Uttarkashi:टनल में फंसे 41 मजूदरों को लेकर अपडेट पढ़िए

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सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
Uttarkashi Tunnel Rescue:
उत्तराखंड की उत्तरकाशी टनल में 14 दिन से फंसे 41 मजदूरों (Laborers) को बाहर निकालने के लिए अब मैनुअल ड्रिलिंग (Manual drilling) यानी हाथ से खुदाई की जा सकती है। रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) में शामिल एक अधिकारी ने इसकी संभावना जताई है। उन्हें बाहर निकालने की पूरी कोशिशें हो रही हैं लेकिन हर बार मशीन के आगे बाधा आ रही है। रेस्क्यू का 14वां दिन है।

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कांग्रेस ने सिल्क्यारा सुरंग को लेकर किए सवाल

कांग्रेस ने सिल्क्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना (Suryakant Dhasmana) ने पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी के एस्केप पैसेज के निर्णय के प्रमाण दिखाते हुए सुरंग निर्माण में गंभीर अनियमितता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि बिना एस्केप पैसेज और आपातकालीन निकासी के पहाड़ में सुरंग निर्माण का खेल किसे लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।

जियो फिजिकल जांच भी नहीं आ पाई काम

ऑपरेशन सिल्क्यारा को शुक्रवार को शुरू करने से पहले एनएचआईडीसीएल (NHIDCL) ने पारसन कंपनी के जियो फिजिकल विशेषज्ञों से टनल के मलबे की मैपिंग कराई, जिसमें बताया कि अगले 5 मीटर तक कोई लोहे जैसा अवरोध नहीं है। लेकिन उनकी मैपिंग का ये फार्मूला 1.5 मीटर बाद ही फेल हो गया।

अब चलेगा मैनुअल अभियान

ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे बार-बार आ रही बाधा के चलते अब मैनुअल अभियान चलाया जाएगा। मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है। इसमें अंदर फंसे मजदूर भी खेवनहार बन सकते हैं। यह विचार कल से ही चल रहा है।

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2 योजनाओं पर विचार शुरू

तमाम व्यवधानों और उम्मीदों के बीच अब इस बात पर विचार शुरू हो गया कि क्यों ने फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से नौ मीटर मलबा हटवा दिया जाए। दूसरा विचार यह चल रहा है कि ऑगर मशीन की जगह मैनुअली कचरा हटाना शुरू किया जाए।

फंसे मजदूरों से अंदर की तरफ से मलबा हटवाने की तैयारी

लोहे का अवरोध आने से ऑगर मशीन (Auger Machine) लक्ष्य से 9 मीटर पहले रुक गई। जिसके बाद अवरोधों को काटकर हटाने का काम तो शुरू हुआ लेकिन इस बात पर भी विचार शुरू हो गया कि क्यों ने फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से 9 मीटर मलबा हटवा दिया जाए। अगर ये प्लान काम कर गया तो श्रमिक जल्दी बाहर आ सकेंगे।

सीएम ने मातली कैंप कार्यालय में जमाया डेरा

मुख्यमंत्री सुरंग में फंसे श्रमिकों की सकुशलता के लिए बुधवार से मातली में ही डटे हैं। सरकारी कार्य बाधित न हो, इसके मद्देनजर मातली से ही सीएम का अस्थायी कैंप कार्यालय (Camp Office) संचालित हो रहा है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने जरूरी सरकारी फाइलों को देखा और उनका निपटारा किया। साथ ही उन्होंने मातली से अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। शाम को मुख्यमंत्री ने सिल्क्यारा पहुंचकर वहां चल रहे रेस्क्यू अभियान का निरीक्षण किया और अभियान में जुटी टीम से वार्ता कर आवश्यक जानकारी ली।

सुरक्षा कैनोपी और एस्केप टनल भी बनाई

राहत और बचाव कार्यों में लगे श्रमिकों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। रेस्क्यू स्थल पर प्री कॉस्ट आरसीसी बॉक्स कल्वर्ट और ह्यूम पाइप के जरिए सुरक्षा कैनोपी और एस्केप टनल बनाई गई है। इससे किसी भी आपात स्थिति में सुरंग के भीतर रेस्क्यू में जुटे लोगो को सुरक्षित निकासी सुनिश्चित हो सकेगी। सुरक्षा से जुड़ी अन्य विशेष हिदायतों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

25 मिमी की सरिया व लोहे के पाइप बने ड्रिलिंग में बाधा

इस बार भूस्खलन के मलबे में 25 मिमी की सरिया व लोहे के पाइप ड्रिलिंग (Pipe Drilling) में बाधा बने हैं। ऑगर मशीन के आगे आई बाधाओं को हटाने का काम शुरू किया जा रहा है। इसमें सात से आठ घंटे का समय लगता है। बरमा निकाल कर आगे आई बाधाओं को एक टीम पाइप में घुसकर गैस कटर से काट रही है।

इस प्लान से बाहर आ सकते हैं मजदूर

उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन शुक्रवार शाम 24 घंटे बाद चली। लेकिन 1.5 मीटर आगे बढ़ने के बाद फिर लोहे का अवरोध आने से लक्ष्य से 9 मीटर पहले रुक गई। बचाव अभियान के 13वें दिन भी मजदूर बाहर नहीं निकल सके। आज 14वें दिन एक बार फिर मजदूरों के सकुशल बाहर आने की उम्मीद जागी है।
बता दें कि बृहस्पतिवार शाम 4 बजे बेस हिलने से ऑगर मशीन ने काम करना बंद कर दिया था। मरम्मत आदि में करीब 24 घंटे बीत जाने के बाद मशीन 13वें दिन शुक्रवार शाम करीब 4:30 बजे चली तो उम्मीदें फिर जग गईं। लेकिन कुछ देर बाद ही रेस्क्यू टीमों को फिर झटका लग गया। एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल (Colonel Deepak Patil) ने बताया कि करीब शाम 6:40 बजे मशीन की राह में फिर लोहे का अवरोध आने से काम रुक गया। अब तक मलबे में करीब 47 मीटर ही पाइप पहुंच पाया है।

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