उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Jewar Airport: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के जेवर में एक बड़ा एयरपोर्ट (Jewar Airport) बनाया जा रहा है। इस एयरपोर्ट को लेकर बड़ी उम्मीदें हैं कि यह प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी को नई ऊंचाई पर ले जाने का काम करेगा। इस एयरपोर्ट के बनने से दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट (IGI) पर भी दबाव कम होगा। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने ग्रेटर नोएडा में बन रहे इस नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) को तीन अक्षर का कोड DXN दिया है।
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नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के सीईओ क्रिस्टोफ शनेलमैन ने कहा कि इस एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए यह एक बड़ा कदम है। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए क्रिस्टोफ ने कहा कि हम बहुत ही उत्साहित हैं। आज इस प्रोजेक्ट में एक और मील का पत्थर जुड़ गया है और IATA ने एयरपोर्ट को तीन अक्षर का कोड DXN दिया है। इसी तीन अक्षर के कोड का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन कंपनियां (International Airlines) और ट्रैवल एजेंसियां (Travel Agencies) नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए करेंगी।
उन्होंने आगे बताया कि तीन अक्षर का यह कोड मिलना इस बात का सुबूत है कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तेजी से बन रहा है और जल्द ही तैयार हो जाएगा। DXN कोड का इस्तेमाल बुकिंग टिकेट पर होगा। इसका इस्तेमाल बैग पर लगने वाले टैग पर भी होगा। आपको बता दें कि IATA दुनियाभर की एयरलाइन्स के लिए एक ट्रेड एसोसिएशन है। इस एयरपोर्ट का निर्माण यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कर रहा है। YIAPL जूरिक एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी की उत्तर प्रदेश और भारत सरकार के साथ 100 फीसद हिस्सेदारी वाली सब्सिडरी कंपनी है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह कोड
जिस तरह हर रेलवे स्टेशन का एक कोड नेम होता है उसी तरह हर एयरपोर्ट का भी एक यूनिक कोड होता है। यह उसकी ग्लोबल पहचान होती है। दुनिया में एक नाम के दो शहर हो सकते हैं, लेकिन दो एयरपोर्ट का एक कोड नहीं हो सकता है। यूनिक कोड होने से सफर करने वाले यात्रियों और फ्लाइट ऑपरेशन से जुड़े लोगों को आसानी होती है। कोड का इस्तेमाल टिकट बुकिंग, फ्लाइट शेड्यूल, सामान आवागमन से लेकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल की बातचीत तक के लिए होता है।
तेजी से चल रहा है एयरपोर्ट के निर्माण का कार्य
एयरपोर्ट का निर्माण तेजी से चल रहा है। टाटा प्रोजेक्ट्स को ईपीसी कंस्ट्रक्शन कांट्रैक्ट दिए हुए एक साल से अधिक समय हो गया है। मौजूदा समय में पैसेंजर टर्मिनल की छत के लिए आवश्यक संरचनात्मक स्टील पर काम किया जा रहा है। एटीसी टॉवर अब 30 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर खड़ा हो चुका है। इसके साथ ही रनवे की पूरी लंबाई के साथ सबग्रेड कार्य प्रगति पर है। लगभग 7000 वर्कर्स जो साइट पर पूरी तरह से जुटे हुए हैं। अगले कुछ महीनों में, साइट पर 20 से अधिक इमारतें बन जाएंगी, जिनमें पैसेंजर टर्मिनल, एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर, ऑफिस ब्लॉक्स, सीवेज और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के साथ इलेक्ट्रिक सबस्टेशन शामिल हैं।
2024 तक उड़ाने भरने का लक्ष्य
एयरपोर्ट का कार्य लगभग 60% पूरा हो चुका है और सितंबर 2024 में एयरपोर्ट से उड़ाने भरने का लक्ष्य रखा गया है। इस एयरपोर्ट का निर्माण करीब 3300 एकड़ में किया जा रहा है। जेवर के निर्माण के साथ NCR में दो बड़े एयरपोर्ट हो जाएंगे। दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 का विस्तार साल के आखिरी में हो जाएगा। अगले एक साल में NCR से हर घंटे 100 से अधिक उड़ानें होंगी। करीब 11.50 करोड़ यात्री सालाना सफर कर सकेंगे।
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