Pratiksha Tondwalkar का बैंक में झाड़ू लगाने से AGM बनने का सफर, पढ़िए पूरी कहानी
Pratiksha Tondwalkar: अगर कुछ बड़ा करने का जज़्बा हो और मेहनत पूरे मन से की जाए तो सफलता एक दिन जरूर मिलती है। इस बात को सही साबित की हैं प्रतीक्षा टोंडवलकर (Pratiksha Tondwalkar) ने। प्रतीक्षा टोंडवलकर ने ऐसा कमाल किया कि पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए एक बड़ी मिसाल बन गई हैं। प्रतीक्षा टोंडवालकर ने वह काम कर दिखाया जिसे सोचने में भी असंभव लगता था। प्रतीक्षा टोंडवलकर (Pratiksha Tondwalkar) ने साबित कर दिया है कि दुनिया में कुछ भी संभव नहीं है बस उसके लिए पूरे मन से लगना होता है। अपनी हिम्मत तथा हौसले के दाम पर प्रतीक्षा टोंडवलकर उसी बैंक में अफसर बनीं जिस बैंक में वह झाड़ू पोछा यहां तक की टॉयलेट (Toilet) तक साफ किया करती थीं।
ये भी पढ़ेंः Diabetes: देश के 10 क़रोड़ डायबिटीज मरीजों के लिए बड़ी खुशखबरी

प्रतीक्षा टोंडवलकर ने कर दिखाया कमाल
आपको बता दें कि प्रतीक्षा टोंडवलकर के किए गए कमाल के काम को पढ़कर आप प्रतीक्षा टोंडवलकर की जमकर तारीफ करेंगे। प्रतीक्षा टोंडवलकर भारत के सबसे बड़े बैंक यानी कि भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) के एजीएम के पद से रिटायर हुई है। भारतीय स्टेट बैंक वही बैंक है जिस बैंक में प्रतीक्षा टोंडवलकर कभी झाड़ू और पोछा लगाती थी। सिर्फ यही नहीं प्रतीक्षा टोंडवलकर को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के टॉयलेट (Toilet) तक भी साफ करने पड़ते थे । प्रतीक्षा टोंडवलकर अपनी किस्मत से लगातार लड़ाई लड़ती रही और एक दिन उसने पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए बड़ी मिसाल कायम करके बड़ा इतिहास बना दिया है। प्रतीक्षा टोंडवलकर यह इतिहास बनकर हमेशा के लिए याद करने लायक महिला बन गई है। हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं प्रतीक्षा टोंडवलकर (Pratiksha Tondwalkar) की सफलता की कहानी।
ये भी पढे़ंः Greater Noida: ग्रेटर नोएडा में सस्ते लॉट बेचने जा रहे हैं स्वामी रामदेव..ये रही डिटेल

संघर्ष से भरा हुआ है प्रतीक्षा टोंडवलकर का जीवन
प्रतीक्षा टोंडवलकर का जन्म 1964 में पुणे के एक गरीब परिवार में हुआ था। आर्थिक परेशानी के कारण से वह दसवीं तक भी नहीं पढ़ सकीं। घरवालों ने मात्र 17 साल की उम्र में उनकी शादी सदाशिव कडू से कर दी। प्रतीक्षा के पति एसबीआई बैंक में बुक बाइंडिंग का काम करते थे। शादी के एक साल बाद ही प्रतीक्षा ने एक बेटे को जन्म दिया। हालांकि, कुछ समय बाद एक दुर्घटना में उनके पति की जान चली गई। बीस साल की उम्र में ही पति को खो देने से उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पति की मौत ने प्रतीक्षा टोंडवलकर (Pratiksha Tondwalkar) को जीवन की कड़वी वास्तविकताओं का सामने लाया। ससुराल वालों ने बहू (प्रतीक्षा) को घर से निकाल दिया। सिर्फ यही नहीं मायके वालों ने भी उन्हें घर में जगह नहीं दी। दोनों ही परिवारों ने प्रतीक्षा से नाता खत्म कर लिया। वह कई दिनों तक अपने बेटे के साथ एक चॉल के बाहर रहीं। हालांकि, समाज और पड़ोसियों के ताने सुनने के बाद आखिरकार सास ने उन्हें घर में आने की इजाजत दे दी।
ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करें https://whatsapp.com/channel/0029VaBE9cCLNSa3k4cMfg25
मात्र 60 रुपये मिलता था प्रतीक्षा टोंडवलकर को वेतन
प्रतीक्षा ने अपने बेटे को एक अच्छी जिंदगी देने के लिए खुद के पैरों पर खड़े होने का इरादा बनाया, लेकिन पैसों और शिक्षा का अभाव उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी। वह इतनी भी योग्य नहीं थी कि पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति पा सकें। लेकिन फिर भी उन्होंने बैंक के अधिकारियों से नौकरी की गुहार लगाई। बैंक ने उनकी सहायता भी की और उसी ब्रांच में बतौर सफाईकर्मी पार्ट-टाइम नौकरी पर रख लिया। इस दौरान उन्हें शौचालय साफ करने से लेकर झाडू-पोंछा समेत सभी काम करने पड़ते थे। इसके लिए उन्हें हर महीने 60 रुपये तनख्वाह मिलती थी। बेटे के लालन-पालन के लिए सिर्फ यही पैसा पर्याप्त नहीं था। इसलिए वह कई अन्य जगहों पर भी छोटी-मोटी नौकरी करने लगीं।
सफाई वाली से एजीएम बन बनने तक का सफर
नौकरी के दौरान ही प्रतीक्षा ने दसवीं (10) पूरी करने का इरादा बनाया। बैंक के अधिकारियों ने उन्हें फॉर्म भरने से लेकर पढ़ाई करने में सहायता की। दोस्तों और साथी कर्मचारियों ने किताबों और स्टेशनरी का खर्च उठाया। प्रतीक्षा की मेहनत रंग लाई और उन्होंने 60 प्रतिशत अंकों के साथ 10वीं की परीक्षा और फिर 12वीं की भी परीक्षा पास कर ली। इसके साथ ही बैंकिंग परीक्षाओं की तैयारी भी शुरू कर दी। उनकी लगन को देखकर एसबीआई बैंक ने उन्हें प्रमोशन देते हुए उनकी नौकरी को अस्थायी से स्थायी कर दिया। प्रतीक्षा की सफलता और आर्थिक समस्याएं साथ चल रही थीं।
कई बार बेटे के लिए बिस्किट लेने तक के पैसे उनके पास नहीं होते थे। ऐसे में, वह बस से एक स्टॉप पहले उतर जातीं थीं, जिससे बिस्किट खरीद सकें। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने मनोविज्ञान विषय में स्नातक भी किया। इसके बाद उन्हें बैंक क्लर्क के पद पर प्रमोशन मिल गया। कुछ वर्षों बाद प्रतीक्षा को ट्रेनी ऑफिसर के पद पर पदोन्नति मिल गई। इसके बाद उन्होंने बतौर ऑफिसर कई पदों पर काम किया और अंतत: रिटायर होने से पहले वह एसबीआई की सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) के पद पर पहुंच गईं।