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Arvind Kejriwal: दिल्ली चुनाव को लेकर अरविंद केजरीवाल का बड़ा दांव

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Arvind Kejriwal: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर केजरीवाल ने किया यह ऐलान

Arvind Kejriwal: राजधानी दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतित हलचल तेज हो गई है। 5 फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) को लेकर सभी दल अपनी अपनी तैयारी में लगे हुए हैं। इसी क्रम में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली के जाट समुदाय को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के जाट समाज को बीजेपी से 10 सालों से धोखा मिल रहा है।
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आप संयोजक केजरीवाल ने आगे कहा कि केंद्र सरकार (Central government) के किसी कॉलेज, यूनिवर्सिटी या संस्था में दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण नहीं दिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को दिल्ली के जाटों की याद चुनाव से पहले आती है। दिल्ली के अंदर राजस्थान के जाट समाज (Jat community) को आरक्षण दिया जाता है लेकिन दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण नहीं दिया जाता है। दिल्ली की स्टेट ओबीसी लिस्ट में पांच और जातियां हैं, जो केंद्र की ओबीसी लिस्ट में नहीं है। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि वह इस बार एक ही सीट से चुनाव लड़ेंगे।

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इस विषय में अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है। केजरीवाल ने इस चिट्ठी में मांग की है कि जाट समुदाय को ओबीसी की सूची में शामिल कर लिया जाना चाहिए। केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि आपने दिल्ली के जाट समाज को धोखा दिया है। दिल्ली में ओबीसी का दर्जा प्राप्त जाटों व अन्य सभी जातियों को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाए।

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अरविंद केजरीवाल ने आगे चिट्ठी में लिखा है कि केंद्र सरकार ने दस साल से जाट समाज को ओबीसी आरक्षण के नाम पर धोखा दिया है। आपने 2015 में जाट समाज के नेताओं को घर बुलाकर वादा किया था कि दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाएगा। साल 2019 में अमित शाह ने जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में लाने का वादा किया था।
केजरीवाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि राजस्थान के जाट समाज के छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षण मिलता है तो दिल्ली के जाट समाज को क्यों नहीं मिलता? केंद्र की ओबीसी लिस्ट में न होने से दिल्ली के जाट समाज के हजारों बच्चों को डीयू में दाखिला नहीं मिलता।