Supertech इकोविलेज-1 का ‘पोल-खोल’ वाला वीडियो!

दिल्ली NCR

ग्रेटर नोएडा वेस्ट(Greater Noida West) की सोसायटी है सुपरटेक इकोविलेज-1(Supertech Ecovillage-1) जिसमें 5 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। सोसायटी भी बड़ी है इसलिए समस्याएं भी बड़ी हैं। जिसकी वजह से यहां रहने वाले निवासी सालों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं आरोपों के मुताबिक मैनेजमेंट पैसे कमाने के नए नए हथकंडे अपना रही है।

इसी संदर्भ में 30 जुलाई को यहां के निवासियों ने फैसिलिटी का घेराव किया था। स्थानीय निवासियों के मुताबिक इस संदर्भ में फैसिलिटी हेड से बात हुई थी जिसपर फैसिलिटी के तरफ से आश्वाशन दिया गया था की इसपर उचित कदम उठाया जाएगा और इसके लिए एक हफ्ते का समय निवासियों को दिया गया था।

स्थानीय निवासियों के मुताबिक मामला गेट पास के नाम पर अवैध वसूली से जुड़ा है। आरोप YG फैसिलिटी के साथ साथ एस्टेट प्रॉपर्टी की मिली भगत का है। आरोपों के मुताबिक अवैध वसूली का खेल कई महीनों से चल रहा है, आरोपों के मुताबिक मामला तब संज्ञान में आया जब कई निवासियों के साथ ये वाक्या अचानक बढ़ गया। गेट पास के लिए फैसिलिटी 2000 रुपया लेती है पर वह गेट पास तब तक नहीं बनाती जब तक एस्टेट प्रॉपर्टी को 15 दिन का किराया भुगतान नहीं किया जाता,ऐसा कई किरायेदारों के साथ हो चुका था।

ये मामला तब सामने आया जब कुछ किरायेदारों ने अपने फ्लैट मालिक को ये बात बताई जबकि किरायेदार किसी अन्य ब्रोकर के थ्रू या फिर nobroker.com या फिर डायरेक्ट ऑनर के थ्रू फ्लैट लिया था फिर भी यहां उनसे अवैध वसूली की जा रही थी। मामला और ज्यादा तूल पकड़ा जब ये लोग इंटरनल शिफ्टिंग पर भी पैसे की डिमांड करने लगे।

एक हफ्ते बाद भी किसी प्रकार का फैसिलिटी के तरफ से कोई ज़बाब नहीं आने पर यहां के निवासियों ने इस अवैध वसूली के खिलाफ सबूत के साथ ACP सेंट्रल और SHO,बिसरख को लिखित शिकायत दी और अपनी आपबीती बताई जिसमे एम के महिंद्रा,राहुल,मनोज जोशी,गौतम बासु, शमर सिंह,संजय शर्मा,नीरज चौधरी,अरुण गुप्ता समेत तमाम निवासी मौजूद रहे। पुलिस प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच कर उचित कार्यवाही करने का भरोसा दिया है।

जांच का जिम्मा राइस चौकी इंचार्ज भरत सिंह को सौंपी गई है और निवासियों को भरोसा है की कानून अपना कार्य बखूबी निभायेगी। निवासियों का कहना है की YG एस्टेट फैसिलिटी जो यहां सोसाइटी का रख रखाव भी ढंग से नहीं कर पा रही है और ऊपर से इस प्रकार का आर्थिक शोषण जिसका कोई औचित्य नहीं है,लिप्त है। यहां रहने वाले निवासी इस बात से परेशान और हैरान हैं की हम सभी मेंटेनेंस हर महीने जितना दे रहे हैं,उतनी सुविधा नहीं मिल रही है। कई बार निवासी ऑडिट कराने की मांग कर चुके हैं लेकिन मैनेजमेंट मौन है। आरोपों के मुताबिक इस तरह की अवैध वसूली के एवज में निवासियों को कोई जीएसटी का बिल नहीं दिया जाता है। मांगने पर एक रसीद मिलती है कभी वो भी नहीं ..और उसमे भी जो 15 दिन का किराया पर तो कुछ भी नहीं मिलता।

यहां के निवासियों में इस अवैध वसूली को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है।अब प्रशासन के ऊपर भरोसा है अगर वहां भी न्याय नहीं मिला तो मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी जाएगी और जरूरत पड़ने पर आंदोलन भी किया जायगा।

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