1200 करोड़ की संसद की क्या है खासियतें..पढ़िए

उत्तरप्रदेश दिल्ली दिल्ली NCR

उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
New Parliament Building: आजादी के 75 सालों बाद देश को खुद का संसद भवन मिल चुका है। जिसमें कल यानि कि 19 सितंबर से काम काज शुरू हो गया है। नए संसद भवन के लोकसभा भवन में दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर तो वहीं 2 बजकर 15 मिनट पर राज्यसभा में कार्यवाही शुरू हुई, यह पल देश के लिए एतिहासिक पल रहा है। नए संसद भवन में कुल 1280 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। क्या आप जानते हैं कि इस अत्याधुनिक और पहले से विशाल एरिया में फैले नए संसद भवन की इमारत को तैयार करने में कितना खर्चा (New Parliament Building Cost) आया है? आइए जानते हैं इससे जुड़ी पांच खास बातें….

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नए भवन में बैठ सकते हैं इतने सदस्य
सबसे पहले बात कर लेते हैं नए संसद भवन की इमारत के बारे में, तो बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इसी साल मई महीने में इस नए संसद भवन का उद्घाटन किया था। विशाल भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्य आराम से बैठ सकते हैं। अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होने की स्थिति में लोकसभा कक्ष में कुल 1280 सदस्य बैठ सकते हैं।
971 करोड़ रुपये का था ये प्रोजेक्ट
पीएम मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी और तीन साल से कम समय में यह बनकर तैयार खड़ा है। 64,500 वर्ग मीटर में फैली ये चार मंजिला इमारत त्रिकोणीय आकार की है। एरिया के हिसाब से देखें तो ये पुराने संसद भवन से करीब 17,000 वर्ग मीटर बड़ा है। इसके साथ ही इसे अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया गया और इस पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसकी आधारशिला रखी गई थी, तो इसे बनाने का प्रोजेक्ट Tata Projects को दिया गया था और इसके निर्माण में आने वाली अनुमानित लागत 971 करोड़ रुपये तय की गई थी।
इन कारणों से बढ़ गई निर्माण की लागत
टाटा प्रोजेक्ट्स ने नए संसद भवन की इमारत का निर्माण कार्य तेजी से शुरू किया, लेकिन दो साल बाद जनवरी 2022 में इसकी लागत 200 करोड़ रुपये और बढ़ने की जानकारी साझा की गई। स्टील और अन्य सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य कार्यों ने इसका बजट बढ़ाने का काम किया। इसमें मॉर्डन ऑडियो-वीडियो विजुअल सिस्टम, सांसदों की टेबल पर टैबलेट जैसी चीजों ने खर्च में बढ़ोतरी में बड़ा रोल निभाया। सोर्सेज के मुताबिक, सेंट्रल पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट (CPWD) ने 200 करोड़ की वृद्धि के बाद संसद भवन का बजट 1200 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद जताई थी। अब ये लगभग 1200 करोड़ रुपये की इमारत अपने काम को अंजाम देने के लिए पूरी तरह तैयार है।


अधिकारी-कर्मचारियों के हाईटेक ऑफिस
चार मंजिला इस नए संसद भवन में सुरक्षा के लिहाज से कई इंतजाम किए गए हैं। इसमें छह प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से तीन अश्व, गज और गरुड़ गेट औपचारिक द्वार हैं। इन गेटों का इस्तेमाल उपराष्ट्रपति, स्पीकर और प्रधानमंत्री करेंगे। वहीं तीन अन्य द्वार मकर गेट, शार्दूल गेट और हंस गेट का इस्तेमाल सांसदों और पब्लिक के लिए किया जाएगा। इस हाईटेक संसद में अधिकारियों और कर्मचारियों के ऑफिसों को भी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बनाया गया है। इसमें कैफे, डाइनिंग एरिया कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक डिवाइसेज लगाए गए हैं। कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था है।
इस कंपनी ने तैयार की है नई संसद की डिजाइन
भारी-भरकम लागत से कम समय में तमाम तरीके के हाईटेक सुरक्षा व्यवस्थाओं से लैस नए संसद भवन का डिजाइन गुजरात बेस्ड एक आर्किटेक्चर फर्म HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है और बिल्डिंग के मुख्य आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं, जो कई बड़ी इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं। उन्हें साल 2019 में आर्किटेक्टर क्षेत्र में असाधारण काम के लिए पद्मश्री भी मिल चुका है। उन्होंने विश्वनाथ धाम काशी विश्वनाथ मंदिर, गुजरात हाईकोर्ट बिल्डिंग, आईआईएम अहमदाबाद कैंपस, टाटा सीजीपीएल टाउनशिप, साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट और पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी सहित कई बड़ी बिल्डिंग्स डिजाइन की हैं।

पुराने भवन से कितना अलग?
संसद के नए और पुराने भवन की तुलना करें तो पुराना संसद भवन करीब 6 साल के वक्त में 1927 में बनकर तैयार हुआ था। जबकि नया भवन तीन साल से कम समय में तैयार कर दिया गया। पुराने भवन को वर्तमान आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त पाया गया और बैठने की व्यवस्था भी तंग थी। इसलिए नए भवन का निर्माण किया गया। 566 मीटर व्यास में बने पुराने भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्यों की क्षमता है। करीब सौ साल पुराने इस भवन में दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों के दौरान अधिक जगह की आवश्यकता महसूस की गई थी।


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