पंजाब में ED की रेड: पूर्व कांग्रेसी मंत्री साधु सिंह धर्मसोत-संगत सिंह के घर पहुंची टीमें

पंजाब

Punjab News: पंजाब में पूर्व कांग्रेसी मंत्री साधु सिंह धर्मसोत-संगत सिंह के घर ईडी की रेड पड़ी है। कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के वन मंत्री रहे साधु सिंह धर्मसोत (Sadhu Singh Dharamsot) और संगत सिंह गिलजियां (Sangat Singh Giljian) के घर पर ED ने आज सुबह ही छापा मारा है। सुबह ED की गाड़ियां और सेंट्रल रिजर्व फोर्स के जवान उनके घर पहुंच गए। ये रेड साधु सिंह धर्मसोत व संगत सिंह गिलजियां के अलावा जंगलात विभाग के कुछ ठेकेदारों व उनके करीबियों के घर पर भी पड़ी है।
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खबर लिखे जाने तक ईडी (ED) की टीम घर में तलाशी ले रही थी। इस दौरान किसी को भी घर के अंदर जाने और बाहर आने की इजाजत नहीं है। कुछ टीमें धर्मसोत के करीबी और जंगलात विभाग के एक ठेकेदार हरमोहिंदर सिंह, खन्ना स्थित एक करीबी और कुछ अधिकारियों के घरों पर भी छापेमारी करने पहुंची हैं।

ED ने विजिलेंस से लिए थे दस्तावेज

बता दें कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार आने के बाद विजिलेंस विभाग ने मामला दर्ज कर साधु सिंह धर्मसोत समेत उक्त लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, इस मामले में संगत सिंह गिलजियां का नाम भी एफआईआर में जोड़ा गया था। फिलहाल वे जमानत पर हैं। पंजाब विजिलेंस की रडार पर आने के बाद ED का ध्यान धर्मसोत और गिलजियां पर गया था। ED ने विजिलेंस को आदेश भेज इंक्वायरी से जुड़े दस्तावेज और जांच रिपोर्ट मंगवाई थी।

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फरवरी में विजिलेंस ने किया था गिरफ्तार

पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (Punjab Vigilance Bureau) ने पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को फरवरी में आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में दूसरी बार फिर से गिरफ्तार किया था। साल 2022 में भी उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और 89 दिन जेल में रहने के बाद सितंबर 2022 को जमानत पर बाहर आए थे। विजिलेंस की पड़ताल में पता चला है कि 1 मार्च 2016 से 31 मार्च 2022 तक की जांच अवधि में पूर्व मंत्री और उनके परिवार की आय 2.37 करोड़ रुपए थी। जबकि, खर्च 8.76 करोड़ था। ये खर्च 6.39 करोड़ रुपए आय से अधिक था।

2022 में दो साथियों के साथ हुए थे गिरफ्तार

विजिलेंस ब्यूरो ने 7 जून 2022 को धर्मसोत को उनके दो सहयोगियों के साथ खैर के पेड़ों को काटने के लिए परमिट जारी करने, सरकारी अधिकारियों के स्थानांतरण, खरीद और अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में संगठित भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तारी की थी। यह मामला मोहाली के गिरफ्तार डीएफओ गुरमनप्रीत सिंह और ठेकेदार हरमिंदर सिंह द्वारा किए गए खुलासे के आधार पर दर्ज किया गया था। जिन्होंने मंत्री के कार्यकाल के दौरान विभाग में विभिन्न गड़बड़ियों का विवरण दिया था।

स्टिंग ऑपरेशन के बाद खुली थी पोल

ये सारा मामला स्टिंग ऑपरेशन का एक वीडियो सामने आने के बाद खुला था। विडियो में गुरमनप्रीत को कथित तौर पर चंडीगढ़ के आसपास अवैध फार्म हाउस की बिक्री के लिए 2 लाख रुपए की रिश्वत मांगते देखा गया था। बाद में उन्हें पिछले साल 5 सितंबर को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी।

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