नीलम सिंह चौहान, ख़बरीमीडिया
Karva Chauth 2023: करवा चौथ का त्यौहार आने वाला है, इस त्यौहार का इंतजार सुहागिनों को बेसब्री से रहता है। करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए बेहद खास होता है। इसे हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस खास दिन सभी शादी शुदा महिलाएं माता पार्वती जी, भगवान शिव, भगवान गणेश और कार्तिकेय भगवान की पूजा अर्चना करती हैं। करवा चौथ के व्रत को बेहद खास माना जाता है, क्योंकि ये बहुत कठिन त्यौहारों में से एक होता है। इस दिन बिना जल व अन्न ग्रहण किए हुए सूर्योदय से चांद के दर्शन तक किया जाता है।
करवा चौथ को सभी सुहागिनें अपनी पति के लंबी आयु की कामना करते हुए व्रत रखती हैं। इस त्यौहार को सुहागिनें पूरी विधि विधान से करती हैं।
जानिए करवा चौथ का सही विधि विधान
इस दिन सुबह उठने के बाद सबसे पहले स्नान करें,इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान की पूजा करें साथ ही निर्जला व्रत रखने का संकल्प लें। इस खास दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा करें साथ ही रात के समय चंद्रमा की भी पूजा करें। चंद्र दर्शन करके पति को छलनी से देखें, इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत को तोड़ दें।
करवा चौथ के व्रत के दिन इन खास बातों का रखा जाता है ध्यान
यदि शास्त्रों के मुताबिक मानें तो करवा चौथ के दिन सभी सुहागिनों को सफेद वस्त्र को भूलकर भी धारण नहीं करना चाहिए। सफेद रंग के साथ काले रंग के वस्त्रों को धारण करने से बचना चाहिए। वहीं, सुहागिनों को मान्यता के अनुसार इस दिन मंगलसूत्र पहनना अति आवश्यक होता है।
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जानिए करवा चौथ की पूजा और शुभ मुहूर्त
कई सारे ज्योतिषचार्यों की मानें तो चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 09:30 पर शुरू होगी और 01 नवंबर को रात्रि 09:19 पर खत्म होगी। उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 01 नवंबर को रखा जाएगा। करवा चौथ पूजा मुहूर्त 01 नवंबर की शाम को सूरज के ढलने के बाद से प्रारंभ होगा और शाम को चांद निकलने से पहले 8:00 ने तक रहेगा। पूजा करने का सबसे सही समय शाम का होता है, जो कि सूर्यास्त के बाद शुरू होता है। करवा चौथ व्रत का समय सुबह के 6:30 बजे से शाम 08:10 तक है। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय रात्रि 08:10 पर होगा।
अब जानिए कि पूजा के बाद करवे का क्या करना चाहिए
ध्यान रहे कि पूजा करने के बाद कभी भी करवा को फेंकना नहीं चाहिए। पूजा करने के बाद इसे साफ कर लें और अगले करवा चौथ पर इस्तेमाल कर लें या फिर किसी साफ सुथरे पेड़ के नीचे रख सकती हैं, जहां गंदगी मौजूद न हो। मान्यता के मुताबिक करवा में माता करवा का निवास होता है इसलिए इसे फेंकना नहीं चाहिए। अपनी इच्छा अनुसार इसमें किसी पौधे को भी लगा सकते हैं,बस इसे फेंकना या टूटने से बचाना होता है।
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करवे के भीतर क्या क्या भरा जाता है
बहुत से लोग करवा में गेंहू और उसके ढक्कन में शक्कर को भरते हैं। इसके बाद करवा पर 13 रोली की बिंदी को रखकर हाथ में गेंहू या चावल के दाने को लेकर करवा चौथ की कहानी सुनते हैं। कथा को सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर महिलाएं अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं। वहीं, कई सारी जगहों पर करवा में दूध भरा जाता है और तांबे या चांदी का सिक्का डाला जाता है।
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करवाचौथ और सरगी
करवाचौथ पर सरगी के जरिए सास अपनी बहू को सुहाग का आशीर्वाद देती है। वहीं, सारगी की थाली में 16 श्रृंगार की सभी सामग्री, ड्राई फ्रूट्स, फ्रूट्स, मिठाई के जैसी चीजें होती हैं। इसके बाद करवा चौथ व्रत कथा सुनी और साथ ही पढ़ी जाती है। चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखकर उसकी पूजा और अर्ध्य दिया जाता है। फिर अपने पति का चेहरा देखकर पति के हाथों से पानी और अन्न ग्रहण कर व्रत का समापन होता है।
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जानिए क्यों होता है करवा चौथ का इतना महत्त्व
हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। करवा चौथ के दिन सुहाग की तरक्की और लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ के दिन भगवान शिव, गणेश जी और मां पार्वती की खास तरीके से पूजा की जाती है। 1 नवंबर को व्रत रखा जाएगा। मान्यता के मुताबिक करवा चौथ का व्रत मां पार्वती ने भगवान शिव जी को प्राप्त करने के लिए रखा था। इसी व्रत के बाद भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संभव हुआ था।