Parenting Tips: कहीं आपका बच्चा भी तो पढ़ाई में कमजोर नहीं, इन लक्षणों से पहचानें

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नीलम सिंह चौहान, ख़बरीमीडिया

Parenting Tips: छोटे बच्चे को पढ़ना आज भी काफी ज्यादा मुश्किल भरा काम होता है। वहीं, बहुत ही कम बच्चे ऐसे दिखेंगे जो पढ़ाई में बहुत ज्यादा तेज हो। फिर ऐसे ही परेशानी और दिक्कतें तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब बच्चे बड़े हो जाएं लेकिन फिर भी वो खुद से न पढ़ पाएं और समझाए जानें पर चीजें उनके दिमाग में न घुसे।

जैसे कि आप भी जानते हैं कि हमारे आस पास का भी असर बच्चों के ऊपर दिखाई पड़ता है। जो उन्हें पढ़ाई में कमजोर बनाता जाता है। ऐसे में आज हम आपको कमजोर बच्चों की कुछ आदतों के बारे में डिटेल में बताएंगे।

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पढ़ाई में कमजोर बच्चों की ये होती हैं कुछ हैबिट्स

  • जो बच्चे दिमाग से थोड़ा कमजोर होते हैं, उन्हें स्कूल जाने से डर लगता है और वो रोज न जाने का कोई न कोई नया बहाना बना लेते हैं।
  • स्कूल से आने के बाद खुद से अकेले बैठ के होमवर्क करने में भी इन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ये बच्चे अक्सर टाल मटोली करते रहते हैं। इनका कहना होता है कि थोड़ी देर में पढूंगा।
  • ज्यादातर बच्चे जो पढ़ने में वीक यानी कि कमजोर होते हैं, वे क्लास के पीछे बैठे नजर आते हैं। क्योंकि उन्हें इस बात का डर रहता है कि मेन बेंच में बैठने से उनसे काफी सारे प्रश्न किए जायेंगे।
  • पढ़ाई में कमजोर बच्चों का काम भी समय समय पर पूरा नहीं होता है, वे अक्सर अपने किसी दोस्त की कॉपी को घर लेकर के आते हैं।
  • कमजोर बच्चे कभी भी अपने ओर से टीचर से कोई भी प्रश्न नहीं पूछते हैं,यदि उन्हें कुछ भी समझ में नहीं भी आ रहा होता है तो भी वो हां में सर हिला देते हैं। और टीचर से दोबारा प्रश्न पूछने से कतराते हैं।
  • जो बच्चे जिद करते हैं कि वो अकेले पढ़ेंगे ये बच्चे सबसे पीछे रह जाते हैं, क्योंकि अकेले में ये फोन चलाते या सो जाते हैं। ऐसे में यदि आपका बच्चा भी अकेले पढ़ने को बोले तो बीच बीच में नजर जरूर रखें।
  • आज के समय कंपटीशन बहुत बढ़ गया है, ऐसे में जब बच्चे को कुछ समझ नहीं आ रहा होता है या टेस्ट में मार्क्स कम आ रहे होते हैं, तो वो समझ लेता है कि अब वो आगे करियर में कुछ भी अच्छा नहीं कर पाएगा। और यहीं से निराशा शुरू होती है।
  • पढ़ाई में कमजोर बच्चे रोजाना न पढ़ के सिर्फ एक दिन पढ़ते हैं और होड़ लगाते हैं कि एक ही दिन में जैसे तैसे पढ़ के पास हो जाएं। लेकिन ऐसे में पढ़ाई से जो भी वास्तविकता का ज्ञान मिलता है उससे वो वंचित रह जाते हैं।
  • जो बच्चे बिना टाइम टेबल के पढ़ते हैं या किसी भी सब्जेक्ट को छोड़ देते हैं, ऐसे में उस सब्जेक्ट में धीरे – धीरे वे कमजोर होने लग जाते हैं।
  • यदि ये सारे लक्षण आपके बच्चे में नजर आ रहे हैं तो ध्यान दें कि उनको डांटना या मारना नहीं है, बल्कि उनके काम को आपको समय समय से कंप्लीट करने के लिए प्रोत्साहित करना है। उनके उपर ध्यान देना है। वहीं, टीचर्स से बोलना है कि समय समय पर उनके नोट्स को चेक करते रहें।

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