अलविदा लता दीदी(1929-2022)

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सिनेमा जगत को आज बड़ा झटका लगा है। स्वर कोकिला लंता मंगेशकर ने 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। । लता मंगेशकर ने सुबह 8:12 मिनट पर अंतिम सांस ली। मल्टीपल ऑर्गन फेलियर की वजह से दीदी का निधन हो गया।

भारत रत्न लता मंगेशकर बीते 8 जनवरी से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में एडमिट थीं। लता मंगेशकर को कोरोना होने के बाद हॉस्पिटल के ICU में एडमिट करवाया गया था। करीब 27 दिनों तक संघर्ष के बाद दीदी जिंदगी की जंग हार गईं।

स्वर कोकिला के नाम से मशहूर लता मंगेशकर का जन्म 28 सिंतबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और मां का नाम शीवंती मंगेशकर था। उनके पिता क्लासिकल सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट थे। लता मंगेशकर के जन्म के समय उनका नाम हेमा रखा गया था, लेकिन कुछ समय बाद पिता ने थिएटर के कैरेक्टर लतिका के नाम पर लता रख दिया।

लता मंगेशकर ने 1942 में पहली फिल्म ‘पाहिली मांगलागौर’ में काम किया। लता जी ने मराठी फिल्म ‘कीति हसाल’ के लिए 1942 में  पहला गाना गाया। 1947 में बसंत जोगलेकर ने लता जी को मौका दिया। फिल्म ‘आपकी सेवा’ में के गीत ने लता को पहली पहचान दिलाई। 1949 में लता को फिल्म ‘महल’ में गाने का मौका मिला। ‘महल’ का गाना ‘आएगा आनेवाला’ ब्लॉकबस्टर साबित हुआ। 1942-52 तक लता दीदी ने 7 फिल्मों में अभिनय भी किया। लता जी के भाई का नाम हृदयनाथ मंगेशकर, और तीन बहनें उषा मंगेश्कर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले हैं।

20 से ज्यादा भाषाओं में गाना गाने वालीं लता दीदी ने 30 हजार से ज्यादा गीत गाए। लता मंगेशकर के नाम सबसे ज्यादा गाने का रिकॉर्ड है। लता दीदी की सबसे बड़ी खासियत ये कि वो एकमात्र ऐसी गायिका रहीं जिनके नाम से पुरस्कार दिया जाता है। पीएम मोदी उन्हें अपनी बहन मानते थे। वहीं राजकपूर लता जी को मां सरस्वती के रूप में देखते थे। लता मंगेशकर को पहली बार 1972 में बनी फिल्म ‘परिचय’ के लिए नेशनल अवॉर्ड दिया गया। उसके बाद 1974 में ‘कोरा कागज’, 1980 में बनी फिल्म ‘लेकिन‘ के लिए भी उन्हें नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था। इसके अलावा लता जी को 1969 में ‘पद्म भूषण‘, 1989 में ‘दादा साहब फाल्के अवॉर्ड‘, 1999 में ‘पद्म विभूषण‘, 2001 में ‘भारत रत्न‘ और 2008 में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड‘ मिल चुका है।  

देश-विदेश के संगीत प्रेमी लता मंगेशकर को दीदी के नाम से जानते थे। लता जी का जान संगीत जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है।