Delhi के इन इलाकों के लिए गुड न्यूज़..नहीं देना प्रॉपर्टी टैक्स

दिल्ली दिल्ली NCR

Delhi News: राजधानी दिल्ली में रहने वालों के लिए खुश कर देने वाली खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि दिल्ली के कुछ इलाकों में रहने वाले नागरिकों को प्रॉपर्टी टैक्स (Property Tax) को लेकर बड़ी राहत मिलने वाली है। दिल्ली (Delhi) की महापौर शैली ओबेरॉय ने MCD के ग्रामीण क्षेत्राधिकार में वाले आवासीय इलाकों के लिए मकान या संपत्ति कर में छूट देने की बात कही है। ओबेरॉय (Oberoi) ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि दिल्ली नगर निगम यानी MCD ग्रामीण क्षेत्रों में लाल डोरा या विस्तारित लाल डोरा संपत्तियों से कोई होम टैक्स नहीं वसूलेगा।
ये भी पढ़ेंः Noida के 6 बिल्डरों पर कार्रवाई..अब वजह भी जान लीजिए

Pic Social media

दिल्ली नगर निगम

ओबेरॉय ने आगे बताया कि दिल्ली नगर निगम ग्रामीण क्षेत्रों में लाल डोरा या विस्तारित लाल डोरा संपत्तियों से कोई होम टैक्स नहीं लेगा। उन्होंने कहा कि एमसीडी अपने ग्रामीण क्षेत्राधिकार में लाल डोरा या विस्तारित लाल डोरा के तहत आने वाले रिहाइशी इलाकों को न तो नोटिस भेजेगी और न ही प्रॉपर्टी टैक्स वसूलेगी। दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से यह बड़ी राहत है।

संपत्तियों पर टैक्स

हालांकि इसके साथ ही कुछ संपत्तियों पर टैक्स लगेगा। ओबेरॉय ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में वाणिज्यिक संपत्तियों (Commercial Properties) पर लगाया गया कर वैसे ही लागू रहेगा। बता दें कि हजारों सड़कें भी दिल्ली में एमसीडी के तहत आती है। दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में लगभग 2,168 सड़कें एमसीडी के तहत अधिसूचित हैं और इन सड़कों पर स्थित वाणिज्यिक संपत्तियों को संपत्ति कर का भुगतान करना होगा।

आयोजित की गई थी पंचायत

इससे पहले प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर चर्चा भी हुई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए गए संपत्ति कर के मुद्दे पर चर्चा के लिए तीन सितंबर को दिल्ली के 360 गांवों की एक पंचायत आयोजित की गई थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। इससे जनता को काफी फायदा मिलने की उम्मीद है।

डिप्टी मेयर आले मोहम्मद इकबाल ने इसको लेकर कहा कि दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में जहां ग्रामीण क्षेत्र हैं, चाहे वह डोरा हो या विस्तारित लाल डोरा, संपत्ति कर नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को मेयर और डिप्टी मेयर के साथ हुई बैठक में 360 गांवों के मुखिया मौजूद थे, जहां यह फैसला लिया गया है।