Property Knowledge News: किराएदार.. हड़प सकता है आपका घर!

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Property Knowledge News: बड़े – बड़े शहरों में अधिकतर लोग ज्यादा इनकम जेनरेट करने के लिए अपने घर में बचे एक्स्ट्रा कमरों को किराए पर उठाते हैं क्योंकि ये पैसे कमाने के सबसे आसान तरीकों में से एक होता है। लेकिन मकान मालिक की एक स्माल मिस्टेक के कारण किरायेदार ही प्रॉपर्टी का कारण बन बैठता है। जानिए खबर को डिटेल में:
लेकिन कई सालों तक अपने मकान को किराएदार के हवाले छोड़ देना भारी हो सकता है। किरायेदार के भरोसे घर को छोड़ देते हैं। उनका किराया हर महीना उनके अकाउंट में पहुंच जाता है, ऐसे में शायद ही आपको पता हो कि ये करना मकानमालिक को कितनी मुसीबत में डाल सकता है।

बहुत बार ऐसा होता है कि मकान मालिक को अपनी संपत्ति से हाथ तक धोना पड़ सकता है। क्योंकि मकान मालिक की एक लापरवाही उसे भारी पड़ सकते हैं। यही मकान मालिक को सचेत करने कि आवश्यकता होती है।

क्योंकि प्रॉपर्टी के कानून में कुछ ऐसे कानून हैं, जिसकी वजह से किरायेदार के हक का दावा का सकता है। ऐसे में आज हम आपको प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ ऐसे कानून के बारे में जानकारी देंगे जो सारे मकान मालिक को पता ही होना चाहिए।

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जानिए कि कैसे किरायेदार जता सकता है अपना मालिकाना हक
प्रॉपर्टी के कानूनों में कुछ इस तरह के नियम हैं, जहां यदि आप लगातार 12 वर्षों तक किसी प्रॉपर्टी पर रहने के बाद किरायेदार उस पर हक का दावा कर सकता है। लेकिन इसके लिए भी शर्तें काफी कठिन है। लेकिन आपकी संपत्ति घेरे में आ सकती है, प्रतिकूल कब्जे का कानून देश की आजादी के पहले का है। प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे का ये कानून है।

अहम बात तो ये है कि ये कानून सरकारी संपत्ति पर लागू नहीं होता है, कई बार तो इस वजह से मालिक को अपनी संपत्ति से हाथ तक धोना पड़ जाता है। किराए में रहने वाले लोग इस कानून का फायदा उठाने की पूरी कोशिश करते हैं। इस कानून के तहत ये साबित करना होता है कि बहुत लंबे समय से आपका प्रॉपर्टी के उपर कब्जा था। साथ ही किसी तरह का रोक टोक भी नहीं किया गया हो। प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वाले को टैक्स, बिजली, रसीद, पानी का बिल, गवाहों के एफिडेविट आदि की भी जानकारी देनी जोती है।

क्या है बचने का तरीका
इससे बचने का ये तरीका ये है कि आप रेंट एग्रीमेंट बनवा लें। साथ ही संभव हो तो समय पर किरायेदारों को भी आप बदलते रहें। मकान मालिक और किरायेदार के बीच हुई रेंटल एग्रीमेंट यानी किरायानामा के जरिए कानूनी कार्यवाही होती है।

रेंट एग्रीमेंट में किराए से लेकर और भी कई तरह की जानकारियां लिखी रहती हैं। रेंट एग्रीमेंट हमेशा 11 महीने के लिए बनता है।

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