Noida-ग्रेटर नोएडा में जाम के असली ‘विलेन’ को पहचान लीजिए

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा

Noida Traffic News: उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले शहर नोएडा में लोगों को अक्सर ही जाम का सामना करना पड़ता है। यहां ट्रैफिक जाम (Traffic Jam) को खत्म करने के लिए ट्रैफिक पुलिस (Traffic Police) लेकर परिवहन निगम (Transportation Corporation) तक कई योजनाएं बनाई गई, लेकिन योजना पर कोइ भी योजना जाम के झाम से लोगों को छुटकारा नहीं दिला पाईं। नतीजन जिले में चलने वाले ऑटो के लिए ना तो कोई कलर कोड व्यवस्था, ना रूट निर्धारित और ना किराया।

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नोएडा और ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में 19 हजार से अधिक ऑटो पंजीकृत हैं। इनमें करीब दो हजार से अधिक ऑटो एनसीआर परमिट के हैं। तीन हजार ऑटो की फिटनेस खत्म हो चुकी है, लेकिन इनमें से भी अधिकतर ऑटो सड़कों पर चल रहे हैं।

2021 में आया था कलर कोड व्यवस्था

आज से लगभग 9 साल पहले जिला प्रशासन ने बढ़ती ऑटो की संख्या के कारण नए परमिट जारी करने पर रोक लगा दी थी जो रोक अभी तक जारी है। ऑटो व्यवस्थित तरीके से रूट पर दौड़े इसके लिए ट्रैफिक पुलिस की तरफ से फरवरी 2021 में कलर कोड व्यवस्था लागू करने की योजना बनाई गई थी।

योजना के अनुसार शहर सेक्टर-62 से 15 के बीच चलने वाले ऑटो को सिटी परमिट, सेक्टर-37 से सूरजपुर के रूट के बीच चलने वाले ऑटो को ग्रेटर नोएडा परमिट व एनसीआर में चलने वाले ऑटो को एनसीआर परमिट दिए जाने थे। जिससे परमिट से अलग चलने वाले ऑटो की कलर कोड के मुताबिक पहचान हो सके और कार्रवाई की जा सके, लेकिन योजना को दो साल बाद भी अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।

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ऐसे में ऑटो चालक अपने हिसाब से किसी भी रूट पर वाहन दौड़ाने लगते हैं। ऑटो चालकों की मनमानी जाम और लोगों की समस्या का कारण बन गया है। अभी ज्यादा मुनाफे वाले रूट पर ऑटो की अधिक संख्या होने के कारण जाम लगता है।

कई ऑटो में नहीं है मीटर

परमिट की शर्त के मुताबिक ऑटो में मीटर लगाना अनिवार्य है। चालक यदि मीटर नहीं लगाते हैं या मीटर से सवारी नहीं बैठाते हैं तो यह नियम का उल्लंघन है। लेकिन शहर में विभिन्न रूट पर दौड़ रहे ऑटो में मीटर नहीं है।

अभी शहर में सिटी बस का संचालन नहीं हो रहा है जिसके कारण कई बार लोग ऑटो बुक करते हैं, लेकिन शहर ऑटो चालक मनमाना किराये वसूलते हैं। इससे सवारी और चालकों में बहसबाजी होती है।

ऑटो के लिए तय किए गए हैं यह प्रमुख रूट

मॉडल टाउन से गोल चक्कर वाया लेबर चौक, सेक्टर 12/22 व उद्योग मार्ग
सेक्टर 37 से नोएडा फेस-दो वाया बरौला, सलारपुर व भंगेल होते हुए सूरजपुर
मॉडल टाउन से सेक्टर 37 वाया सेक्टर 71, होशियारपुर व सिटी सेंटर
सेक्टर 37 से सेक्टर 15 गोलचक्कर

यहां अक्सर मिलता है जाम

माडल टाउन, मामूरा चौक, सेक्टर-59, जेएसएस तिराहा, लेबर चौक, सेक्टर-56, सेक्टर-12-22, मेट्रो अस्पताल, हरौला, नया बांस तिराहा, गोलचक्कर, सिटी सेंटर, सेक्टर-37, सेक्टर-71, अट्टा।

कलर कोड के होते हैं यह फायदें

जाम की संभावना कम हो जाती है।
एक रूट पर ऑटो की संख्या निर्धारित होती।
ज्यादा संख्या में ऑटो एक रूट पर नहीं दौड़ते।
सवारी कलर के जरिये पहचान सकती है कि ऑटो कहां से कहां तक जाएगा।
दूसरे जिलों के ऑटो जिले में दौड़ने मिलने पर आसानी से पकड़े जा सकते थे।
अनिल कुमार, यादव, डीसीपी ट्रैफिक ने कहा कि अवैध तरीके से शहर में चलने वाले ऑटो पर समय-समय पर कार्रवाई होती है। बिना परमिट ऑटो के संचालक के अंकुश लगाने के लिए अभियान भी चलाया जा रहा है।