पुलिस टीमों ने संदिग्ध व्यक्तियों से 39 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी किए बरामद: डीजीपी पंजाब गौरव यादव
ऑनलाइन प्लेटफार्मों के जरिए बच्चों के शोषण के खिलाफ कार्रवाई जारी: एडीजीपी साइबर क्राइम वी. नीरजा
बाल शोषण की रिपोर्ट के लिए लोग स्टेट साइबर क्राइम डिवीजन या स्थानीय जिला साइबर क्राइम पुलिस थाने से कर सकते हैं संपर्क
Punjab News: पंजाब पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों के जरिए बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री (सी.एस.ए.एम.) को देखने, रखने और आगे भेजने की गतिविधियों में शामिल एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के अलावा इस मामले में 54 संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान भी की है। यह जानकारी आज यहां डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी), पंजाब गौरव यादव ने दी।
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यह कार्रवाई माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री को देखना, अपने पास रखना, आगे भेजना और इस संबंध में रिपोर्ट न करना, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेज (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। सी.एस.ए.एम. में कोई भी ऐसी सामग्री शामिल होती है जिसमें नाबालिगों के यौन शोषण से संबंधित फोटो, वीडियो या मीडिया शामिल हो, जिसे देखना, अपने पास रखना या आगे भेजना गैर-कानूनी है, जिससे पीड़ितों को जीवनभर के लिए बड़ा नुकसान हो सकता है और यह बच्चों के गंभीर शोषण के मामलों के तहत आता है।
उन्होंने बताया कि पकड़े गए आरोपी की पहचान फाजिल्का के रामसरा निवासी विजयपाल के रूप में हुई है। पुलिस टीमों ने मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए आरोपी से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए हैं और उचित तरीके से हैश वैल्यूज भी दर्ज की गई हैं। इस संबंध में साइबर पुलिस थाना में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री को प्रसारित करने या इसकी वितरण के बारे में गृह मंत्रालय से प्राप्त निर्देशों का पालन करते हुए राज्य के साइबर क्राइम डिवीजन ने ऐसी सामग्री को देखने, अपने पास रखने, प्रसारित करने और आगे भेजने की गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को पकड़ने के लिए सीपीएस/एसएसपीएस के साथ समन्वय के जरिए एक विशेष अभियान चलाया।
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उन्होंने बताया कि कार्रवाई के पहले चरण में पंजाब भर में 54 संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान की गई है, जबकि फाजिल्का से इंस्टाग्राम और टेलीग्राम का उपयोग करके उक्त सामग्री को बेचने और दूसरों के साथ साझा करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।
डीजीपी ने बताया कि पुलिस टीमों ने ऑपरेशन के दौरान विभिन्न संदिग्धों से 39 उपकरण भी जब्त किए हैं, जिन्हें फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है। इसके अलावा, ऐसे घिनौने अपराधों में शामिल अन्य अपराधियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए जांच की जा रही है।
अन्य जानकारी साझा करते हुए एडीजीपी साइबर क्राइम वी. नीरजा ने कहा कि यह कार्रवाई, जिसमें एसपी साइबर क्राइम जसनदीप गिल द्वारा पूर्ण समन्वय किया गया, ऑनलाइन बाल शोषण का मुकाबला करने के लिए पंजाब के प्रयासों का हिस्सा थी। उन्होंने कहा कि कार्रवाई अभी भी जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून के तहत बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री को देखना, आगे साझा करना या अपने पास रखना, पॉक्सो एक्ट की धारा 15 और आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67(बी) के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
उन्होंने आगे बताया कि राज्य के सभी 28 जिलों और आयुक्तालयों में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन हैं, जो साइबर अपराधों की उचित तरीके से जांच के लिए साइबर जांच और तकनीकी सहायता इकाइयों (सीआई और टीएसयूज) से लैस हैं। उन्होंने कहा कि अन्य सहायता या सी.एस.ए.एम. की रिपोर्ट के लिए लोग स्टेट साइबर क्राइम डिवीजन या स्थानीय जिला साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन से संपर्क कर सकते हैं।
बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री को साझा करने के दोषी को सुनाई सजा
एस.ए.एस.नगर की फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने 25-09-2024 को पुलिस स्टेशन स्टेट साइबर क्राइम में आईटी एक्ट की धारा 67बी और पॉक्सो एक्ट की धारा 15 के तहत दर्ज एफआईआर नंबर 34/2020 में दर्ज मामले में ओमार शर्मा नामक व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए उसे चार साल की कठोर कैद और 5,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
यह उल्लेखनीय है कि इस संबंध में गृह मंत्रालय के माध्यम से नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (एन.सी.एम.ई.सी.) से मिली सूचना के बाद स्टेट साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था और इस मामले में की गई जांच के बाद अपराध में उपयोग किए गए डिजिटल उपकरण सबूत के रूप में जब्त किए गए हैं।