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Success Story: Zepto के मालिक की दिलचस्प कहानी..सिर्फ़ 20 साल की उम्र में 1000 करोड़ का मालिक

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Success Story: सिर्फ़ 20 साल की उम्र में 1000 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर दिया।

Success Story: जब ज़्यादातर 20 साल के युवा कॉलेज (Youth College) में प्रोजेक्ट्स, एग्ज़ाम्स और करियर की उलझनों में उलझे रहते हैं, उसी उम्र में दो भारतीय युवाओं ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिसने स्टार्टअप (Startup) की दुनिया में हलचल मचा दी। बात हो रही है Zepto के को-फाउंडर्स आदित पालिचा (Adit Palicha) और कैवल्य वोहरा (Kaivalya Vohra) की, जिन्होंने सिर्फ़ 18 महीनों में एक ऐसा बिज़नेस मॉडल (Business Model) खड़ा किया जो अब 1000 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन को पार कर चुका है। ये कहानी न सिर्फ़ प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि सही वक्त पर उठाया गया एक साहसिक कदम ज़िंदगी को पूरी तरह बदल सकता है।
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अप्रैल 2021 में हुई Zepto की शुरुआत

आपको बता दें कि आदित पालिचा (Adit Palicha) और कैवल्य वोहरा (Kaivalya Vohra) ने अप्रैल 2021 में Zepto की नींव रखी। यह एक क्विक ग्रॉसरी डिलीवरी स्टार्टअप है, जो अब बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रहा है। कंपनी ने शुरुआती महीनों में ही $200 मिलियन (करीब 1,600 करोड़ रुपये) का फंड जुटाया और ‘Soonicorn’ यानी जल्द ही यूनिकॉर्न बनने वाली कंपनियों की लिस्ट में शामिल हो गई।

बचपन के दोस्त, जिन्होंने देखा मुश्किलों में मौका

दोनों बचपन के दोस्त हैं और कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब सबकुछ बंद था, तो उन्हें जरूरी चीज़ें मंगाने में परेशानी हुई। यहीं से उन्हें बिज़नेस आइडिया मिला कि क्यों न एक ऐसी सर्विस बनाई जाए जो 10 मिनट में ग्रॉसरी डिलीवर करे।

Stanford यूनिवर्सिटी छोड़कर शुरू किया कारोबार

दोनों को पढ़ाई के लिए अमेरिका की प्रतिष्ठित Stanford University में एडमिशन मिल गया था, लेकिन उन्होंने इसे टालकर Zepto पर फोकस किया। माता-पिता पहले नाराज़ हुए, लेकिन बाद में उनकी काबिलियत और जुनून ने सबका दिल जीत लिया।

Kiranakart से मिली Zepto की प्रेरणा

Zepto से पहले दोनों ने एक और स्टार्टअप Kiranakart शुरू किया, जो 45 मिनट में ग्रॉसरी डिलीवरी करता था। कस्टमर्स की शानदार प्रतिक्रिया के बाद उन्हें एहसास हुआ कि क्विक डिलीवरी का भविष्य उज्ज्वल है।

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डार्क स्टोर्स से बदली तस्वीर

Zepto की कामयाबी के पीछे ‘डार्क स्टोर्स’ का बड़ा रोल है, जो माइक्रो डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर होते हैं। इससे ग्राहक के घर तक डिलीवरी रेंज औसतन 2 किलोमीटर के भीतर रहती है, जिससे डिलीवरी समय घट जाता है।