वियतनाम में डॉ. विपिन कुमार को मिला विश्व हिंदी सेवा सम्मान

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विश्व हिन्दी परिषद के महासचिव, डॉ. विपिन कुमार को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अनुशंसा पर वियतनाम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा होचि मिन्ह सिटी,वियतनाम में विश्व हिंदी सेवा सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान डॉ. कुमार को हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में उनके उल्लेखनीय योगदान के रूप में प्रदान किया गया। आपको बता दें कि डॉ विपिन कुमार इससे पहले भी भारत सरकार के प्रतिनिधि एवं वक्ता के तौर पर विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस एवं फिजी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के मुख्य सम्पादक डॉक्टर विश्वरूप रॉय चौधरी के पहल पर इस सम्मान की घोषणा वियतनाम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा किया गया। इस सम्मान को डॉ. विपिन कुमार के नेतृत्व में ‘विश्व हिन्दी परिषद’ द्वारा सफलतापूर्वक आयोजित किए गए अधिकतम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों को मान्यता प्रदान करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि डॉ. विपिन कुमार ने पिछले दो दशकों से ‘विश्व हिन्दी परिषद’ के महासचिव के रूप में संस्था का कुशल नेतृत्व करते हुए हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए देश भर में कई महत्वपूर्ण सम्मेलन
का आयोजन किया है।

इस अवसर पर डॉ. कुमार ने हिंदी प्रेमियों एवं विश्व हिंदी परिषद के हज़ारों पदाधिकारियों एवं लाखों समर्पित सदस्यों के सामूहिक प्रयासों पर आभार जताते हुए कहा कि ये सम्मान न केवल उनका है बल्कि उन सभी लोगों का है जो जो हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में सतत कर्मण्यशील हैं। इस खास मौके पर डॉ. विपिन कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री श्री अमित शाह के प्रति आभार जताया।

उन्होंने इस मौके पर उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज वैश्विक स्तर पर हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व समुदाय से सहयोग और समर्थन की आवश्यकता है। जानकारी के लिए बता दें कि डॉ. विपिन कुमार का हिंदी के प्रति समर्पण एवं प्रतिबद्धता की वजह से विश्व में आयुष, मानवाधिकार, और सांस्कृतिक समृद्धि की दिशा में भी हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डॉ. विपिन ने हिन्दी भाषा और साहित्य पर कई पुस्तकों का लेखन भी किया है। इनमें “हिन्दी और समाज”,“सबका साथ, सबका विकास” शामिल है। निसंदेह डॉ. कुमार को मिले इस सम्मान से न केवल उनके उत्कृष्ट कार्यों को सराहना मिली है बल्कि हिंदी को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित करने में भी मदद मिली है।