बच्चे-बुजुर्ग सावधान..भारत समेत 41 देशों में फैला कोरोना का नया वेरिएंट

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COVID-19 In India: कोविड-19 का नया वैरिएंट दुनियाभर में फैल चुका है। ओमिक्रॉन (Omicron) के इस सबसे खतरनाक सब-वैरिएंट का नाम जेएन 1 (JN.1) है। विशेषज्ञों ने बताया है कि वे इसे नई लहर कहने से पहले कुछ और दिनों तक इंतजार करेंगे और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा घोषित यह वैरिएंट लिस्ट में आखिरी नहीं हो सकता। यह कितना खतरनाक है? इसके लक्षण क्या है? इस बारे में एक्सपर्ट की राय जान लीजिए।

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देशभर में कोविड-19 (COVID-19) के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 594 नए कोविड-19 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए है। इससे एक्टिव मामलों की संख्या 2311 से बढ़कर 2669 हो गई है। बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्क्रीनिंग और निगरानी करने की एडवाइजरी जारी की है। जिसमें सभी राज्यों से स्क्रीनिंग बढ़ाने, इन्फ्लूएंजा जैसी गंभीर श्वसन बीमारियों के मामलों की तुरंत रिपोर्ट करने, आरटी-पीसीआर टेस्ट को बढ़ाने और जीनोम अनुक्रमण के लिए पॉजिटिव नमूने इकट्ठे करने को कहा गया है।

जेएन 1 वैरिएंट 41 देशों में फैल चुका है

रिपोर्ट किए गए मामलों से पता चलता है कि भारत में कोरोना का नाम सब-वैरिएंट (Sub-Variant) के भी करीब 21 मामले सामने आए है। इस नए वैरिएंट का नाम जेएन 1 है। यह वैरिएंट अन्य देशों में भी तेजी से फैल रहा है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने इसके तेजी से बढ़ते प्रसार को देखते हुए, जेएन 1 को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में वर्गीकृत किया है। डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि जेएन 1 सब-वैरिएंट के सामने आने से कोरोना के मामलों में वृद्धि हो सकती है।

जेएन 1 वैरिएंट 41 देशों में फैल चुका है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक जेएन 1 मामलों के सबसे बड़े अनुपात वाले देश फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, सिंगापुर और स्वीडन आदि है।

जेएन 1 वैरिएंट किन लोगों में तेजी से फैल रहा है?

आईएमए कोविड टास्क फोर्स के डॉ. राजीव जयदेवन (Rajeev Jayadevan) ने बताया है कि नया स्ट्रेन वृद्ध लोगों और कई अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। उन्होंने कहा है कि जेएन 1 तेजी से फैलने वाला वैरिएंट है। यह आबादी के उन लोगों को परेशान कर सकता है जो कि कमजोर आयु वर्ग, वृद्ध लोग और जिन्हें पहले से कई बीमारियां हैं। ऐसे व्यक्तियों को इसके परिणामस्वरूप अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। और उसके बाद जटिलताएं बढ़ सकती हैं। यह नावंबर महीने से कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।

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डॉ जयदेवन ने कहा कि कोविड-19 से पीड़ित अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। सौभाग्य से इनमें से अधिकांश लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि अधिकांश कोविड मामले अब उन लोगों में हो रहे हैं जो यात्रा कर रहे है। और जो काम पर जाने के लिए पर्याप्त रूप से स्वस्थ हैं।

उन्होंने बताया कि बहुत से लोग कोविड को आम सर्दी समझ लेते हैं। यह बहुत अलग है, कोविड-19 हमारी रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। खासकर अगर यह बार-बार आता है। इसलिए हमें बार-बार सामान्य सर्दी हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि कोविड-19 संक्रमण होने से बेहतर है कि सावधानी बरती जाए। कोविड-19 से बचना ही सबसे अच्छा उपाय है, भले ही शुरुआती लक्षण हल्के हों।

जानिए क्या है जेएन 1 सब-वैरिएंट?

जेएन 1 सब-वैरिएंट की पहली बार पहचान अगस्त में की गई थी। यह ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट बीए.2.86 से बना है। साल 2022 की शुरुआत में बीए.2.86 ही कोरोना के मामलों में वृद्धि का कारण था। बीए.2.86 व्यापक रूप से नहीं फैला था। लेकिन इसने विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया था क्योंकि बीए.2.86 के स्पाइक प्रोटीन पर अतिरिक्त म्यूटेशन हुए थे और उसी तरह जेएन के स्पाइक प्रोटीन में भी एक अतिरिक्त म्यूटेशन है।

महाराष्ट्र के जीनोम सीक्वेंसिंग कॉर्डिनेटर डॉ. राजेश कार्यकार्ते (Rajesh Karyakarte) ने बताया है कि जेएन 1 सब-वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। जेएन 1 सब-वैरिएंट 30 अक्टूबर 2023 से 5 नवंबर 2023 के बीच सभी कोरोनो वायरस मामलों का केवल 3.3 फीसदी था लेकिन अब लगभग 1 महीने बाद इसके करीब 27 फीसदी मामले है। इसके प्रसार में लगभग 86 फीसदी की वृद्धि देखी गई है।

मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञ डॉ. लैंसलॉट पिंटो ने जेएन 1 की पहचान के लिए और अधिक रिसर्च पर जोर दिया है। उन्होंने बताया है कि यह नया वैरिएंट ओमिक्रॉन के पूर्ववर्ती सब-वैरिएंट बीए.2.86 से काफी मिलता-जुलता है जो केवल एक स्पाइक प्रोटीन में अलग होता है। यही कारण है कि यह संक्रामक हो सकता है और तेजी से फैल सकता है।

जानिए जेएन. 1 कितना खतरनाक है?

हेल्थ एक्सपर्ट चंद्रकांत लहरिया (Chandrakant Lahariya) ने बताया है कि भारत में लोग पहले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट समेत कई सब-वैरिएंट के संपर्क में आ चुके हैं और उन्हें COVID-19 वैक्सीन की कम से कम 2 डोज लग चुकी है। सार्स-सीओवी-2 वैरिएंट या उप-वैरिएंट के कारण गंभीर बीमारी होने का कोई नया जोखिम नहीं है।

सिएटल में फ्रेड हचिंसन कैंसर सेंटर में कोरोनो वायरस वेरिएंट की निगरानी करने वाले एक कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञानी जेसी ब्लूम ने बताया है कि जेएन 1 सब-वैरिएंट के कारण संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने के मरीजों की संख्या कितनी होगी? प्राप्त जानकारी के आधार पर डब्ल्यूएचओ को यह उम्मीद नहीं है कि जेएन 1 सब-वैरिएंट के कारण कोई अधिक खतरा होगा। लेकिन जेएन 1 संक्रमण तेजी से फैल रहा है इसलिए मामले तो बढ़ सकते हैं लेकिन मौजूदा सबूत यह नहीं बताते कि इसकी गंभीरता अधिक है।

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महाराष्ट्र (Maharashtra) के जीनोम सेक्वेंसिंग कॉर्डिनेटर डॉ. कार्यकार्ट ने बताया है कि यह कम जोखिम वाला संक्रमण है और पहले संक्रमण और टीकाकरण वाले लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।

जीनोम रिसर्चर विनोद स्कारिया और बानी जॉली ने बताया है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस लगातार विकसित हो रहा है। और नई लीनेज बना रहा है। जेएन 1 ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट है जिसके स्पाइक प्रोटीन में एक अतिरिक्ट म्यूटेशन है। मजबूत इम्यूनिटी से बचने का मतलब यह होगा कि जेएन 1 अन्य वेरिएंट से कॉम्पिटिशन कर सकता है।

अब जानिए क्या है जेएन 1 के लक्षण?

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) का कहना है अभी यह पता नहीं चला है कि जेएन 1 के लक्षण अन् वैरिएंट और सब-वैरिएंट से अलग हैं या पुराने वाले ही है। या कोई ऐसे संकेत भी नहीं मिले हैं जिनसे पता चले कि जेएन 1 अधिक गंभीर है। किसी भी व्यक्ति को क्या और कितने लक्षण दिख रहे है। यह आमतौर पर उस व्यक्ति की इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ पर निर्भर करता है।

सीडीसी के मुताबिक सामान्य कोविड-19 लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सांस लेने में कठिनाई, थकान, मांसपेशियों में दर्द, स्वाद या गंध की हानि, गले में खराश, नाक बहना, उल्टी और दस्त शामिल है।

मास्क पहनें, सभी का टेस्ट जरूरी नहीं

वहीं डब्ल्यूएचओ की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने बताया है कि मौसमी फ्लू जैसे इन्फ्लूएंजा ए (एच1एन1 और एच 3एन2), एडेनोवायरस, राइनोवायरस और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण होने वाले श्वसन संक्रमण, मानसून से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते है। जो कोविड-19 लक्षणों की कॉपी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लक्षणों वाले हर किसी व्यक्ति का परीक्षण करना संभव नहीं है। हमें गंभीर श्वसन संक्रमण या निमोनिया से पीड़ित अस्पताल में भर्ती लोगों का परीक्षण करना चाहिए।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य के पूर्व निदेशक डॉ. के. कोलांडाइसामी ने बताया है कि शादी हॉल, ट्रेनों और बसों जैसी बंद भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना एक अच्छा आइडिया है। यह कोविड सहित कई वायु-जनित बीमारियों को रोक सकता है। लेकिन अभी तक मास्क को अनिवार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और प्रतिरक्षा की कमी वाले लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें मास्क अवश्य पहनना चाहिए। श्वसन संक्रमण, सर्दी और खांसी वाले लोगों को भी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना चाहिए।

क्या नया वैरिएंट चिंता का विषय है?

संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अमीत द्रविड़ (Ameet Dravid) बताया है कि वायरस मजबूत होने के लिए म्यूटेट होता है और यह प्रोसेस जारी रहेगी। अभी तक हम अस्पतालों में ऊपरी श्वसन पथ के हल्के संक्रमण का इलाज कर रहे है। लेकिन मामलों में बढ़ोतरी की संभावना है क्योंकि वैरिएंट इम्यूनिटी को बेअसर कर सकता है। वैक्सीन की दूसरी डोज उन लोगों के लिए जरूरी है जिन्होंने अभी तक एक डोज ही ली है। शरीर में दर्द, गले में खराश या खरोंच, थकान, सिरदर्द, खांसी, बुखार जैसे लक्षण ही सामने आए है। कोई विशेष लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं।

भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर मास्क जरूरी

डॉ. अमीत द्रविड़ ने यह भी कहा है कि जैसे-जैसे कोरोना के नए मामले (New Cases) सामने आ रहे है। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर मास्क अनिवार्य करने की आवश्यकता है। साथ ही साथ खांसते और छींकते समय अपना मुंह और नाक ढकने जैसी प्रैक्टिस को फिर से रूटीन में शामिल करना चाहिए।