जानिए कि मंगल ग्रह पर कितना है वाटर, सुनकर उड़ जाएंगें होश

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मंगल ग्रह पर लाइफ की संभावनाओं की खोज कर रहे वैज्ञानिकों को अब एक बड़ी सफलता हासिल हुई है. दरअसल, यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर ने लाल गृह के मेडुसे फाॅसे फार्मेशन ( MFF) को लेकर एक अहम जानकारी हासिल की है. पता चला है कि वहां की सतह के नीचे बड़ी मात्रा में वाटर आइस की मौजूदगी का पता चला है. इससे ये पता चला है कि मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा के समीप बर्फ रुपी पानी का सबसे बड़ा एक भंडार मिला है. खोज के दौरान पता चला है कि मंगल ग्रह की जलवायु किस तरह की रही होगी.

जानकारी के अनुसार मानें तो, मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर ने करीब 15 वर्ष पहले मंगल ग्रह के MFF का सर्वे किया था. इतने सालों बाद जब मार्स एक्सप्रेस फिर से इस इलाके में गुजरा तो उस पर एडवांस मार्सिस ( MARSIS) रडार लगा हुआ था.

रिसर्चर का ये कहना है कि वर्ष 2007 में हुई स्टडी और अब हुई फाइनडिंग्स में ये पता चला है कि बर्फ रुपी पानी मंगल ग्रह के इस इलाके में सतह से करीब 3.7 किलोमटेर नीचे की ओर तक फैला हुआ है. रडार का डेटा ये बताता है कि वहां मौजूद परतें बर्फ की हैं. वैज्ञानिकों को वहां से वैसे ही सिग्नल मिले हैं, जैसे ध्रवीय इलाकों से मिलते हैं.

साइंटिस्ट का ये अनुमान है कि इस बर्फ को यदि पिघलाया जाता है तो धरती पर लाल सागर को भरा जा सकता है. ये रिसर्च मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी से जुड़ी सबसे बड़ी और एक अहम खोजों में एक थी. आगे के समय में मंगल मिशनों के लिए ये मददगार साबित हो सकती है. क्योकि फ्यूचर मिशन्स को MFF के आसपास के इलाकों में ही लैंड कराया जा सकता है. वहां मौजूद रिसोर्सेज से पानी निकाला जा सकता है.

पूरे विश्वभर की स्पेस एजेंसियां मंगल ग्रह पर मिशन भेजने की नाकाम कोशिशों में लगी है और मानव मिशन की तैयारी कर रही है. चीन की तैयारी चल रही है कि वो अपने हेलीकाप्टर की मदद से मंगल ग्रह पर सैंपल इक्क्ठा करेगा हेलीकाप्टर की मदद से. ये मिशन वर्ष 2028 से 2030 के बीच शुरू हो सकता है.