लॉप रहे एग्जिट पोल

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2021 का पश्चिम बंगाल (West Bengal) विधानसभा चुनाव आपको याद होगा। भाजपा ने इतना जबर्दस्त चुनाव प्रचार किया था कि लग रहा था वहां मोदी लहर पैदा हो गई है। एग्जिट पोल के नतीजों ने भी यही संकेत दिए। ज्यादातर एजेंसियों-चैनलों ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बताया था लेकिन नतीजों ने बता दिया कि बीजेपी का ग्राफ जरूर बढ़ा लेकिन भगवा पार्टी ममता बनर्जी का किला नहीं हिला पाई।

लेकिन 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव रहे हों या यूपी का 2012 का चुनाव एग्जिट पोल ने सटीक अनुमान लगाया। इस लिहाज से देखें तो एग्जिट पोल को पक्का तो नहीं कह सकते लेकिन एक संकेत दे जाते हैं।