UPI Transaction: UPI के जरिए पैसे गलती से किसी गलत खाते में ट्रांसफर हो गए हैं, तो अब घबराने की जरूरत नहीं है।
UPI Transaction: अगर आपसे कभी UPI के जरिए पैसे गलती से किसी गलत खाते में ट्रांसफर (Transfer) हो गए हैं, तो अब घबराने की जरूरत नहीं है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने इस समस्या को हल करने के लिए बैंकों को नई शक्तियां दी हैं। अब बैंकों को धोखाधड़ी, असफल लेनदेन या व्यापारियों से जुड़ी शिकायतों जैसे वास्तविक मामलों में बिना NPCI की पूर्व अनुमति के खुद ही कार्रवाई करने का अधिकार होगा। पढ़िए पूरी डिटेल्स…

15 जुलाई से लागू होगा नया सिस्टम
आपको बता दें कि NPCI द्वारा जारी सर्कुलर (संख्या 184B/2025-2026) के अनुसार, बैंक अब अपने स्तर पर ‘अच्छी नीयत’ (Good Faith) से असली ग्राहकों के विवादों पर चार्जबैक शुरू कर सकेंगे, भले ही पहले उनकी अपीलें खारिज हो चुकी हों। यह नई व्यवस्था 15 जुलाई 2025 से लागू की जाएगी और इसे RGNB (Remitting Bank Raising Good Faith Negative Chargeback) नाम दिया गया है।
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अब चार्जबैक के लिए NPCI की अनुमति जरूरी नहीं
अब तक यदि किसी ग्राहक का चार्जबैक अनुरोध बार-बार खारिज हो जाता था, तो NPCI के सिस्टम द्वारा उस UPI ID को ‘नेगेटिव चार्जबैक दर’ (कारण कोड CD1/CD2) के तहत ब्लॉक कर दिया जाता था। इससे नए विवाद दर्ज नहीं हो पाते थे। अगर बैंक को लगता कि मामला सही है, तो उन्हें NPCI से व्हाइटलिस्टिंग के लिए अनुरोध करना पड़ता था। लेकिन अब बैंक अपनी जांच के आधार पर स्वत: चार्जबैक शुरू कर सकते हैं।
किन मामलों में मिलेगा फायदा?
- पैसे गलती से किसी गलत खाते में ट्रांसफर हो गए हों।
- फेल UPI ट्रांजैक्शन में पैसे कट गए, लेकिन रिसीवर को नहीं पहुंचे।
- धोखाधड़ी से लेनदेन हुआ हो।
- व्यापारी को भुगतान हुआ लेकिन सेवा/वस्तु नहीं मिली।
- एक ही ट्रांजैक्शन दो बार हो गया हो।
NPCI ने दी चेतावनी
NPCI ने यह भी स्पष्ट किया है कि RGNB विकल्प का उपयोग केवल वास्तविक विवादों के लिए किया जाना चाहिए। अगर बैंक इस विकल्प का उपयोग मुआवजा या दंड से बचने के लिए करते हैं, तो इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। RGNB केवल फ्रंट एंड इंटरफेस के माध्यम से उपयोग में लाया जा सकता है और यह URCS (UPI Resolution and Chargeback System) द्वारा CD1 और CD2 कोड के साथ खारिज किए गए चार्जबैक पर ही लागू होगा।
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हर महीने 11.4 अरब से ज्यादा UPI लेनदेन
बता दें कि साल 2025 में UPI के माध्यम से हर महीने औसतन 11.4 बिलियन से अधिक ट्रांजैक्शन हो रहे हैं। ऐसे में एक छोटा प्रतिशत विवाद भी लाखों लोगों को प्रभावित करता है। NPCI का यह कदम उपभोक्ताओं को तेजी से समाधान देने और UPI सिस्टम में भरोसा बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।