Jammu and Kashmir: सिख समुदाय के लोगों के लिए खुशकर देने वाली खबर है। बता दें कि जम्मू कश्मीर में भी आनंद कारज एक्ट (Anand Karaj Act) लागू हो गया है। 11 साल बाद प्रदेश में यह एक्ट लागू हो पाया है। वहीं साल 2012 में पारित हुआ आनंद विवाह (संशोधन) विधेयक (Anand Marriage (Amendment) Bill) लागू किया गया है। पांच सिंह साहिबों ने तख्त श्री हजूर साहिब नंदेड़ में सिख मर्यादा के साथ आनंद कारज (शादी) को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
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सिखों में आनंद कारज (Anand Karaj) को लेकर नियम और कड़े हो गए हैं। तख्त श्री हजूर साहिब नांदेड़ की अहम बैठक हुई। बैठक में पांचों सिंह सिख समुदाय की विवाह प्रक्रिया आनंद कारज को लेकर साहिबान ने आपस में विचार विमर्श करके आनंद कारज को लेकर कई फैसले लिए। इन फैसलों की घोषणा करते हुए सिंह साहिबान ने ऐलान किया कि सिख समुदाय के लोग नए नियमों को माने, उसका पालन करें। नियमों को न मानने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं नए फैसलों के मुताबिक, अब शादी के कार्ड पर दूल्हा और दुल्हन का पूरा नाम लिखना होगा। इसके साथ सिंह और कौर तगाना अनिवार्य है। आनंद कारज के दौरान दुल्हन सूट पहनेगी, लहंगा नहीं।
नए नियम के मुताबिक तावों के समय दूल्हा-दुल्हन पर फूल नहीं बरसाए जाएंगे। वहीं 2012 में पारित हुआ आनंद विवाह (संशोधन) विधेयक (Anand Marriage (Amendment) Bill) लागू कर दिया गया है। इसे सबसे पहले केरल में लागू किया गया था, लेकिन अनुच्छेद 370 तमे होने के कारण जम्मू-कश्मीर में यह एक्ट लागू नहीं हो पाया था। अब जब अनुच्छेद 370 हट गया है तो इसके साथ ही प्रदेश में अब बाकी देश में तागू किए जा चुके एक्ट भी लागू होने लगे हैं। 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के सिख समुदाय ने मार्च 2021 में आनंद कारज एक्ट लागू करने की मांग की थी, जिसे अब लागू किया गया। इसका श्रेय प्रदेश के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा को जाता है।
जानिए क्या है आनंद मैरिज एक्ट
आनंद मैरिज एक्ट, जिसे आनंद कारज के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म में खास महत्व रखता है। समारोह, जिसका अर्थ है खुशी की ओर कार्य करना या खुशहाल जीवन की ओर कार्य करना, सिख गुरु अमर दास द्वारा शुरू किया गया था। जबकि समारोह के मूल में शामिल चार लावां (भजन) गुरु राम दास द्वारा रचित थे। इस अधिनियम का उद्देश्य सिख परंपराओं के अनुसार किए गए विवाह को कानूनी रूप से आनंद विवाह अधिनियम के तहत मान्य करना है।
आनंद विवाह अधिनियम की शुरुआत साल 1909 में हुआ जब ब्रिटिश इंपीरियल विधान परिषद ने सिख विवाह समारोह, आनंद कारज की मान्यता के लिए कानून पारित किया। इस अधिनियम का उद्देश्य सिख समुदाय के रीति-रिवाजों और प्रथाओं को मानना और उनका सम्मान करना है। बता दें कि साल 2012 में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, संसद ने आनंद विवाह (संशोधन) विधेयक पारित किया, जिससे सिख पारंपरिक विवाहों को कानूनी मान्यता के दायरे में लाया गया।