CBSE: सीबीएसई बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए एक जरूरी खबर सामने आई है।
CBSE: सीबीएसई बोर्ड एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स (Students) के लिए जरूरी खबर है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) अगले साल से 10वीं कक्षा के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षा (Board Exams) आयोजित करेगा। जून 2025 में हुई गवर्निंग बॉडी की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। यह बदलाव 2026 से लागू होगा, जिसका उद्देश्य छात्रों को एकेडमिक फ्लेक्सिबिलिटी देना और परीक्षा संबंधी तनाव को कम करना है। पढ़िए पूरी डिटेल्स…

आपको बता दें कि नई व्यवस्था के तहत सभी छात्रों (Students) को फरवरी के मध्य में होने वाली पहली बोर्ड परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य होगा। पहली परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले छात्र, जिनके कुछ विषयों में कम अंक आए हैं, मई में होने वाली दूसरी परीक्षा में शामिल होकर अपने अंकों में सुधार कर सकेंगे। दूसरी परीक्षा में विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषा में से अधिकतम तीन विषय चुने जा सकेंगे।
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इन छात्रों को नहीं मिलेगा मौका
पहली परीक्षा में तीन या उससे अधिक विषयों में असफल होने वाले छात्र दूसरी परीक्षा में बैठने के पात्र नहीं होंगे। ऐसे छात्रों को ‘आवश्यक पुनरावृत्ति’ श्रेणी में रखा जाएगा और उन्हें अगले वर्ष परीक्षा दोबारा देनी होगी। वहीं, कम्पार्टमेंट रिजल्ट वाले छात्र कम्पार्टमेंट श्रेणी में दूसरी परीक्षा दे सकते हैं।
खेल और विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए प्रावधान
खेलों में भाग लेने वाले छात्रों, सर्दियों में स्कूल जाने वाले छात्रों और विशेष आवश्यकता वाले उम्मीदवारों के लिए समान पहुंच और लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। मुख्य परीक्षा से पहले एक बार आंतरिक मूल्यांकन भी होगा, और दोनों परीक्षाओं का पाठ्यक्रम पूरे शैक्षणिक वर्ष को कवर करेगा।
परिणाम और प्रवेश प्रक्रिया
पहली परीक्षा के नतीजे अप्रैल में और दूसरी परीक्षा के नतीजे जून में घोषित होंगे। छात्र पहली परीक्षा के परिणामों के आधार पर ग्यारहवीं में प्रवेश ले सकते हैं, लेकिन अंतिम पुष्टि दूसरी परीक्षा के परिणामों के बाद होगी। योग्यता प्रमाण पत्र दूसरी परीक्षा के बाद ही प्रदान किए जाएंगे।
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अतिरिक्त अवसर से घटेगा दबाव
CBSE का कहना है कि यह दो-परीक्षा प्रणाली छात्रों को अपने अंक सुधारने का अतिरिक्त अवसर देगी, निरंतर सीखने को प्रोत्साहित करेगी और एक ही परीक्षा से जुड़े दबाव को कम करेगी। यह बदलाव एनईपी-2020 के दिशानिर्देशों के तहत भारत की माध्यमिक शिक्षा प्रणाली में एक अहम कदम माना जा रहा है।