कलंक की स्याही काली कर गई…

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कुमार जलज की कलम से..

वाकई..जिस संपादक ने ज़ी हिंदुस्तान को नई संजीवनी दी, जिसने अपने बच्चे की तरह चैनल को पाल-पोस कर बड़ा करना शुरू किया। वो एक झटके में आईने की तरह टूटकर चकनाचूर हो गया। इसके साथ ही टूट गए शमशेर सिंह के वो सपने जो उन्होंने ज़ी हिंदुस्तान में रहते हुए देखे थे। जब परिवार ही नहीं रहा तो मुखिया का क्या काम। शमशेर सिंह ने नज़ीर पेश करते हुए मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया। मैनेजमेंट ने कुछ लोगों को इस्तीफा मांगा था लेकिन शमशेर सिंह ने फर्ज की राह पर खुद को भी कुर्बान कर दिया।

इस बारे में उन्होंने एक के बाद कई ट्वीट् किए। इनमें  शुक्रवार को किए गए एक ट्वीट में उन्होंने लिखा है, ‘अनजाने में कलंक की स्याही लग गई।’

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा है, ‘कई बार आप खुद को हीं माफ करने की स्थिति में नहीं होते।’

शमशेर सिंह के ट्विट में दर्द भी है और मलाल भी। दर्द एक परिवार के टूटने का.. और मलाल एक परिवार के बिखरने का। वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। चिंता खुद की नौकरी की नहीं थी, चिंता थी उनके साथ काम करने वाले उन तमाम लोगों की जो उनके साथ दिल से जुड़े थे।

हालांकि भरे न्यूज़रूप में शमशेर सिंह ने सभी को ये आश्वासन दिया कि चिंता मत करो जल्दी अच्छा होगा। शायद उनकी इस बात में भविष्य के सपने छिपे थे। और कहते हैं कि शमशेर अपना किया हर वादा पूरा करते हैं। उनकी यही बात उन्हें दूसरे संपादकों से अलग..बहुत अलग करती है।

Shamsher Singh, X-Managing Editor, KhabriMedia, News Update, Latest News Hindi, 

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