ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटी सुपरटेक इकोविलेज में पुलिस की दनदनाती हुई गाड़ियां पहुंचती है। लोग समझ नहीं पाते कि आखिर माजरा क्या है। हालांकि थोड़ी ही देर में तस्वीर साफ हो जाती है।
कहते हैं बच्चे ईश्वर का दूसरा रूप होते हैं। वो अपनी मनमर्जी के मालिक होते हैं। धमाल मचाते हैं..हो-हल्ला करते हैं। लेकिन निश्छल होते हैं। बच्चों में कोई प्रपंच नहीं होता। लेकिन रविवार देर रात ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटी सुपरटेक इकोविलेज के B9 और B10 टावर के बैक साइड में एक पार्क है उसे लेकर हल्का बवाल हो गया।
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बवाल दो गुटों के बीच का था। एक.. वो जिन्होंने मेहनत कर इसे बनवाया है..पार्क को मेन्टेन करते या करवाते हैं..उनका कहना है कि पार्क लोगों के बैठने के लिए है ना कि खेलने के लिए। क्योंकि पार्क में बुजुर्ग रहते हैं..महिलाएं रहती हैं..छोटे बच्चे रहते हैं। अगर पार्क में बच्चे फुटबॉल खेलते हैं तो उन्हें चोट लगने का डर है। ये भी अपनी जगह ठीक हैं।
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वहीं दूसरे गुट का कहना है कि बच्चे कहीं भी खेल सकते हैं। उनके खेलने की कोई टाइमिंग नहीं होती। बच्चों को बांधकर रखा नहीं जा सकता। ये भी अपनी जगह ठीक हैं। बवाल ठीक इसी बात को लेकर है। छोटी सी बहसबाजी ने रविवार शाम झगड़े का रूप ले लिया। दोनों गुटों में तू-तू..मैं-मैं शुरू हो गया। मामला बढ़ता देख लोगों ने पुलिस बुला ली। हालांकि पुलिस ने समझा-बुझाकर मामला शांत करवाया।
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