Diwali 2023: जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Trending Vastu-homes

नीलम सिंह चौहान, खबरीमीडिया

Diwali 2023: दीपावली को ही दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। ये त्योहार रोशनी का है, वहीं ये हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस साल 12 नवंबर 2023 के दिन पूरे देश में दीपावली मनाई जाएगी और दिन होगा रविवार का।

जैसे कि हिंदू के महाकाव्य रामायण में वर्णित है, ये वे दिन है जब भगवान राम , भगवान लक्ष्मण और देवी सीता कुल 14 वर्ष जंगल में बिताने के बाद वापस अयोध्या आए थे।
वहीं, दूसरी ओर ये भी मान्यता है कि देवी लक्ष्मी का जन्म इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। इसलिए दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी जी की खास तरह से पूजा की जाती है। मान्यता है की देवी लक्ष्मी स्वयं भूलोक पर पधारती हैं और घर – घर जाकर विचरण करके आती हैं। यही वजह है कि दीपावली के दिन घरों में भीतर से लेकर के बाहर तक चारों तरफ दीपक से प्रज्वलित कर उजाला किया जाता है।

Pic: Social Media

कब है दिवाली 2023 ( Diwali 2023)
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, दिवाली हर वर्ष कार्तिक महीने के 15 वें दिन अमावस्या को मनाई जाती है। दिवाली के शुभ दिन देवी लक्ष्मी जी और भगवान गणेश को पूजा जाता है। पूजा के मुहूर्त की बात करें तो शाम के 6:11 बजे से रात के 8:15 तक रहेगा।

जानिए डिटेल में

  • लक्ष्मी पूजा ( प्रदोष काल समय) – शाम 5:39 बजे से शाम 7:35 बजे तक ( 12 नवम्बर 2023)
  • वृषभ समय – 17:39 – 19:35
  • लक्ष्मी पूजा ( निशिदा कर समय) – 12 नवंबर 2023, 11:39 अपराहन – 13 नवंबर, 2023, 12:32 पूर्वाहन
  • सिंह लग्न – रात्रि 12:10 बजे प्रातः 2:27 बजे तक ( नवंबर 2023)

अमावस्या तिथि है कब से लेकर कब तक
अमावस्या तिथि 12 नवम्बर को दोपहर के 2 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और 13 नवम्बर 2023 को दोपहर के 02 बजकर 56 मिनट पर खत्म हो जाएगी।

यह भी पढ़ें: Kalawa Rules: कलावा पुराना होने पर क्या करें?

क्यों मनाते हैं दिवाली का त्योहार
दरअसल, दिवाली के उत्तपत्ति का पता प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं से आप लगा सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम, राजा रावण को हराने के बाद अयोध्या की ओर वापस आए थे। इसी खुशी में अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर और अपने घरों में रंग – बिरंगी रंगोलियां बनाकर उनका स्वागत बड़े ही धूम धाम से किया था। मान्यता के मुताबिक, ये घटना हिंदू कार्तिक माह के अमावस्या के दिन घटित हुई थी, इसी कारण दिवाली का त्योहार सेलिब्रेट किया जाता है।

Pic: Social Media

आखिरकार हर प्रदोष काल में क्यों की जाती है पूजा
लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय प्रदोष काल में होता है, जब स्थिर लग्न प्रबल होता है। ये अवधि देवी लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि मान्यता के अनुसार जब स्थिर लग्न के दौरान पूजा की जाती है तो देवी लक्ष्मी घर में निवास करती हैं। वृषभ लग्न को स्थिर माना जाता है और ये मुख्य रूप से दिवाली के दौरान प्रदोष काल के साथ ही होता है।

READ: khabrimedia-latest Vaastu Tips-Latest Astro Tips-Lates Top Hindi News-Astrology-Latest Delhi-Ncr News-Noida News-Greater Noida News