Delhi News: ‘अध्यादेश’ पर केंद्र Vs केजरीवाल

दिल्ली

Jyoti Shinde,Editor

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार के अध्यादेश के विरोध में मोर्चा खोल दिया है। केजरीवाल सरकार का मानना है कि यह अध्यादेश पूरी तरह असंवैधानिक है और इसपर  तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए।

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क्या है मामला

11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया था कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा जिसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के विरुद्ध जाकर १९ मई को अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग का अध्यादेश जारी कर दिया था ।

अध्यादेश के मुताबिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा न कि मुख्यमंत्री का ।संसद में 6 माह के भीतर इससे जुड़ा कानून बनाया जायेगा।

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फैसले के दो महत्वपूर्ण पहलू

1. केंद्र और राज्य दोनों के पास कानून बनाने का अधिकार है , लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाए कि केंद्र की इतनी ज्यादा दखलंदाजी न हो कि वह राज्य सरकार का काम अपने हाथ में ले ले । इससे संघीय ढांचा प्रभावित होगा।

2. अगर किसी अफसर को ऐसा लगता है कि उसपर सरकार नियंत्रण नहीं कर सकती है , तो उसकी जिम्मेदारी घटेगी और कामकाज पर इसका असर पड़ेगा।

विपक्ष से समर्थन की मांग कर रहे केजरीवाल

केंद्र द्वारा लाये गये इस अध्यादेश के विरोध में  केजरीवाल समस्त विपक्षी पार्टियों से  समर्थन मांगने में जुट गए हैं । वे विपक्षी पार्टियों के नेताओं से इस मुद्दे पर गम्भीर वार्तालाप कर रहे हैं । JDU, RJD, शिवसेना, TMC, NCP , DMK इत्यादि प्रमुख विपक्षी दलों ने अध्यादेश का विरोध संसद में करने पर सहमति जताई है।

अध्यादेश क्या है ?

जब संसद या विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा हो तो केंद्र और राज्य सरकार तात्कालिक जरूरतों के आधार पर राष्ट्रपति या राज्यपाल की अनुमति से अध्यादेश जारी करती हैं। इसमें संसद/विधानसभा द्वारा पारित कानून जैसी शक्तियां होती हैं।

अध्यादेश को छह महीने के अंदर संसद या राज्य विधानसभा के अगले सत्र में सदन में पेश करना अनिवार्य होता है। अगर सदन उस विधेयक को पारित कर दे तो यह कानून बन जाता है। जबकि तय समय में सदन से पारित नहीं होने पर यह समाप्त हो जाता है। हालांकि, सरकार एक ही अध्यादेश को बार-बार भी जारी कर सकती है।

अध्यादेश के विरोध में और क्या थी केजरीवाल की रणनीति- पहले खबरें थी कि केजरीवाल 3 जुलाई को दिल्ली में पार्टी ऑफिस के बाहर अध्यादेश की कॉपियां जलाकर अभियान शुरू करेंगे। इस दौरान पार्टी के विधायक और मंत्री भी मौजूद रहेंगे।

इसके बाद 5 जुलाई को देश की सभी विधानसभाओं में अध्यादेश की कॉपी जलाकर विरोध किया जाएगा। फिर 6 से 13 जुलाई तक दिल्ली के चौराहों और मोहल्लों में आप नेता अध्यादेश जलाकर विरोध जताएंगे। हालांकि, अब जानकारी आई है कि केजरीवाल 3 जुलाई को इस आंदोलन में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि मामला कोर्ट में है।

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