Noida News: नोएडा में छात्रों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए सरकार ने नया नियम लागू किया है।
Noida News: नोएडा में छात्रों का स्क्रीन टाइम (Screen Time) कम करने के लिए सरकार ने नया नियम लागू किया है। अब स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस (Smart Classes) सीमित होंगी और बच्चों को किताबों से जोड़ने पर जोर दिया जाएगा। पुस्तकालयों में गतिविधियां आयोजित होंगी, छात्रों (Students) को हर हफ्ते एक किताब दी जाएगी, स्कूल पत्रिकाएं तैयार की जाएंगी और प्रतियोगिताओं में ट्रॉफी के बजाय पुस्तकें पुरस्कार के रूप में दी जाएंगी। पढ़िए पूरी खबर…

सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश
सरकार ने जिले के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को निर्देश जारी किए हैं कि छात्रों के जीवन में बढ़ते स्क्रीन टाइम को कम किया जाए। बच्चों का अधिकांश समय मोबाइल फोन और इंटरनेट मीडिया पर बीत रहा है, जिससे उनकी पढ़ने की आदत पर असर पड़ा है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्कूलों के छात्रों को किताबों से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
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सप्ताह में दो बार ही होंगी स्मार्ट क्लासेस
आदेश के अनुसार, अब स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस सप्ताह में सिर्फ दो बार ही स्क्रीन के माध्यम से संचालित की जाएंगी। वहीं, सीमित संख्या में छात्रों को ही व्हाट्सएप के जरिए अध्ययन सामग्री दी जाएगी। इसका उद्देश्य छात्रों को डिजिटल माध्यमों की बजाय पुस्तकों से अधिक जोड़ना है।
किताबों से जुड़ेंगे छात्र
छात्रों की वैचारिक और तार्किक समझ विकसित करने और पढ़ने की आदत बढ़ाने के लिए राज्य के जिला पुस्तकालयों और स्कूलों में विशेष गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। हर स्कूल को अपने स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन करने के निर्देश दिए गए हैं।
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हर छात्र को मिलेगी एक किताब
हर छात्र को हर हफ्ते पुस्तकालय से एक किताब अनिवार्य रूप से दी जाएगी। यह किताब पाठ्यक्रम से बाहर की होगी, जैसे कहानी, उपन्यास, जीवनी या प्रेरणादायक साहित्य। इसका उद्देश्य छात्रों में साहित्यिक रुचि और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना है।
स्कूल में बनेगी पत्रिका
सरकार के निर्देशों के तहत, हर स्कूल में एक स्कूल पत्रिका बनाई जाएगी। इसका संपादन छात्र स्वयं करेंगे, जिससे उनके लेखन कौशल और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।
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‘पुस्तकें, गुलदस्ते नहीं’ अभियान
छात्रों को पुस्तकों से जोड़ने के लिए ‘पुस्तकें, गुलदस्ते नहीं’ नाम का विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के विजेताओं को ट्रॉफी या स्मृति चिन्ह के बजाय पुस्तकें पुरस्कार के रूप में दी जाएंगी। इससे बच्चों में किताबों के प्रति लगाव बढ़ेगा और वे ज्ञान की ओर अधिक प्रेरित होंगे।

