नेपाल में 9 साल बाद फिर वही तबाही..ऐसे मचा था हाहाकार

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उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Nepal Earthquake: नेपाल में 9 साल बाद फिर वही भयंकर तबाही मच गई है। शुक्रवार की रात आए भूकंप ने नेपाल को हिला कर रख दिया। करीब 6.4 तीव्रता वाले भूकंप का झटका न सिर्फ नेपाल में आया बल्कि इसके साथ ही भारत के कई राज्यों में भी भूंकप (Earthquake) का जोरदार ऐहसास हुआ। भूकंप में नेपाल (Nepal) में अब तक करीब 130 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 150 से ज्यादा लोगों के घायल होने की भी सूचना है। रुकुम पश्चिम (Rukum West) में 36 और जाजरकोट में 34 लोग मारे गए हैं। रुकुम पश्चिम के डीएसपी नामराज भट्टराई और जाजरकोट के डीएसपी संतोष रोक्का के हवाले से खबर प्राप्त हुई।
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जाजरकोट जिले के पुलिस उपाधीक्षक संतोष रोका ने कहा कि शनिवार सुबह 3 बजे तक की रिपोर्ट के मुताबिक, जाजरकोट और पश्चिमी रुकुम में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। अकेले जाजरकोट में 44 मौतें हुई हैं। रोका ने बताया कि मृतकों में नलगढ़ नगर पालिका की उपमहापौर सरिता सिंह भी शामिल हैं। जजरकोट में 55 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। उनमें से पांच को सुरखेत के करनाली प्रांत अस्पताल ले जाया गया है।

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नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ (Pushpakamal Dahal ‘Prachanda’) शनिवार सुबह एक चिकित्सकीय दल के साथ घटना स्थल पर गए। उन्होंने बताया कि नेपाल सेना और नेपाल पुलिस को बचाव कार्य में लगाया गया है। प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि पश्चिमी रुकुम में मरने वालों की संख्या करीब 36 तक पहुंच गई है। पश्चिमी रुकुम जिले के पुलिस उपाधीक्षक नमराज भट्टाराई ने इसकी जानकारी दी है। आथबिस्कोट नगर पालिका में 36 लोगों के मरने की सूचना है। सानीभेरी ग्रामीण नगर पालिका में पांच और लोगों की मौत हुई है।

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आपको बता दें कि रात करीब 11 बजकर 32 मिनट पर आए भूकंप के कारण लोगों को अपने घरों से बाहर निकलना पड़ा। भूकंप का केंद्र नेपाल में अयोध्या (Ayodhya) से लगभग 227 किलोमीटर उत्तर और काठमांडू से 331 किलोमीटर पश्चिम उत्तर-पश्चिम में 10 किलोमीटर की गहराई में था। नेपाल में एक महीने में यह तीसरी बार तेज भूकंप आया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल को हर संभव सहायता की पेशकश की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने नेपाल को हर संभव सहायता का भरोसा देते हुए कहा भूकंप से हुए जान-माल के नुकसान पर दुख जताया। पीएम मोदी ने कहा कि नेपाल में भूकंप के कारण हुई जनहानि और क्षति से अत्यंत दुखी हूं। भारत नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। हमारी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं और हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

2015 में भी आया था नेपाल में बहुत खतरनाक भूकंप
कल रात भूकंप से नेपाल में 25 अप्रैल 2015 विनाशकारी भूकंप की याद ताजा हो गई है, जिसमें कई हजारों लोगों ने अपनी जान गवाईं थी। 25 अप्रैल 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप को गोरखा नाम दिया गया था, जिसमें करीब 9000 लोगों की मौत हुई थी और 22 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। 25 अप्रैल, 2015 को मध्य नेपाल में काठमांडू शहर के पास यह भूकंप आया था। साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप का असर भारत, पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश के कुछ इलाकों में भी महसूस हुआ था। कहा जाता है कि नेपाल में 1934 के बाद से आया यह सबसे भीषण भूकंप था, जब इतनी ही तीव्रता के भूकंप में 17 हजार लोग मारे गए थे।

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नेपाल में कई बार आया था भूकंप
नेपाल में 2015 के भूंकप में हजारों नेपाली एक झटके में बेघर हो गए थे। नेपाल में आए उस भूकंप में कई परिवार जमींदोज हो गए थे और कई दिनों तक लोग मलबों में अपनों की तलाश करते रहे। नेपाल में 2015 के भूकंप में बार-बार धरती डोलती रही थी। इस भूकंप से पूरी दुनिया सदमे में चली गई थी। नेपाल में चारों ओर चीख-पुकार मची हुई थी और जब भी झटके आते थे लोग घरों से भागने लगते थे। आलम तो यह था कि लोग कई दिनों तक अपने घरों में भी नहीं गए।

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क्या थी भूकंप की तीव्रता
एक ख़बर के मुताबिक 2015 में आए भूकंप में सबसे पहला झटका 7.8 की तीव्रता वाला था, जिसका इसका एपिसेंटर लामजंग से करीब 34 किमी पूर्व-दक्षिण पूर्व और काठमांडू से 77 किमी उत्तर-पश्चिम में था। इसकी गहराई करीब 15 किमी थी। इसके बाद 6.6 और 6.7 तीव्रता के दो बड़े झटकों ने मुख्य भूकंप को पूरी तरह से हिला दिया था। इतना ही नहीं, एक महीने बाद फिर मई में भी नेपाल में भूकंप आया था, जिसमें करीब 100 लोगों की मौत हुई थी। कहा जाता है कि नेपाल में आए इस भूकंप की वजह से सरकार को करोड़ों रुपए का भी नुकसान हुआ था।

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जानें कब कब आया नेपाल में बड़े भूकंप
15 जनवरी, 1934
नेपाल के इतिहास में इस दिन आए भूकंप को सबसे खतरनाक भूकंप के तौर पर याद रखा जाता है। इसे बिहार-नेपाल भूकंप नाम से भी जाना जाता है। इस भूकंप का केंद्र पूर्वी नेपाल में माउंट एवरेस्ट से छह मील दूर था। भूकंप के झटकों की वजह से भारत और नेपाल में 16000 लोगों की मौत हुई। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 8.0 मापी गई थी।
29 जुलाई, 1980
पांच दशक बाद नेपाल में धरती एक बार फिर कांपी। इस बार आए भूकंप को नेपाल-भारत सीमा भूकंप के तौर पर जाना गया। इसकी तीव्रता 6.5 थी। इसमें 200 लोगों की जान गई थी।
20 अगस्त, 1988
नेपाल-भारत का सीमा वाला इलाका भूकंप के झटकों को सबसे ज्यादा सहता रहा है। ऐसा ही कुछ 1988 में भी हुआ, जब 6.8 तीव्रता के भूकंप के चलते एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।

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