क्या है CAA..कैसे होगा लागू..किन लोगों को होगा फायदा..पूरी क्रोनोलॉजी समझिए

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Citizenship Amendment Act: केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला ले लिया है। आपको बता दें कि मोदी सरकार (Modi Government) ने नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। केंद्र सरकार (Central Government) का यह लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत (India) की नागरिकता (Citizenship) दी जा सकेगी। इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर अप्लाई करना होगा। आपको बता दें कि, 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले बीजेपी ने सीएए को अपने घोषणा पत्र में लाया था और अब इसे लागू कर पूरा किया।

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जान लीजिए क्या है CAA

गृह मंत्री अमित शाह ने CAA को लेकर बोले कि देश के मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है और CAA को लेकर भड़काया जा रहा है। CAA सिर्फ उन देशों के अल्पसंख्यक लोगों (Minority People) को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश (Bangladesh) से भारत आए हैं। यह किसी की भारतीय नागरिकता छीनने वाला कानून नहीं है।

जानिए किन्हें मिलेगी नागरिकता

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए एक कानून है। एक बार सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद मोदी सरकार 31 दिसंबर,2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देगी।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019, भारत के 3 पड़ोसी देशों से धार्मिक आधार पर परेशान किए गए और भारत आए शरणार्थीयों को, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण मांगी थी, उनको भारत की नागरिकता का अधिकार देने का कानून है। ये तीन देश- अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश हैं।
6 माइनॉरिटी कम्युनिटी – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई

जानिए क्या हैं प्रमुख मुद्दे

पुनर्वास और नागरिकता की कानूनी बाधाओं को खत्म करता है।
दशकों से पीड़ित शरणार्थीयों को सम्मानजनक जीवन देना।
नागरिकता अधिकार से उनके सांस्कृतिक, भाषिक, सामाजिक पहचान की रक्षा होगी
साथ ही आर्थिक, व्यवसायिक, फ्री मूवमेंट, संपत्ति खरीदने जैसे अधिकार सुनिश्चित होंगे।

CAA को लेकर फैलाई गई गलतफहमियां

CAA कानून को लेकर काफी गलफहमियां फैलाई गई हैं। लोगों को यह लगता है कि यह कानून नागरिकता छीनने का कानून है। लेकिन ऐसा नहीं है, यह नागरिकता देने का कानून है, CAA से किसी भी भारतीय नागरिक के नागरिकता नहीं छीनेगा, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।
CAA कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें सालों से उत्पीड़न सहना पडा और जिनके पास दुनिया में भारत के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। भारत का संविधान हमें यह अधिकार और शक्ति देता है कि मानवतावादी दृष्टिकोण से धार्मिक शरणार्थियों को मूलभूत अधिकार मिले और ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान की जा सके।
कोरोना महामारी के कारण नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने में देरी हुई। लेकिन अब इसे लागू किया जा रहा है।

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2016 और 2019 में पेश किया जा चुका था CAA

नागरिकता संशोधन विधेयक को पहले 8 जनवरी, 2019 को लोकसभा से पारित किया गया था। 16वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही वह समाप्त भी हो गया था। इसलिए विधेयक को 17वीं लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने फिर से पेश किया। दोनों सदनों से पास होने और राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह विधेयक अधिनियम बन गया।

इससे पहले साल 2016 में भी नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA Bill) लोकसभा में 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने के लिए पेश किया गया था। तब इस विधेयक को एक संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था। और समिति की रिपोर्ट बाद में 7 जनवरी, 2019 को आई थी।

पीड़ित अल्पसंख्यकों नागरिकता देने का कानून

नागरिकता संशोधन अधिनियम पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का कानून है। इस कानून में किसी की नागरिकता छीनना नहीं बल्कि पीड़ित लोगों को भारत की नागरिकता देना है। शरणार्थियों को छह साल के भीतर भारत की नागरिकता दे दी जाएगी। संशोधन के जरिए इन शरणार्थियों की नागरिकता के लिए निवास की जरूरत को 11 साल से घटाकर पांच साल कर दिया गया।

सड़कों पर होने वाले उग्र शक्ति प्रदर्शन से निपटने की तैयारी

CAA लागू करने के बाद देशभर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी पूरी तैयारी की गई है। एंटी सीएए आंदोलन के बाद सड़कों पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन के तौर पर दो-दो किसान आंदोलनों को शांत कर सरकार ने सुरक्षा के इंतजामों का लेयर भी तैयार है। असम और पश्चिम बंगाल में होने वाले उग्र विरोधों को देखते हुए सीमा सुरक्षा बलों का दायरा भी पहले ही 50 किलोमीटर से बढ़ाकर सौ किलोमीटर कर दिया गया था। आपको बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने भी पहले कहा था कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कि सीएए नियमों को अधिसूचित और लागू किया जाएगा।