Layoff: एक अमेरिकी टेक कंपनी ने हाल ही में सैकड़ों इंजीनियरों को अचानक नौकरी से निकाल दिया।
Layoff: ग्लोबल टेक्नोलॉजी और कॉर्पोरेट जगत में छंटनी (Layoffs) की खबरें इन दिनों सुर्खियां बटोर रही हैं। हाल ही में एक अमेरिकी टेक कंपनी (American Tech Company) ने अपने भारतीय कर्मचारियों को अचानक नौकरी से निकाल दिया, जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर जोरों पर है। एक प्रभावित कर्मचारी ने Reddit पर अपनी आपबीती साझा की, जिसमें कॉर्पोरेट एथिक्स (Corporate Ethics) और कर्मचारी सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। पढ़िए पूरी खबर…

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4 मिनट में खत्म हुई सैकड़ों लोगों की नौकरी
एक कर्मचारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Reddit पर अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि रोजाना की तरह वह सुबह 9 बजे लॉगिन हुआ था। 11 बजे कंपनी के सीओओ ने एक अनिवार्य वर्चुअल मीटिंग बुलाई। यह मीटिंग केवल 4 मिनट चली, लेकिन इसने सैकड़ों कर्मचारियों की जिंदगी बदल दी। मीटिंग शुरू होते ही सभी कर्मचारियों के कैमरे और माइक्रोफोन बंद कर दिए गए और अचानक घोषणा की गई कि भारतीय वर्कफोर्स को कंपनी से हटाया जा रहा है।

अचानक मिली नौकरी जाने की खबर
इस अप्रत्याशित फैसले ने कर्मचारियों को झकझोर दिया। मीटिंग के तुरंत बाद उन्हें एक ईमेल मिला, जिसमें बताया गया कि 1 अक्टूबर उनका आखिरी कार्य दिवस होगा। कंपनी ने साफ किया कि यह छंटनी कर्मचारियों के प्रदर्शन से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह कंपनी की इंटरनल रीस्ट्रक्चरिंग का हिस्सा है।
भारतीय कर्मचारियों में गहरी चिंता
कंपनी के इस कदम ने भारतीय प्रोफेशनल्स में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है, खासकर उन लोगों में जो अमेरिकी कंपनियों के लिए रिमोट वर्क कर रहे हैं या एच-1बी वीजा पर अमेरिका में काम करते हैं। ऐसे कर्मचारियों के पास नौकरी छूटने के बाद सीमित समय में नई नौकरी ढूंढने का ही विकल्प होता है, वरना उन्हें देश छोड़ना पड़ सकता है।
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कॉर्पोरेट जगत की असंवेदनशीलता पर सवाल
रेडिट पर पोस्ट करने वाले कर्मचारी ने लिखा कि मीटिंग में कैमरा और माइक बंद रखकर घोषणा करना बेहद असंवेदनशील था। कर्मचारियों को न तो अपनी बात रखने का मौका दिया गया और न ही सहयोगियों को अलविदा कहने का। यह पूरी प्रक्रिया ‘एकतरफा और अमानवीय’ बताई जा रही है।
कॉस्ट कटिंग के नाम पर छंटनी
कंपनी ने बयान में कहा कि यह निर्णय कॉस्ट कटिंग और इंटरनल रीस्ट्रक्चरिंग की रणनीति का हिस्सा है। यह ट्रेंड अब आम होता जा रहा है, जहां कंपनियां मुनाफा बनाए रखने के लिए भौगोलिक रूप से केंद्रित छंटनी का सहारा ले रही हैं।
एच-1बी वीजा धारकों की मुश्किलें
इस घटना का सबसे बड़ा मानवीय पहलू उन भारतीय कर्मचारियों से जुड़ा है, जो एच-1बी वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं। नौकरी जाने के बाद उनके पास सीमित ग्रेस पीरियड होता है, जिसमें नई नौकरी न मिलने पर उन्हें देश छोड़ना पड़ता है। इससे न केवल उनकी, बल्कि उनके परिवार की भविष्य की योजनाएं भी खतरे में पड़ जाती हैं।
कानूनी और नैतिक बहस छिड़ी
इस घटना ने कॉर्पोरेट सेक्टर में कानूनी और नैतिक सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी कंपनी को बड़े पैमाने पर छंटनी से पहले पर्याप्त नोटिस देना चाहिए और श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए, खासकर तब जब कर्मचारी दूसरे देशों से काम कर रहे हों।
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पहले भी हुई थी ऐसी छंटनी
यह पहली बार नहीं है जब किसी कंपनी ने इतनी असंवेदनशीलता दिखाई हो। दिसंबर 2021 में Better.com के सीईओ विशाल गर्ग ने एक जूम कॉल में 900 कर्मचारियों को एक साथ हटा दिया था। तब भी कंपनी की आलोचना इसी वजह से हुई थी कि उसने मानवीय संवेदनाओं की पूरी तरह अनदेखी की थी।

