26 साल बाद बृजभूषण का नया इम्तिहान..बेटे करन के लिए झोंकी ताक़त

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महेंद्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

Brij Bhushan Sharan Singh: देशभर में इन दिनों लोकसभा चुनाव 2024 की धूम है। पार्टियां अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर रही हैं। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) की जगह बीजेपी ने उनके बेटे करण भूषण सिंह (Karan Bhushan Singh) को मैदान में उतारा है। लोकसभा चुनाव 2024 दूसरा मौका होगा जब बृजभूषण शरण सिंह चुनावी रण से बाहर होंगे। इस बार के चुनाव में बृजभूषण का नया इम्तिहान होगा। खुद मैदान से बाहर पर प्रतिष्ठा दांव पर होगी। वह चुनाव में अपने छोटे बेटे करण भूषण सिंह के लिए वोट मांगते नजर आएंगे। 26 साल बाद संसदीय चुनाव के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब चुनावी रण में बृजभूषण शरण नहीं होंगे।
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छात्र राजनीति से ही अपना दबदबा बनाने वाले बृजभूषण 1991 में पहली बार गोण्डा से लोकसभा का चुनाव बीजेपी के टिकट पर लडे और जीत हासिल की। 1971 के बाद मनकापुर राजघराने की इस सीट पर उन्होंने बादशाहत समाप्त की। इसके बाद बृजभूषण ने कभी कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि, 1996 में टाडा मामले में जेल बंद होने के कारण उनकी पत्नी केतकी सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1998 में वह बीजेपी के टिकट के चुनाव लड़े लेकिन सपा के कीर्तिवर्धन सिंह से चुनाव हार गए। 1999 में एक बार फिर बृजभूषण ने इस सीट पर अपनी वापसी की और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विजय श्री प्राप्त करने में सफल रहे।

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2009 में पाला बदलने के साथ चुनाव क्षेत्र भी बदला वर्ष 2004 में बलरामपुर से सांसद बनने के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने 2009 में पाला बदलकर सपा में शामिल हो गए। उन्होंने 2009 में सपा के टिकट पर कैसरगंज से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करने में सफल रहे।

2004 में बलरामपुर से जीते

साल 2004 के चुनाव में पार्टी ने गोण्डा से पूर्व मंत्री व मुजेहना से कई बार विधायक रहे घनश्याम शुक्ला को मैदान में उतारा और बृजभूषण शरण सिंह को गोंडा से सटी सीट बलरामपुर से मौका दिया गया। चुनाव के कुछ दिन पहले हुए इस फैसले के बाद उन्होंने बलरामपुर से भी जीत दर्ज की। वह वहां से भी भारी मतों से जीतने में कामयाब हुए।