हर फेज के लिए लेनी होगी एनओसी
Greater Noida: उत्तर प्रदेश रेरा (RERA) ने बिल्डरों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए प्रोजेक्ट पंजीकरण (Project Registration) की शर्तों में अहम बदलाव किया है। अब बिल्डरों (Builders) को हर फेज का अलग डेवलपमेंट प्लान जमा करना होगा और उसी के अनुसार निर्माण करना अनिवार्य होगा। हर फेज को अलग प्रोजेक्ट माना जाएगा तथा वहां रहने वालों को सभी मूलभूत सुविधाएं देना बिल्डर की जिम्मेदारी होगी। पढ़िए पूरी खबर…

हर फेज के लिए लेनी होगी एनओसी
नए नियमों के तहत बिल्डरों को प्रत्येक फेज के लिए अग्निशमन व्यवस्था, पेयजल, आपात निकास, बिजली, एसटीपी, स्ट्रीट लाइट और सड़क जैसी सुविधाओं का पूरा खाका रेरा को देना होगा। इसके लिए उन्हें एनओसी भी लेनी होगी। नियमों की अनदेखी होने पर प्रोजेक्ट का पंजीकरण रोका जाएगा और जुर्माना भी लगाया जाएगा।
शिकायतों के बाद लिया गया फैसला
रेरा अधिकारियों के मुताबिक, लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि बिल्डर प्रोजेक्ट को फेज में बांटकर निर्माण तो कर रहे हैं लेकिन हर चरण में सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराते। इससे खरीदारों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती थी। कहीं लिफ्ट काम नहीं करती, तो कहीं पीने के पानी की सुविधा नहीं होती।

सोसायटियों में सुविधाओं को लेकर विवाद
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की कई हाउसिंग सोसायटी (Housing Society) इसका उदाहरण हैं। यहां पहले और दूसरे फेज के निवासियों के बीच सुविधाओं को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं। हाल ही में निराला एस्टेट में भी ऐसी स्थिति बनी थी। लोगों का कहना है कि अगर शुरुआत में पूरी सुविधा बना भी दी जाती है तो वह अगले फेज तक पुरानी हो जाती है।
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हर फेज में पूरी सुविधा देना होगा अनिवार्य
रेरा ने स्पष्ट किया है कि अब हर फेज को स्वतंत्र प्रोजेक्ट की तरह देखा जाएगा। इसका मतलब है कि प्रत्येक चरण में रहने वाले लोगों को सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना बिल्डरों की जिम्मेदारी होगी। इससे खरीदारों को बेहतर सुविधा मिलेगी और उनका जीवन आसान होगा।
4 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड
फिलहाल यूपी रेरा में लगभग 4 हजार प्रोजेक्ट पंजीकृत हैं और हर महीने करीब 200 नए प्रोजेक्ट जुड़ रहे हैं। लगातार बढ़ती शिकायतों के चलते रेरा ने पंजीकरण प्रक्रिया को सख्त किया है, ताकि बिल्डरों की जवाबदेही तय की जा सके।
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एसओपी के साथ नए नियम लागू
यूपी रेरा के सचिव महेंद्र वर्मा (Secretary Mahendra Verma) ने कहा कि पिछले साल सितंबर में जारी की गई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) अब भी प्रभावी है। इसके साथ ही नए नियमों को भी तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। अब बिल्डरों को प्रोजेक्ट पंजीकरण के समय ही विकास कार्यों और मूलभूत सुविधाओं का फेजवाइज प्लान जमा करना होगा।

