नहीं रहे सहाराश्री, सुब्रत रॉय के 75 साल का ‘सफरनामा’ पढ़िए

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उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया

Subrata Roy passes Away: सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में लंबी बीमारी के चलते कल देर रात निधन हो गया। सुब्रत रॉय बिजनेस जगत के बाहुबली कहे जाते थे। सहाराश्री (Saharashri) के जीवनजे में ऐसे बहुत सारे चैप्टर हैं जो सबको जरूर जानना चाहिए। सुब्रत रॉय (Subrata Roy) के सहारा ग्रुप (Sahara Group) को खड़ा करने की कहानी जब आप सुनेंगे तो आपको कोई फिल्मी कहानी ही लगेगी। सुब्रत रॉय कभी स्कूटर पर नमकीन बेचने का काम करते थे। गली-गली सामान बेचने से शुरू हुआ उनका ये सफर धीरे-धीरे सहारा ग्रुप में तब्दील हो गया।

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एक समय ये ग्रुप देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस कंपनी से लेकर हॉकी और क्रिकेट की टीम का मुख्य स्पॉन्सर होता था। सहारा ग्रुप का कारोबार को-ऑपरेटिव फाइनेंस (Co-operative Finance) कंपनी से लेकर रीयल एस्टेट, डी2सी एफएमसीजी और मीडिया सेक्टर तक फैला है। इस ग्रुप के इतिहास में एक ऐसा दौर भी था जब देश के करोड़ों लोगों ने 10-20 रुपए रोजाना जमा करके सहारा में अपना खाता खोला।

जानिए कौन थे सहाराश्री

सुब्रत रॉय सहारा का जन्म 10 जून 1948 को बिहार में हुआ था। वे भारत के प्रमुख कारोबारी और सहारा इंडिया परिवार के फाउंडर थे। उन्हें देशभर में सहाराश्री के नाम से भी जाना जाता है। सुब्रत रॉय पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे। साल 1978 में उन्होंने गोरखपुर (Gorakpur) में ही अपना पहला कारोबार शुरू किया। जब 2000 रुपये की सेविंग से उन्होंने काम शुरू किया, तो इसी दौरान उनकी मुलाकात कोलकाता यूनिवर्सिटी (Kolkata University) में पढ़ने वाली स्वप्ना रॉय (Swapna Roy) से हुई। स्वप्ना यूनिवर्सिटी टॉपर थीं। दोनों की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई।

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प्यार में पड़े और सात साल तक लिखे रोमांटिक लव लेटर

सहाराश्री की पत्नी ने सिमी गरेवाल के चैट शो में इस बात का खुलासा किया था कि सुब्रत बहुत चार्मिंग थे और वो उनके प्यार में पड़ गईं। सुब्रत रॉय और उनकी पत्नी स्वप्ना रॉय की मुलाकात कोलकाता में एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई थी। उन्होंने चैट शो में खुलासा किया था कि सुब्रत रॉय के लिए यह पहली नजर का प्यार था। सहाराश्री ने उन्हें प्रपोज किया था। दोनों लोग एक ही शहर में नहीं रहते थे जिसके कारण उनका मिलना कम ही हो पाता था। इस दौरान सुब्रत स्वप्ना के लिए रोमांटिक लेटर लिखते थे। ये सिलसिला 7 सालों तक चला और फिर दोनों की शादी हो गई।

सहारा ऐसे बना देश का दूसरा सबसे बड़ा एम्प्लॉयर

सहारा ग्रुप के मुखिया सुब्रत रॉय ने साल 1978 में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर नमकीन बेचने से अपना सफर शुरू किया। लेकिन यह शायद ही सुब्रत को भी नहीं पता रहा होगा कि वह एक दिन सहारा नाम को दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का एंपायर बना देगा। लोगों से 10-20 रुपए रोज जमा करवाकर सुब्रत रॉय ने भारत के फाइनेंस सेक्टर के लिए एकदम नई मिसाल पेश की। लोगों को उनकी छोटी-छोटी बचत पर अच्छा रिटर्न मिला। लोगों से जुटाए पैसों से सहारा ग्रुप को आगे बढ़ने में काफी मदद मिली।

एयर लाइन से लेकर रियल एस्टेट तक रहा जलवा

सहाराश्री सुब्रत रॉय का जलवा बिजनेस में बहुत था। फिर वह चाहे एयरलाइंस हो या रियल एस्टेट।। साल 1991 में एयर सहारा की स्थापना हुई। वहीं साल 1993 में सहारा एयरलाइंस की प्लाइट शुरू हुई। आगे चलकर साल 2007 में जेट एयरवेज ने एयर सहारा को खरीद लिया। सहारा ने रियल स्टेट में भी अपना लोहा मनवाया। कभी एंबी वैली सिटी को सहारा का माहिष्मति कहा जाता था। एंबी वैली मुंबई के लोनावाला में स्थित है जो 10,600 एकड़ में फैला हुआ है। आपको बता दें कि एंबी वैली को भारत की पहली प्लांड हिल सिटी कहा जाता है।
सहारा ग्रुप के के इतिहास में वह समय भी आया जब सहारा ग्रुप रेलवे के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा एम्प्लॉयर बन गया। ऑफिस और फील्ड को मिलाकर सहारा के बैनर तले काम करने वाले एम्प्लॉइज की संख्या 12 लाख तक पहुंच गई। कोई भी प्राइवेट कंपनी आज तक देश में ये आंकड़ा नहीं छू पाई है।

1978 में चिटफंड कंपनी से बनाई पहचान

सुब्रत रॉय ने नमकीन बेचने के बाद 1978 में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर चिटफंड कंपनी शुरू की। यही कंपनी धीरे-धीरे सहारा का अनोखा को-ऑपरेटिव फाइनेंस बिजनेस बना। एक कमरे में दो कुर्सी और एक मेज के साथ शुरू हुई ये कंपनी देखते ही देखते पूरे देश में पॉपुलर हो गई।

नो लिमिट बिजनेस मॉडल बना USP

सुब्रत रॉय के सहारा फाइनेंस मॉडल को गरीब और मध्यम वर्ग ने हाथों हाथ लेना शुरु किया। कंपनी की सबसे बड़ी यूएसपी थी कि जिसके पास जितना भी पैसा है वो अपने खाते में जमा कर सकता है। यह लोगों को काफी पंसद आया और इस मॉडल ने फाइनेंशियल इंक्लूजन की एक नई परिभाषा तय की। इस नो मिनिमम लिमिट डिपॉजिट की वजह से गरीब से गरीब आदमी भी सहारा में खाता खुलवाने लगा।

इन सेक्टर्स में फैला था सहारा का कारोबार

सहारा ग्रुप की शुरुआत भले को-ऑपरेटिव फाइनेंस से हुई, लेकिन सुब्रत रॉय का विजन काफी बड़ा था। सहारा ग्रुप ने स्पोर्ट्स टीम की और सहारा ग्रुप को बढ़ाया और क्रिकेट और हाकी को स्पॉन्सर करना शुरू किया। साथ में ही सहारा ग्रुप ने एयरलाइंस सेक्टर में भी हाथ आजमाया, हालांकि बाद में उस बिजनेस को बेच दिया। इसके अलावा सहारा ग्रुप का बिजनेस रीयल एस्टेट सेक्टर, टाउनशिप बनाने, मीडिया और एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, एजुकेशन, होटल इंडस्ट्री, इलेक्ट्रिक व्हीकल, डी2सी एफएमसीजी और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर तक फैला हुआ है।

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एंटरटेनमेंट जगत में भी नहीं रहा सहारा पीछे

साल 2003 में सहारा ने अपना पहला न्यूज चैनल सहारा समय लॉन्च किया और इसके कुछ ही समय बाद कई रीजनल और एंटरटेनमेंट चैनलों की लॉन्चिंग की। सहारा वन मोशन पिक्चर्स के बैनर तले कई सारी बॉलीवुड फिल्में भी बनी।

बेटों की शादी को लेकर रहें चर्चा में

सहाराश्री सुब्रत रॉय के दो बेटे सुशांतो रॉय और सिमांतो रॉय हैं। जिनकी शादी साल 2004 में हुई। दोनों ही बेटों की शादी एक ही दिन लखनऊ के सहारा ऑडिटोरियम में हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय ने बेटों की शादी में 500 करोड़ रुपए खर्च किए थे। जिसको लेकर उस दौरान वो चर्चा में रहें। सहारा प्रमुख के बेटों की शादी में सियासत, ग्लैमर, खेल और कारोबार जगत के बड़े-बड़े लोग शामिल हुए थे। जिसमें अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, अनिल अंबानी और मुलायम सिंह जैसी हस्तियां शामिल हुई थी।

समाज सेवा में भी आगे रहें सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय

सहाराश्री केवल अपने ग्लोबल अचीवमेंट के लिए ही नहीं बल्कि समाज सेवा के लिए भी जाने जाते हैं। उनके समाज के हित में किए गए कामों को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उनकी तारीफ की थी। कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के 127 परिवारों को सहारा ग्रुप ने आर्थिक मदद दी थी। साल 2013 में उत्तराखंड में आए तबाही में पीड़ितों को जूस, पानी और खाने के पैकेट बांटे थे। साथ ही राहत कार्यों में भी काफी सहयोग किए थे।

जब 1.50 लाख करोड़ से भी ज्यादा के सहारा ग्रुप को लगा ग्रहण

1.50 लाख करोड़ से भी ज्यादा की वैल्यू वाले सहारा ग्रुप को तब ग्रहण लग गया जब वह विवादों में आया। आपको बता दें कि सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने रियल एस्टेट में निवेश करने के नाम पर साल 2008 से 2011 के बीच OFCD के जरिए तीन करोड़ से अधिक निवेशकों से लगभग 17,400 करोड़ रुपये जुटाए थे। सितंबर, 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने IPO लाने के लिए SEBI के सामने दस्तावेज जमा किए, जिसमें सेबी को कुछ गड़बड़ी का शक हुआ। इसी दौरान सेबी के पास रोशन लाल नाम के एक व्यक्ति की तरफ से सहारा के खिलाफ शिकायत आई। जिसके बाद सेबी ने अगस्त 2010 में दोनों कंपनियों की जांच करने के आदेश दिए थे। इसके चलते सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट में कार्रवाई का सामना करना पड़ा और 2 साल से भी ज्यादा वक्त जेल में काटना पड़ा। इसी के साथ सहारा के पतन की दास्तान लिखनी शुरू हो गई।

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2 साल काटे जेल की सजा

निवेशकों के पैसा लौटाने के मामले में सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी 2014 को जेल की सजा मिल गई। आरोप था कि सहारा कंपनी ने विभिन्न योजनाओं में हजारों उपभोक्ताओं से निवेश के नाम पर पैसा जमा करवाया था। मैच्योरिटी के बाद भी उनके पैसे उन्हें नहीं लौटाए गए थे। वहीं साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सहारा समूह की कंपनियों ने सेबी कानूनों का उल्लंघन किया और अवैध रूप से 3.5 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान किया। ऐसे ही कई आरोप सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय पर लगे जिनके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा।
विवादों को लेकर जेल की सजा काट रहे सहारा प्रमुख 2016 से जमानत पर बाहर थे। 14 नवंबर देर रात 75 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

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