ख़रीदने जा रहे हैं कार तो पढ़ लें ज़रूरी ख़बर

बिजनेस

कोरोना काल में शुरू हुई वर्क फ्रॉम होम(Work From Home) की सुविधा धीरे-धीरे ख़त्म हो रही है। अब कंपनियां ने वापस अपने Employees को दफ्तर बुलाना शुरू कर दिया है। ऐसे में बहुत से लोग कार खरीदने की योजना पर विचार करने में जुट गए हैं।

सौ. सोशल मीडिया

अगर आप भी कार खरीदने की सोच रहे है तो कार का चुनाव बिना किसी विज्ञापन,किसी की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर या कार निर्माण कंपनी की मीडिया मैनेजमेंट कंपनी के प्रभाव मे आये बिना आप कैसे एक सही भरोसेमंद कार खरीद सकें इसके लिए हमने ऑटो एक्सपर्ट तपेश तिवारी से बात की।

तपेश तिवारी का लंबा अनुभव इंटरनेट उपभोक्ता कंपनियो के संग काम का रहा है और उन्होने उपभोक्ता अनुसंधान और उपभोक्ता व्यवहार पर बहुत काम किया है। तपेश ने बताया कि कैसे आप छोटी-छोटी बातों पर पर ध्यान रख कर एक बेहतर कार खरीद सकते हैं।

कार का रिव्यू

अक्सर लोग कार का रिव्यू किसी भी अख़बार, ऑनलाइन वेबसाइट या न्यूज़ चैनल चॅनेल में देखते हैं और उसके आधार पर तय करते हैं कि उन्हें कौन सी कार ख़रीदनी है। लेकिन तपेश ने हमें बताया कि कार को लेकर सोशल मीडिया पर   सर्विस स्पेयर पार्ट्स की लागत, टायर कितनी जल्दी बदलने पड़ते है इत्यादि पर बहुत कम या ना के बराबर जानकारी रहती है। 

तो सबसे पहले ये जानने की कोशिश करते है कि आप जब कार खरीदते है तो आप को उसके साथ-साथ और क्या-क्या खर्चे करने पड़ते हैं। क्योंकि ज्यादातर लोगों को ये पता ही नहीं होता है। और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है।

सौ. सोशल मीडिया

कार ख़रीदने से पहले ध्यान दें

  1. सबसे पहले आता है कार के रेजिस्ट्रेशन के चार्जेस। भारत में 4 मीटर से कम लंबी कार के लिये आपको कम पैसे देने पड़ते हैं, तो आप अपनी कार की जरूरत को सबसे पहले चेक करें कि क्या आपको वाकई मे 4 मीटर से लंबी कार की जरुरत है भी या नहीं।
  2.  दूसरा आता है कार का बीमा, आपको ये सुन कर थोड़ा सा अजीब सा लगेगा कि आज कल बीमा कंपनियां जिन कारों के क्लेम सबसे ज्यादा आ रहे हैं उनका प्रीमियम बढ़ा देती है। ऐसे में आपको ये चेक करना होगा कि कहीं आप ऐसी कार तो नही खरीद रहे हैं जिसके एक्सीडेंटल रिपेयरिंग की लागत बहुत आती है। ऐसी कार लेने से बचें!
  3.  अगला नंबर आता है उस कार की सर्विस का जिसके नाम पर ज्यादातर कंपनी आपकी जेब साफ करने को तैयार रहती है। आपको कार लेते  समय कम से कम ऐसे कस्टमर्स से बात करनी चाहिये जिसके बारे में उनका अनुभव ठीक रहा हो।
  4.  अगला और बहुत महत्वपूर्ण नंबर आता है जिस मॉडल  की कार आप ले रहे है उसकी सेल्स के नंबर क्या है? आप जिस भी सेगमेंट की कार ले रहे हैं उसका सेल्स के नंबर इंटरनेट पर सर्च कर सकते हैं।
  • तपेश के मुताबिक भारत मे 10 लाख रुपये के आस-पास के एक्स शोरुम से कम कीमत की कोई भी कार, जिसका सेल्स नंबर दस हज़ार प्रतिमाह से कम है ना खरीदने की सलाह दी। 10 लाख रुपये से अधिक की कार के लिए आप जिस सेगमेंट की कार लेना चाह रहे हैं उसमे उपलब्ध सभी विकल्पों मे सबसे ज्यादा बिकने वाले विकल्प को ही चुनें। इसके पीछे तपेश ने दो प्रमुख कारण बताए।

तपेश के मुताबिक एक तो कंपनी और सर्विस एजेन्सी के लेवल पर इससे नीचे के नंबर पर सर्विस लागत ढंग से ऑप्टिमाइज़ नही हो पाती है दूसरा ये नंबर आपकी कार की रीसेल वैल्यू को भी बहुत प्रभावित करता है। तपेश ने टोयोटा अर्बन क्रूज़र और मारुति ब्रीजा का उदाहरण दिया कि कैसे दोनों एक ही कार थी पर एक कंपनी उसके सेल्स नंबर नही संभाल पाई और आखिरकार उन्होंने अर्बन क्रूज़र  मॉडल की सेल्स बंद कर दी। महिंद्रा की तो उन्होंने पूरी लिस्ट ही गिना दी कैसे लोगान, वेरिटो, जैसे कई सारे मॉडल आज बंद कर चुके हैं।

साफ मतलब है कि अच्छे सेल्स के नंबर किसी भी कंपनी की सारी परेशानी खत्म कर देती है। क्योंकि उन नंबर्स को बनाए रखने के लिए कंपनी भी अपनी कार और उससे रिलेटेड सर्विस को देने मे कोई कसर नही छोड़ती है।

ऐसे में समझदारी यही है कि छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप बेहतर कार ख़रीद सकते हैं।

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