Kashi

Kashi: काशी में इन 5 लोगों की चिता नहीं जलाई जाती..जानिए क्यों?

TOP स्टोरी Trending उत्तरप्रदेश
Spread the love

Kashi: आइए जानते हैं इन 5 रहस्यमयी और धार्मिक मान्यताओं से जुड़े मामलों के बारे में…

Kashi News: मोक्ष की नगरी काशी (Kashi), जहां हर सांस अध्यात्म की सुगंध लिए बहती है, और सभी घाट (Ghats) पर जीवन और मृत्यु का अद्भुत संगम (Sangam) का नजारा दिखता है। यह वो भूमि है जहां माना जाता है कि मृत्यु भी एक सौभाग्य है, क्योंकि यहां प्राण त्यागने वाले को सीधा मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी के मणिकर्णिका (Manikarnika) और हरिश्चंद्र जैसे घाटों पर चिता कभी ठंडी नहीं होती दिन-रात, हर पल अग्नि (Agni) जलती रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिव्य नगरी में कुछ खास शव ऐसे होते हैं जिन्हें जलाया ही नहीं जाता? पढ़िए पूरी खबर…
ये भी पढ़ेंः Air Ticket: फ्लाइट टिकट खरीदने वालों के लिए बड़ी और ज़रूरी खबर

Pic Social Media

ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करें https://whatsapp.com/channel/0029VaBE9cCLNSa3k4cMfg25

आपको बता दें कि हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक नाविक के वीडियो ने इस सदियों पुराने रहस्य से पर्दा उठाया। गंगा की लहरों पर सवार उस नाविक ने कहा कि किस तरह इन खास शवों को श्मशान से लौटा दिया जाता है और उन्हें दूसरी विधि से अंतिम संस्कार किया जाता है। तो आइए जानते हैं कौन हैं वो 5 लोग जिन्हें काशी में अग्नि संस्कार नहीं मिलता।

  1. साधु-संतों को नहीं दी जाती अग्नि

काशी (Kashi) में अगर किसी साधु या सन्यासी का देहांत होता है, तो उसकी चिता नहीं सजाई जाती। ऐसे दिव्य आत्माओं को जल समाधि या थल समाधि दी जाती है। जिससे, या तो उन्हें गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है या जमीन में समाधि दी जाती है। मान्यता है कि वे पहले ही आत्मिक रूप से मुक्ति पा चुके होते हैं।

  1. 12 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं जलाया जाता

हिंदू धर्म (Hinduism) में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भगवान का स्वरूप माना जाता है। इसलिए उनकी अंत्येष्टि आग की बजाय गंगा में प्रवाहित कर दी जाती है। ऐसा करना धार्मिक दृष्टि से पवित्र और उचित माना गया है।

  1. गर्भवती महिलाओं की बॉडी नहीं जलाते

काशी (Kashi) में गर्भवती महिलाओं की लाश भी चिता पर नहीं रखी जाती। स्थानीय नाविकों और पुरानी मान्यताओं के मुताबिक, चिता की गर्मी से गर्भ फट सकता है, और भ्रूण बाहर आ सकता है, जो दृश्य धर्म की दृष्टि से अशुभ माना जाता है। इसलिए उन्हें भी अलग विधि से अंतिम विदाई दी जाती है।

  1. सांप के काटने से मृत लोगों की बॉडी भी नहीं जलाई जाती

अगर किसी व्यक्ति की मौत सांप के काटने से हुई हो, तो उसे भी जलाने की अनुमति नहीं है। मान्यता है कि सर्पदंश से मृत शरीर में 21 दिनों तक सूक्ष्म प्राण शेष रहते हैं। ऐसे शवों को केले के तने से बांधकर गंगा में बहा दिया जाता है। यह भी कहा जाता है कि कोई तांत्रिक इन शवों को देखकर उन्हें फिर से जीवित कर सकता है।

  1. कुष्ठ या गंभीर चर्म रोग से मृत व्यक्ति को भी नहीं दी जाती अग्नि

ऐसे रोगों से ग्रसित मृत शरीर (Dead Body) को जलाना संक्रमण के फैलाव का खतरा पैदा कर सकता है। इसलिए इन शवों को जलाने की बजाय विशेष विधि से निपटाया जाता है जिससे समाज को संक्रमण से बचाया जा सके।