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Max Hospital: मैक्स हॉस्पिटल में इन 3 हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी वालों को नहीं मिलेगा कैशलेस इलाज

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Max Hospital: मैक्स हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले मरीजों को एक बड़ा झटका लगा है।

Max Hospital: मैक्स हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले मरीजों (Patients) को एक बड़ा झटका लगा है। प्रमुख स्वास्थ्य बीमा कंपनियों निवा बुपा, स्टार हेल्थ और केयर हेल्थ इंश्योरेंस ने मैक्स हॉस्पिटल (Max Hospital) नेटवर्क में कैशलेस ट्रीटमेंट सुविधा को बंद करने का फैसला किया है। अब देशभर में मैक्स हॉस्पिटल की किसी भी शाखा में इन बीमा कंपनियों के पॉलिसीधारक कैशलेस इलाज (Cashless Treatment) का लाभ नहीं ले सकेंगे। इससे पहले मैक्स हॉस्पिटल ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस की कैशलेस सुविधा को भी बंद कर दिया था। पढ़िए पूरी खबर…

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अब रीइंबर्समेंट मोड में मिलेगा इलाज

आपको बता दें कि पूरे भारत में मैक्स हॉस्पिटल (Max Hospital) ने कैशलेस सुविधा बंद कर दी है। इन बीमा कंपनियों ने स्पष्ट किया है कि यदि मरीजों को मैक्स हॉस्पिटल में इलाज कराना आवश्यक हो, तो उन्हें रीइंबर्समेंट मोड में क्लेम करना होगा। इसका मतलब है कि मरीजों को पहले अपनी जेब से पूरा खर्च वहन करना होगा, और बाद में बीमा कंपनी को आवश्यक दस्तावेज जमा करने पर राशि वापस मिलेगी।

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क्लेम के लिए जरूरी दस्तावेज

  • डिस्चार्ज समरी
  • सभी मेडिकल रिपोर्ट्स
  • डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन और नोट्स
  • सभी बिल
  • आधार कार्ड और पैन कार्ड
  • कैंसिल चेक

इस प्रक्रिया से मरीजों को तत्काल भुगतान का बोझ उठाना पड़ सकता है, जिससे उनकी आर्थिक परेशानी बढ़ सकती है।

अस्पतालों ने क्यों रोकी कैशलेस सर्विस?

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (AHPI) ने हाल ही में अपने सभी सदस्य अस्पतालों को निर्देश दिया था कि 1 सितंबर से बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस की कैशलेस सुविधा को बंद कर दिया जाए। इस फैसले में मैक्स सुपर स्पेशलिटी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स सहित देशभर के 20 हजार से अधिक निजी अस्पताल शामिल हैं। इसके अलावा, AHPI ने केयर हेल्थ इंश्योरेंस को भी नोटिस जारी किया है और 31 अगस्त तक जवाब देने को कहा है। यदि कंपनी संतोषजनक जवाब नहीं देती, तो केयर पॉलिसीधारकों की कैशलेस सुविधा भी सभी अस्पतालों में बंद हो सकती है।

क्या है विवाद की जड़?

AHPI के महानिदेशक डॉ. गिर्धर ग्यानी (Dr. Girdhar Gyani) के मुताबिक, भारत में मेडिकल खर्च हर साल 7-8% की दर से बढ़ रहा है। इसमें स्टाफ की सैलरी, दवाइयों की कीमत, मेडिकल उपकरण और बिजली-पानी जैसे खर्च शामिल हैं। ग्यानी ने कहा कि पुराने रेट पर सेवाएं देना अब संभव नहीं है, वरना इलाज की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।

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उन्होंने आरोप लगाया कि बजाज आलियांज (Bajaj Allianz) लगातार अस्पतालों की दरों में संशोधन की मांग ठुकराता रहा है और उल्टा रेट कम करने का दबाव डालता है। इसके अलावा कंपनी पर यह भी आरोप है कि वह क्लेम सेटलमेंट और डिस्चार्ज अप्रूवल में देरी करती है, जिससे मरीजों और अस्पताल दोनों को परेशानी होती है।