Noida: आम्रपाली के 10 हज़ार फ़्लैट ख़रीदारों के लिए बड़ी ख़बर

दिल्ली NCR नोएडा

Noida News: नोए़डा की आम्रपाली सोसाइटी के 10 हजार फ्लैट खरीदारों (Flat Buyers) के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि आम्रपाली (Amrapali) के प्रॉजेक्टों में साढ़े चार साल में मात्र 5 हजार लोगों को उनके फ्लैट मिले हैं। इस समय 10 हजार फ्लैट तैयार तो हो गए हैं लेकिन लोगों को हैंडओवर नहीं किए जा रहे हैं। जिनके फ्लैट हैं वे इधर उधर परेशान हो रहे हैं।

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बायर्स डॉक्युमेंट लेकर बार-बार कोर्ट रिसीवर के कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं लेकिन फिर भी उनकी फाइल एक से दूसरी टेबल पर ही रह जा रही है। प्रॉजेक्टों में 38 हजार बायर्स को फ्लैट मिलने हैं। जिनमें करीब 1500 बायर्स को डिफाल्टर लिस्ट में डाला गया है लेकिन लोगों को यह परेशानी है कि जो डिफॉल्टर नहीं हैं, उनके फ्लैट भी हैंडओवर किए जाने की प्रक्रिया क्यों आगे नहीं बढ़ रही है। जिनके मामलों में विवाद है, उनका निस्तारण भी नहीं हो रहा है।

38 हजार के फ्लैट देने का था दावा

23 जुलाई 2019 को आम्रपाली के प्रॉजेक्टों को पूरा कराने के लिए कोर्ट रिसीवर को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कोर्ट रिसीवर की देखरेख में एनबीसीसी को 38 हजार फ्लैट तैयार कर 3 साल में देने थे। अब तक साढ़े चार साल गुजर चुके हैं। जिसमें केवल 15 हजार फ्लैट ही दिए जा सके हैं। वहीं हैंडओवर की बात करें तो केवल 5 हजार फ्लैट 31 दिसंबर तक हैंडओवर किए गए हैं। बाकी 10 हजार फ्लैट बनने के बाद से ही वैसे पड़े हैं।

ये हैं फ्लैट हैंडओवर न होने के कारण

कुछ फ्लैट में फॉरेसिंक ऑडिट के डेटा में किसी और का नाम है और क्लेम दूसरा कर रहा।
बिल्डर ने अधूरे दस्तावेज सौंपे हैं। अब कोर्ट रिसीवर के सामने लोग पूरे कागज नहीं दिखा पा रहे।
हैंडओवर के समय कई तरह के चार्ज लगाए जा रहे, जिसपर आए दिन विवाद होता है।
कोर्ट रिसीवर ऑफिस में एनओसी की फाइल कई काउंटर से गुजरती है। किसी की निर्धारित डेडलाइन भी नहीं है।

फिर से कर सकते हैं बायर्स

बायर्स की असोसिएशन नेफोवा (Nefowa) के पदाधिकारी दीपांकर जैन ने कहा कि हम लोग 4500 बायर्स के साथ फिर से कोर्ट में रिट डालने की तैयारी में हैं। साथ ही सड़कों पर फिर से उतने का समय आ गया है। बायर्स में इतना ज्यादा नाराजगी है। सबसे ज्यादा परेशानी कोर्ट रिसीवर के कार्यालय में बैठे स्टाफ से लोगों को हो रही है। स्टाफ का आपस में कोऑर्डिनेशन नहीं है, जिसका खामियाजा बायर्स को भुगतना पड़ रहा है। बायर्स इंद्र गुप्ता का कहना है कि तमाम बायर दो-दो साल से कागज लिए घूम रहे हैं। तैयार होने के बाद भी न उन्हें फ्लैट दे रहे हैं न उनके मामले निस्तारित करने का डिसीजन ले रहे हैं।