Noida-ग्रेटर नोएडा..आपकी जान से खिलवाड़ कर रहा है आपका बिल्डर!..

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा

उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Noida News: दिल्ली-NCR में 6.2 तीव्रता वाले भूकंप ने हड़कंप मचा दिया था। लोग दहशत के मारे घरों से बाहर निकल आए। लेकिन उनकी सोचिए जो हाईराइज़ बिल्डिंगों में रहते हैं। उनके पास इतना भी समय नहीं था वो बिल्डिंग से नीचे आ सकें। आपकी बिल्डिंग और आप दोनों सुरक्षित रहें इसके लिए नोएडा अथॉरिटी स्ट्रक्चर ऑडिट पॉलिसी (Structure Audit Policy) बना चुकी है। जिसे इसी साल अप्रैल महीने से लागू भी किया जा चुका है।

लेकिन अफ़सोस इस बात की है कि अब तक इमारतों का स्ट्रक्चर ऑडिट शुरू नहीं किया जा सका है। अथॉरिटी (Authority) की ओर से आवेदन करने वालों के बिल्लडिंगों का कोई सर्वे भी नहीं किया गया। ऐसे में भूकम्प का एक तेज झटका नोएडा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसकी बड़ी वजह ये है नोएडा सिसमिक जोन-4 (Seismic Zone-4) में आता है। जो कि भूकम्प के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है।

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ये है प्रोसेस स्क्ट्रचरल ऑडिट कराने का
अथॉरिटी के अधिकारी ने जानकारी दी कि सबसे पहले सोसाइटी वाले बिल्डर या एओए (AoA) को स्ट्रक्चर ऑडिट के लिए बोलेंगे। इसके बाद एक प्रतिनिधि 25 प्रतिशत निवासियों की सहमति के साथ अथॉरिटी में आवेदन करेगा। अथॉरिटी की एक टीम सर्वे करने सोसाइटी जाएगी। वहां सर्वे की रिपोर्ट को अथॉरिटी की समिति के सामने रखा जाएगा। यहां से पास होने के बाद बिल्डर या एओए को बोला जाएगा कि अथॉरिटी के पैनल में सात एजेंसियां है। जिनमें से आप एक का चुनाव कर सकते है। उन्होंने बताया कि अब तक 6 सोसाइटी के एओए की ओर से स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के लिए आवेदन आए है।

नोएडा में करीब 100 से भी ज्यादा सोसायटी है। जिनमें 400 हाइराइज इमारत है। सवाल ये है कि इन इमारतों की मजबूती कितनी है। इनमें से अधिकांश इमारतों को बने हुए पांच साल से ज्यादा हो गए। अथॉरिटी का दावा है यहां बनी इमारत रैक्टर स्केल 7 और 8 तक का झटका झेल सकती है। हालांकि इनके लिए अथॉरिटी ने ऑप्शन दिए है। जिन इमारतों की लाइफ पांच साल हो चुकी है।

आरडब्ल्यूए या एओए भी इन एजेंसियों से स्ट्रक्चर ऑडिट करवा सकती है। इसका खर्चा उन्हें खुद देना होगा। वहीं अथॉरिटी ने बताया कि पॉलिसी लागू होने से पहले बिल्डर खुद ऑडिट कराता था। इसकी रिपोर्ट आईआईटी से संबंधित कोई प्रोफेसर एप्रूव कर सकता था। इस रिपोर्ट को अथॉरिटी मान्य मानता था। जिसके बाद बिल्डर को ओसी और सीसी जारी कर सकता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

सिसमिक जोन में चार में आता है नोएडा
नोएडा सिसमिक जोन-4 (Seismic Zone-4) में आता है। यानी ये एरिया भूकम्प (Earthquake) के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। इसको लेकर नोएडा में बनाए जा रहे प्रोजेक्ट, सड़क और इमारते सिसमिक जोन-5 के हिसाब से बनाई जा रही है। हालांकि नोएडा के बायर्स की ओर हमेशा स्ट्रक्चर को लेकर शिकायत की जाती रही है। इसके लिए अथॉरिटी ने एक कमेटी बनाया है। जो स्ट्रक्चरल ऑडिट के दौरान ये तय करेगी कि इमारत में माइनर इफेक्ट है या मेजर इसकी के बाद ऑडिट होगा और मरम्मत होगी।
अथॉरिटी के पैनल में शामिल एजेंसिया
आईआईटी कानपुर
एमएनआईटी प्रयागराज
बिट्स पिलानी
एनआईटी जयपुर
सीबीआरआई रुड़की
अब डालते पॉलिसी पर एक नजर और क्या होगा फायदा
ये पॉलिसी तीन मेजर डिफेक्ट पर आधारित है। पहली इमारत के फाउंडेशन में क्रैक और डै-मेज, दूसरी फ्लोर व कॉमन एरिया में क्रैक और डैमेज और तीसरा दीवारों में क्रैक और डेमेज।
अथॉरिटी ओसी जारी करने से पहले बिल्डर अपने खर्चे पर स्ट्रक्चर ऑडिट कराएगा। ये आडिट उसे प्राधिकरण की ओर से इम्पैनल्ड किए गए पैनल से ही कराना होगा।
यदि स्ट्रक्चरल ऑडिट के बाद 25 प्रतिशत फ्लैट बायर्स की ओर से स्ट्रक्चर डिफेक्ट की शिकायत की जाती है तो प्राधिकरण की ओर से गठित समिति द्वारा निर्णय लिया जाएगा कि डिफेक्ट मेजर है या माइनर।
इसके बाद अपार्टमैंट ऑनर एसोसिएशन एक्ट में स्ट्रक्चर डिफेक्ट को दूर किए जाने की जिम्मेदारी दो साल तक बिल्डर की होगी।
रेरा अधिनियम (RERA Act) के तहत पांच साल तक स्ट्रक्चर डिफेक्ट को दूर करने की जिम्मेदारी बिल्डर की और पांच साल बाद एओए की होगी। इस अवधि की गणना अधिभोग प्रमाण पत्र जारी होने के बाद की जाएगी।
यदि स्ट्रक्चर ऑडिट की रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो पांच साल के अंदर स्ट्रक्चर डिफेक्ट को बिल्डर की ओर से दूर किया जाएगा। दो से पांच साल की अवधि के मामले में अथॉरिटी एजेंसी से ऑडिट करवाकर कमियों को दूर -करने के लिए रेरा प्राधिकरण को कहेगा। इसके अलावा पांच साल से अधिक होने पर ये जिम्मेदारी एओए की होगी।

चार साल पहले हुए सर्वे में 1757 इमारत मिली थी जर्जर
नोएडा अथॉरिटी ने शहर में 4 श्रेणियों में जर्जर इमारतों का सर्वे कराया था। इसमें कुल 1,757 इमारतों को चिह्नित किया गया था। इसमें 114 इमारतों ऐसी थीं, जिनको ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन अब तक किसी भी इमारत को ध्वस्त नहीं किया गया। इसमें पहला असुरक्षित और जर्जर दूसरा अधिसूचित व अर्जित भवन पर अवैध कब्जा, तीसरा अधिसूचित व अनर्जित पर बनी इमारत व चौथा ग्राम की मूल आबादी में बनी बहुमंजिला इमारतों को शामिल किया गया था। सर्वे के परिणाम चौंकाने वाले थे। पहली श्रेणी में कुल 56 जर्जर व असुरक्षित इमारतें थी। कुल मिलाकर 1,757 इमारतों की एक सूची बनाई गई। लेकिन कसी भी इमारत को अभी तक गिराया नहीं गया है।
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