सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
Akhilesh Yadav: केन्द्र की मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में इस समय घमासान मच गया है। एक तरफ जहां गठबंधन की नींव रखने वाले बिहार के सीएम ने कांग्रेस (Congress) पर सिर्फ विधानसभा चुनाव जीतने के लिए प्रयास करने का आरोप लगाया है तो वहीं दूसरी तरफ देश के सबसे ज्यादा लोकसभा (Lok Sabha) सीटों वाले राज्य यूपी में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच दूरियां बढ़ गई है।
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सपा के मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। कांग्रेस पर लगातार जुबानी हमला कर रहे हैं। उनके बयानों से लगने लगा है कि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A उनके दिमाग में दूर-दूर तक नहीं है। कांग्रेस और सपा दोनों ही इस गठबंधन का हिस्सा हैं। अखिलेश के बयान I.N.D.I.A के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं।
चुनाव से पहले ही गठबंधन कमजोर होता दिख रहा है। रविवार को उन्होंने कांग्रेस को बहुल चालू पार्टी बताया था। सोमवार को मध्य प्रदेश में चुनावी रैली के दौरान उन्होंने बीजेपी के साथ कांग्रेस को भी लपेट दिया। अखिलेश ने दावा किया कि दोनों दलों की सरकारों ने राज्य में भ्रष्टाचार और लूट की है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए यूपी में सीट शेयरिंग का मुद्दा को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब काफी आगे बढ़ गया है। अखिलेश बोल चुके हैं कि सपा उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार है। अगर I.N.D.I.A गठबंधन के तले बात आगे बढ़ी तो सपा 80 में से कम से कम 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
अखिलेश यादव के ऐसे बयानों का क्या मतलब है? वह इतने खफा क्यों हैं? आइए, यहां उनके कहें हुए बयानों के मायने समझते हैं।
अखिलेश यादव के तेवरों ने I.N.D.I.A गठबंधन को बड़ा झटका दिया है। बीते कुछ दिनों में उन्होंने खुलकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। यूपी में ही नहीं, मध्य प्रदेश में जाकर भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला हैं। इसके लिए ज्यादा पीछे जाने की भी जरूरत नहीं है। बीते रविवार को एमपी में एक चुनावी रैली के दौरान सपा प्रमुख ने कहा कि अगर आपको राशन के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा तो आप बीजेपी को वोट क्यों देंगे? कांग्रेस को भी वोट मत देना, यह बहुत चालू पार्टी है। कांग्रेस वोटों के लिए जाति आधारित जनगणना चाहती है। और बोले कि अगर देश में जातीय जनगणना को किसी ने रोका तो वह पार्टी कांग्रेस थी। मंडल कमीशन को रोकने का काम भी कांग्रेस ने ही किया। बीजेपी उसी के रास्ते पर चल रही है।
पूर्व सीएम अखिलेश ने कांग्रेस को बनाया निशाना
आपको बता दें कि पिछले सोमवार को भी अखिलेश यादव एमपी में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस पर हमला बोला है। चुनावी रैली के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस एक ही दल हैं। इनके चेहरे कभी-कभी अलग हो जाते हैं। कांग्रेस और बीजेपी की नीतियों में कोई फर्क नहीं दिखाई देता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों ने मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और लूट की है। पिछड़े जाति, दलितों व आदिवासियों को धोखा दिया है। इन वर्गों को गरीब बनाए रखा। मध्य प्रदेश में पिछड़ों का 27 फीसदी आरक्षण लागू नहीं होने दिया। भाजपा और कांग्रेस की गलत नीतियों से किसान बहुत नराज हैं। नौजवानों को नौकरी नहीं मिली। महंगाई और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। युवा नौकरी, रोजगार की उम्मीद नहीं कर सकता है। हर वर्ग परेशान है। पहले कांग्रेस की गलत नीतियों ने गरीब, किसान, युवा पीढ़ी को पीछे कर दिया। अब भाजपा भी उसी रास्ते पर है। दोनों दलों के खिलाफ वोट कर सपा के प्रत्याशियों को विजयी बनाएं।
कांग्रेस और सपा दोनों I.N.D.I.A गठबंधन के सहयोगी दल हैं। इनमें बीते महीने से दूरी बढ़ी जा रही है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सपा पार्ती चाहती थी कि कांग्रेस उसके लिए कुछ सीटों को छोड़ दे। लेकिन, कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। कांग्रेस के सीट न छोड़ने पर अखिलेश यादव ने दुःख भी जताया था। इसी के बाद सपा ने एमपी विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। उन्होंने कांग्रेस को यह भी चेतावनी दी थी
लोकसभा चुनाव में सपा पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी।
क्या कांग्रेस और सपा को दिख रहा है नुकसान
सपा की तरह कांग्रेस का रुख भी काफी आक्रामक देखने को मिल रहा है। वहीं I.N.D.I.A गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ अनबन देखने को मिल रही है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की जीत के बाद उसके हौसले बुलंद हैं। इसके लिए वह कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को श्रेय देती है। पार्टी के नेताओं को लगता है कि राहुल ही हैं जो सही मायनों में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को सीधी चुनौती दे सकते हैं।
अखिलेश को उत्तर प्रदेश में सपा की ताकत पता है। वह यह भी जानते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस को जगह देना अपना नुकसान करना है। कांग्रेस यूपी में अपनी कई सीटों खो चुकी है। उस पर सपा और भजपा की लड़ाई हैं। अगर सीट शेयरिंग में अखिलेश ने थोड़ा भी कॉम्प्रोमाइज किया तो उनकी पार्टी के लिए ही खतरा खड़ा बन सकता है। यूपी के रास्ते केंद्र की सत्ता का रास्ता खुलता है। सपा आंख बंद कर किसी भी हालत में यह चाबी कांग्रेस के हाथों में नहीं देने वाली है। अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन करके पहले भी यूपी में देख चुके हैं। ऐसे में वह बार-बार उस गलती को नहीं करना चाहेंगे।