छत्तीसगढ़: नक्सली ऑपरेशन को कैसे दिया गया अंजाम..पढ़िए Exclusive ख़बर

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ से अच्छी खबर सामने आ रही है। जहां सुरक्षाबलों ने नकस्ली ऑपरेशन (Naxalite Operation) चलाकर 29 नक्सली को मार गिराया है। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने नक्सली विरोधी अभियान को सफल बनाते हुए 29 नक्सली (Naxalite) को मार गिराया। सुरक्षाबलों ने 16 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में सबसे बड़े नक्सल विरोधी ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस नक्सली विरोधी अभियान में 29 नक्सली मारे गए। सुरक्षाबलों ने इस ऑपरेशन को बहुत बारीकी से अंजाम दिया है।

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बस्तर क्षेत्र के कांकेर जिले के गहरे जंगलों में माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच अब तक की सबसे बड़ी मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में 29 माओवादी को सुरक्षाबलों ने मार गिराए। मारे गए नक्सलियों में 50 लाख रुपये से अधिक का इनाम रखने वाले वरिष्ठ कैडर शामिल हैं। इस मुठभेड़ के होने के दो दिन बाद इस ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी मीडिया में सामने आई है।

सुरक्षाबलों ने कैसे ऑपरेशन को सफल बनाया और कैसे अंजाम दिया और खुद को कम से कम जोखिम में डाला, इसकी जानकारी मीडिया को दी गई। खुफिया जानकारी और रात को ट्रैकिंग इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 200 सुरक्षाकर्मियों की एक टीम ने रात के अंधेरे में अबूझमाड़ के पहाड़ी इलाके में 50 किलोमीटर से कम दूरी तय की। ट्रेक करते समय वे एक पहाड़ी की चोटी पर गए। जहां वे सीपीआई (माओवादी) के दो डिवीजनल कमेटी के सदस्यों समेत 29 नक्सलियों को घेरने में सफल हो गए।

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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर क्षेत्र का अबूझमाड़ वन क्षेत्र है और यह क्षेत्र नक्सलियां का गढ़ माना जाता है। यहां तक सुरक्षाबलों आ जाना वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ राज्य की लड़ाई में एक मील का पत्थर साबित हुआ। एक मीडिया एजेंसी की रिपोर्ट में सुरक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा कि मुठभेड़ से पहले सबसे बड़ी चुनौती 200 मीटर से 550 मीटर के बीच अलग-अलग ऊंचाई की पांच या छह पहाड़ियों पर अंधेरे में जाना था। ऑपरेशन का हिस्सा रहे एक सूत्र ने अखबार को बताया कि कलपर पहाड़ी तक पहुंचने से पहले हम कम से कम 48 किलोमीटर चले, जहां से माओवादी की दूरी मात्र 2 किलोमीटर थी।

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फिर हमने पहाड़ी को चोरो तरफ से घेर लिया और एक घेरा बन गया। नक्सलियों के पास भागने का कोई विकल्प नहीं बचा, उन्हें पता था कि वे चारो तरफ से फंस गए हैं। इस सूत्र ने आगे जानकारी दी कि उन्होंने हम पर फायरिंग की और हमने जवाबी कार्रवाई की। हमारे तीन साथियों को चोटें आईं, लेकिन सावधानीपूर्वक योजना की वजह से हम घायल होने से बचने में सफल रहे। हम इस क्षेत्र से अच्छी तरह परिचित थे, जिससे सहायता मिली।
मीडिया से बात करते हुए बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि यह पिछले तीन दशकों में सबसे बड़ी मुठभेड़ है। उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी से लेकर अब तक 79 नक्सली मारे गए हैं और नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर आ चुकी है।

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4 घंटे चली मुठभेड़

4 घंटे चली मुठभेड़ को लेकर सुंदरराज ने बताया कि मंगलवार दोपहर नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई थी, जो लगभग चार घंटे चली। उन्होंने आगे बताया कि डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की टीमों ने इलाके की घेराबंदी करते हुए सर्च अभियान छेड़ा, ऑपरेशन के बाद 29 नक्सलियों के शव बरामद किए गए। पुलिस के अनुसार इनमें 15 महिला नक्सलियों के शव हैं।

मारे गए नक्सलियों में शंकर राव और ललिता भी शामिल हैं, जो सीपीआई (माओवादी) के डिविजनल कमेटी के सदस्य थे। दोनों की गिरफ्तारी पर 25-25 लाख रुपये का इनाम भी जारी किया गया था और साइट पर उनकी मौजूदगी की विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर यह ऑपरेशन चलाया गया था। यह मुठभेड़ लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले हुई है, जबकि बस्तर में शुक्रवार को वोटिंग होनी है। कांकेर में 26 अप्रैल को वोट पड़ने हैं। हर चुनावी मौसम की तरह इस बार भी अबूझमाड़ में माओवादियों ने ग्रामीणों से चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार करने के लिए कहा है। नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार करने के लिए क्षेत्र में पोस्टर और बैनर लगाए हैं।