मौसम का हाल कैसे पता करे

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आपके सिटी यानि कि शहर में आने वाले दो दिनों में ओले गिरेंगे, बारिश होगी, ठंड होगी या टेंपरेचर चढ़ने पर गर्मी और बढ़ेगी। अब आपको ये सब पता करना है तो मात्र दो मिनट का समय लगेगा। क्योंकि आने वाले दिनों में मौसम के हाल को लेकर मौसम विभाग पहले से ही भविष्यवाणी को दिखा कर अपडेट कर देता है। ऐसे में लोग अपने प्रोग्राम भी मौसम के हिसाब से ही सेट करते हैं ताकि आगे चलकर उन्हें किसी तरह का समस्या का सामना न करना पड़े। लेकिन कभी आपने इस ओर सोचा है कि मौसम को लेकर के भविष्यवाणी कैसे की जाती है। किस तरह से मौसम विभाग को पता चलता है कि आने वाले चंद दिनों में कहां बारिश होगी और कहां गर्मी ? नहीं चलते तो आपको हम बताते हैं।

ऐसा लगता है मौसम का पूर्वानुमान

दरअसल मौसम के पूर्वानुमान के कई सारे फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं। इसके लिए कई तरह के यंत्रों की सहायता से वातावरण और जमीन की सतह का टेंपरेचर, नमी, हवा की गति और दिशा, ओस, बादलों की स्थिति आदि को देखा जाता है। इसके लिए कई तरह के उपकरणों और मशीनों का यूज भी किया जाता है।

जैसे जैसे बारिश के लिए वर्षामापी यंत्र, हवा की गति के लिए विंडपेन, वाष्पीकरण की दर को मापने के लिए पेन इवेपेरोमीटर , सनसाइन रिकॉर्डर, ओस के लिए डयूगेज, भूमि के टेंपरेचर को नापने के लिए थर्मामीटर का इस्तेमाल किया जाता है।

उपग्रह, एयर बैलून और मौसम रडार भी मेन भूमिका निभाते हैं। फिर इसके बाद जुटाए गए डेटा के उपर रिसर्च की जाती है। इसके बाद ही मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।

कैसे पता करें कि कहां होगी गर्मी और कहां पड़ेगी गर्मी

मौसम विभाग के पास कई तरह के सेटेलाइट मौजूद होते हैं, जो कि अनुमान लगाते हैं कि किस ओर बादल हैं और किस ओर नहीं। लेकिन बादलों को देखकर आप केवल इतना अंदाज लगा सकते हैं कि किस जगह पर धूप निकलेगी और किस जगह पर बादल छाए रहेंगे। रडार के जरिए भेजी गई तरंगे बादलों से टकरा कर वापस आती हैं और उसके बाद फिर अध्यन किया जाता है। इसके बाद मौसम विभाग से भविष्यवाणी करता है कि कहां कहां बारिश हो सकती है।