ऑटो वालों की मदद से दिल्ली के पॉश इलाके में फर्जी क्लीनिक का खेल

दिल्ली दिल्ली NCR

उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Delhi News:
राजधानी दिल्ली से हैरान कर देने वाली ख़बर सामने आ रही है जहां ग्रेटर कैलाश (Greater Kailash) इलाके से एक फर्जी क्लिनिक का भंडाफोड़ हुआ है। यह फर्जी क्लिनिक (Fake Clinic) ऑटोवालों और झोलाछाप डॉक्टरों की साठगांठ से फल फूल रहा था। जांच में सामने आया है कि क्लिनिक के डॉक्टरों कुछ ऑटो चालकों की मदद से काला कारोबार खड़ा किया। ये ऑटो चालक सरकारी अस्पतालों के बाहर खड़े रहते थे। जब वहां कोई मरीज इलाज के लिए पहुंचता तो उन्हें ये बहला फुसलाकर फर्जी क्लिनिक पर पहुंचाते थे। मरीजों को क्लिनिक तक पहुंचाने के लिए इन ऑटोवालों को पैसे मिलते थे। पुलिस ने फर्जी क्लिनिक से जुड़े एक आरोपी को गिरफ्तार किया है।
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मरीज को लाने के बदले मिलते थे 500 रुपये

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फर्जी क्लिनिक चलाने वाले ऑपरेटरों ने बस स्टैंड पर ऑटो चालकों को बाहर से आने वाले मरीजों की पहचान करने और उन्हें नर्सिंग सेंटर तक पहुंचाने के रखा था जिसके लिए उन्हें पैसा देते थे। एक पुलिस सूत्र ने खुलासा किया कि ऑटो चालकों को आरोपियों ने पूरी तरह से निर्देश दिया था कि दिल्ली में इलाज कराने वाले मरीजों से कैसे संपर्क किया जाए। इन ऑटो चालकों को मरीज की जानकारी देने के लिए 500 रुपये मिलते थे।

स्थानीय लोगों को मिली राहत

ग्रेटर कैलाश I रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य राजीव काकरिया ने कहा कि पुलिस ने नर्सिंग होम के मालिक समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी से पहले ऑटो चालक लोगों को नर्सिंग सेंटर लाते थे। काकरिया ने कहा कि सेंटर बंद होने के बाद भी कई लोग इलाज के लिए ऑटो से यहां आते रहे। उन्हें इन गिरफ्तारियों के बारे में पता नहीं था।

यहां इलाज कराने वालों को खोज रही पुलिस

इस बीच पुलिस उन लोगों तक पहुंच ने की कोशिश कर रही है जो नर्सिंग सेंटर में हुई फर्जी सर्जरी के शिकार हुए हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उन्होंने हाल ही में यूपी के बस्ती में रहने वाले एक शख्स से संपर्क किया, जिनकी पत्नी को 2011 में प्रैग्नेंट होने पर यहां एडमिट कराया गया, लेकिन यहां उनका इलाज ठीक से नहीं हुआ था। शख्स अपने भाई की शादी में व्यस्त है, वो कुछ दिनों में पुलिस स्टेशन आएगा। पुलिस अधिकारियों ने शख्स से उस समय से संबंधित सभी कागजात लाने के लिए कहा है। नर्सिंग सेंटर के दस्तावेजों को सत्यापन के लिए फोरेंसिक साइंस लेब्रोटरी भेजा जाएगा। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने अस्पताल के कई दस्तावेज प्राप्त किए हैं जो दर्शाते हैं कि सेंटर ने अधिकारियों से कुछ मंजूरी ली थी। इन सभी डॉक्युमेंट्स का परीक्षण किया जाएगा ताकि यह पता किया जा सके कि क्या वे असली हैं या आरोपियों ने उन्हें जाली बनाया है।
टीओआई ने पाया कि नर्सिंग सेंटर का मैन गेट बंद है। वहां बस फर्स्ट फ्लोर पर एक महिला कर्मचारी मिली, जिसने दावा किया वो इस फ्लोर की देखभाल करती थी। काकरिया ने कहा कि कॉलोनी के निवासियों को गली में इतनी शांति का अनुभव पहले कभी नहीं हुआ था, जितना अस्पताल बंद होने के बाद हुआ। अब मरीजों के कई तीमारदार सड़कों के किनारे या इधर उधर बैठे नहीं दिखते। जिससे निवासियों में असुरक्षा की भावना पैदा होती थी।

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