नोएडा एक्सटेंशन के 40 फ्लैट खरीदारों का ऐक्शन..बिल्डर को टेंशन

दिल्ली NCR

कुमार विकास, ख़बरीमीडिया

फ्लैट का पूरा पैसा जमा करवा देना..और उसके बाद पजेसन ना देना..ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Greater Noida West) के कुछ बिल्डरों की नियति बन चुकी है। ताजा मामला ग्रेटर नोएडा वेस्ट ” जेकेजी पॉम कोर्ट(JKG PALM COURT)” से आ रही है। आरोप है कि के बिल्डर ने राष्ट्रीय उपभोक्ता कोर्ट के आदेश को अभी तक अमल नहीं किया है।

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PIC-Social media

स्थानीय निवासियों के मुताबिक चालीस खरीदारों ने वर्ष 2011 और 2013 के मध्य इस सोसाइटी में फ्लैट खरीदे का अनुबंध बिल्डर के साथ किया था,  जिसमे फ्लैटों का अधिकार वर्ष 2015 देने का वायदा था और सभी खरीदारों ने 95 प्रतिशत तक पैसा बिल्डर को सितंबर 2015 तक चुकता कर दिया था। 

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लेकिन बिल्डर ने 2018 तक फ्लैट तैयार करके नहीं दिया, तो इन खरीदारों नेशनल कंज्यूमर कोर्ट INA, दिल्ली का रुख किया कि फ्लैट का अधिकार बिल्डर द्वारा हमे देरी से देने हेतु ब्याज सहित दिया जावे।

अगस्त 2019 में बिल्डर ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से विशेष प्रार्थना पत्र देकर अस्थाई ऑक्यूपेंसी सार्टिफिकेट मांगा कि सभी खरीदार भिन्न भिन्न कोर्ट में केस कर रहे हैं अतः उन्हें अस्थाई ऑक्यूपेंसी सार्टिफिकेट दे दिया जावे, जिससे आगे वह सभी खरीदार को फ्लैट दे सके। और अथॉरिटी ने अस्थाई सर्टिफिकेट दिया भी, शर्त के साथ कि बचा हुआ कार्य एक साल में पूरा किया जाय,अन्यथा यह ऑक्यूपेंसी अमान्य होगा। और एक साल में अस्थाई ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट भी अथॉरिटी ने कैंसल कर दिया। क्यों कि बिल्डर ने शेष कार्य पूरा नहीं किया और अथॉरिटी का पैसा भी चुकता नहीं किया। लेकिन इसके बावजूद बिल्डर ने चार सौ परिवारों को पजेसन दे दिया।

बिल्डर ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज को कहा कि जब तक ये सभी बायर्स पैसे वापिस नही लेते, तब तक इन्हें फ्लैट का अधिकार नहीं देंगे, भले ही हमने फाइनल पेमेंट डिमांड पत्र दिया है।

पांच साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिर कार फैसला बायर्स के पक्ष में आया और जज श्री आर के अग्रवाल आयोग अध्यक्ष एवं, सुप्रीकोर्ट रिटायर्ड जज  की बेंच ने कहा कि 9 प्रतिशत ब्याज की दर से 60 दिनों के भीतर फ्लैट का अधिकार सभी बायर्स को दिए जाने के निर्देश दिए।

निवासियों का आरोप है कि 40 दिन बाद भी अभी तक  बिल्डर ने बायर्स के साथ संपर्क नहीं साधा। लगभग पंद्रह खरीदार उसी सोसाइटी के अंदर किराए पर रहकर समय काट रहे है पिछले चार वर्षो से, उधर होम लोन की किस्त अलग से दे भर रहे हैं। क्योंकि अपने ही चिंता में रहकर संसार छोड़ चुके हैं, बच्चों का भविष्य चौपट हो चुका है।

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